बधि बिराध खर दूषनहि

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बधि बिराध खर दूषनहि
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक 'रामचरितमानस'
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि।
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली दोहा, चौपाई और सोरठा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड लंकाकाण्ड
दोहा

बधि बिराध खर दूषनहि लीलाँ हत्यो कबंध।
बालि एक सर मार्‌यो तेहि जानहु दसकंध॥ 36॥

भावार्थ

जिन्होंने विराध और खर-दूषण को मारकर लीला से ही कबंध को भी मार डाला; और जिन्होंने बालि को एक ही बाण से मार दिया, हे दशकंध! आप उन्हें (उनके महत्त्व को) समझिए!॥ 36॥


left|30px|link=सूपनखा कै गति तुम्ह देखी|पीछे जाएँ बधि बिराध खर दूषनहि right|30px|link=जेहिं जलनाथ बँधायउ हेला|आगे जाएँ


दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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