चारु चिबुक नासिका कपोला

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चारु चिबुक नासिका कपोला
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
चौपाई

चारु चिबुक नासिका कपोला। हास बिलास लेत मनु मोला॥
मुखछबि कहि न जाइ मोहि पाहीं। जो बिलोकि बहु काम लजाहीं॥

भावार्थ-

ठोड़ी, नाक और गाल बड़े सुंदर हैं, और हँसी की शोभा मन को मोल लिए लेती है। मुख की छवि तो मुझसे कही ही नहीं जाती, जिसे देखकर बहुत- से कामदेव लजा जाते हैं।


left|30px|link=भाल तिलक श्रमबिंदु सुहाए|पीछे जाएँ चारु चिबुक नासिका कपोला right|30px|link=उर मनि माल कंबु कल गीवा|आगे जाएँ

चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


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