काम चरित नारद सब भाषे

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काम चरित नारद सब भाषे
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
चौपाई

काम चरित नारद सब भाषे। जद्यपि प्रथम बरजि सिवँ राखे॥
अति प्रचंड रघुपति कै माया। जेहि न मोह अस को जग जाया॥

भावार्थ-

यद्यपि शिव ने उन्हें पहले से ही बरज रखा था, तो भी नारद ने कामदेव का सारा चरित्र भगवान को कह सुनाया। रघुनाथ की माया बड़ी ही प्रबल है। जगत् में ऐसा कौन जन्मा है, जिसे वे मोहित न कर दें।


left|30px|link=हरषि मिले उठि रमानिकेता|पीछे जाएँ काम चरित नारद सब भाषे right|30px|link=रूख बदन करि बचन|आगे जाएँ

चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


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