जाहु बेगि संकट अति भ्राता

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 08:22, 24 May 2016 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replacement - "चौपाई छंद" to "चौपाई, छंद")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
जाहु बेगि संकट अति भ्राता
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अरण्यकाण्ड
चौपाई

जाहु बेगि संकट अति भ्राता। लछिमन बिहसि कहा सुनु माता॥
भृकुटि बिलास सृष्टि लय होई। सपनेहुँ संकट परइ कि सोई॥2॥

भावार्थ

तुम शीघ्र जाओ, तुम्हारे भाई बड़े संकट में हैं। लक्ष्मणजी ने हँसकर कहा- हे माता! सुनो, जिनके भ्रृकुटि विलास (भौं के इशारे) मात्र से सारी सृष्टि का लय (प्रलय) हो जाता है, वे श्री रामजी क्या कभी स्वप्न में भी संकट में पड़ सकते हैं?॥2॥



left|30px|link=खल बधि तुरत फिरे रघुबीरा|पीछे जाएँ जाहु बेगि संकट अति भ्राता right|30px|link=मरम बचन जब सीता बोला|आगे जाएँ


चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः