सुनत तीरबासी नर नारी

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सुनत तीरबासी नर नारी
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अयोध्या काण्ड
चौपाई

सुनत तीरबासी नर नारी। धाए निज निज काज बिसारी॥
लखन राम सिय सुंदरताई। देखि करहिं निज भाग्य बड़ाई॥1॥

भावार्थ

यमुनाजी के किनारे पर रहने वाले स्त्री-पुरुष (यह सुनकर कि निषाद के साथ दो परम सुंदर सुकुमार नवयुवक और एक परम सुंदरी स्त्री आ रही है) सब अपना-अपना काम भूलकर दौड़े और लक्ष्मणजी, श्री रामजी और सीताजी का सौंदर्य देखकर अपने भाग्य की बड़ाई करने लगे॥1॥


left|30px|link=बिदा किए बटु बिनय|पीछे जाएँ सुनत तीरबासी नर नारी right|30px|link=अति लालसा बसहिं मन माहीं|आगे जाएँ


चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।




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