जान आदिकबि नाम प्रतापू

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जान आदिकबि नाम प्रतापू
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
चौपाई

जान आदिकबि नाम प्रतापू। भयउ सुद्ध करि उलटा जापू॥
सहस नाम सम सुनि सिव बानी। जपि जेईं पिय संग भवानी॥

भावार्थ-

आदिकवि वाल्मीकि राम नाम के प्रताप को जानते हैं, जो उलटा नाम ('मरा', 'मरा') जपकर पवित्र हो गए। शिव के इस वचन को सुनकर कि एक राम-नाम सहस्र नाम के समान है, पार्वती सदा अपने पति (शिव) के साथ राम-नाम का जप करती रहती हैं।


left|30px|link=महामंत्र जोइ जपत महेसू|पीछे जाएँ जान आदिकबि नाम प्रतापू right|30px|link=हरषे हेतु हेरि हर ही को|आगे जाएँ

चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


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