बालि महाबल अति रनधीरा
बालि महाबल अति रनधीरा
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | किष्किंधा काण्ड |
कह सुग्रीव सुनहु रघुबीरा। बालि महाबल अति रनधीरा॥ |
- भावार्थ
सुग्रीव ने कहा- हे रघुवीर! सुनिए, बालि महान बलवान और अत्यंत रणधीर है। फिर सुग्रीव ने श्री राम जी को दुंदुभि राक्षस की हड्डियाँ व ताल के वृक्ष दिखलाए। श्री रघुनाथ जी ने उन्हें बिना ही परिश्रम के (आसानी से) ढहा दिया।
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दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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