भांडीरवट

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भांडीरवट ब्रजमण्डल के भांडीरवन के अन्तर्गत स्थित श्रीकृष्ण से सम्बंधित एक प्रसिद्ध लीलास्थली है। यहाँ श्रीराधा-कृष्ण युगल की विविध लीलाएँ सम्पन्न होती हैं। श्रीकृष्ण की प्रकट-लीला के समय यहाँ पर एक बहुत बृहत वट का वृक्ष था। उसकी अनेकों लम्बी शाखाएँ ऊपर-नीचे चारों ओर बहुत दूर-दूर तक फैली हुई थीं। पास में ही यमुना मधुर किल्लोल करती हुई वक्रगति से प्रवाहित होती थी।

  • भांडीरवट पर श्रीकृष्ण-बलदेव सखाओं के साथ विविध-प्रकार की क्रीड़ाएँ करते हुए डालियों के ऊपर-ही-ऊपर यमुना को पार कर जाते थे। इस वट वृक्ष की विस्तृत शाखाओं पर शुक-सारी, मयूर-मयूरी, कोयलें, पपीहे सदा-सर्वदा चहकते रहते थे तथा इसके फलों से तृप्त रहते थे। इसकी स्निग्ध एवं सुशीतल छाया में हिरण-हिरणियाँ तथा वन के अन्य प्राणी यमुना का मधुर जलपान कर विश्राम करते थे।
  • माता यशोदा आदि ग्वालबालों की माताएँ अपने-अपने पुत्रों के लिए दोपहर का 'छाक' गोपों के माध्यम से अधिकांश इसी निर्दिष्ट भांडीरवट पर भेज दिया करती थीं।
  • श्रीकृष्ण-बलदेव सखाओं के साथ गोचारण करते हुए यमुना में गायों को जलपान कराकर निकट की हरी-भरी घासों से पूर्ण वन में चरने के लिए छोड़ देते थे। वे स्वयं यमुना के शीतल जल में स्नान एवं जलक्रीड़ा कर इस वट की सुशीतल छाया में बैठकर माताओं के द्वारा प्रेरित विविध प्रकार के सुस्वादु अन्न व्यंजन का सेवन करते थे। श्रीकृष्ण सबके मध्य में बैठते। सखा लोग चारों ओर से घेर कर हज़ारों पंक्तियों में अगल-बगल एवं आगे-पीछे बैठ जाते। ये सभी सखा पीछे या दूर रहने पर भी अपने को श्रीकृष्ण के सबसे निकट सामने देखते थे। ये परस्पर सबको हँसते-हँसाते हुए विविध प्रकार की क्रीड़ाएँ करते हुए भोजन सम्पन्न करते थे। आकाश से ब्रह्मा आदि देवगण उनके भोजन क्रीड़ा-कौतुक देखकर आश्चर्यचकित हो जाते थे।
  • इसी वट वृक्ष के नीचे श्रीराधा-कृष्ण युगल का ब्रह्मा जी द्वारा गान्धर्व विवाह सम्पन्न हुआ था।


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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