महादेव अवगुन भवन

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महादेव अवगुन भवन
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

महादेव अवगुन भवन बिष्नु सकल गुन धाम।
जेहि कर मनु रम जाहि सन तेहि तेही सन काम॥80॥

भावार्थ-

माना कि महादेव जी अवगुणों के भवन हैं और विष्णु समस्त सद्‍गुणों के धाम हैं, पर जिसका मन जिसमें रम गया, उसको तो उसी से काम है॥80॥


left|30px|link=नारद बचन न मैं परिहरऊँ|पीछे जाएँ महादेव अवगुन भवन right|30px|link=जौं तुम्ह मिलतेहु प्रथम मुनीसा|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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