षट्खण्डागम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 09:59, 14 May 2020 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) (''''षट्खण्डागम''' (अंग्रेज़ी: ''Shatkhandagama'') सबसे प्राचीन पव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

षट्खण्डागम (अंग्रेज़ी: Shatkhandagama) सबसे प्राचीन पवित्र धर्म ग्रंथ है, जिसका सम्बंध दिगम्बर जैन सम्प्रदाय से है। दिगंबर परंपरा के अनुसार मूल धर्मवैधानिक शास्त्र महावीर के निर्वाण के कुछ शताब्दियों के बाद ही लुप्त हो गये थे। अतः षट्खण्डागम को आगम का दर्जा दिया गया है और इसे सबसे श्रद्धेय माना गया है। दिगम्बरों के लिए षट्खण्डागम की अहमियत इस बात से लगायी जा सकती है कि जिस दिन षट्खण्डागम पर धवला टीका को पूरा किया गया था, उस दिन को श्रुत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।

  • कहा जाता कि षट्खण्डागम दिगम्बर साधु आचार्य धरसेन के द्वारा दिए गए आगम के मौखिक उपदेशों पर आधारित है।
  • मान्यतानुसार, शास्त्रों के घटते ज्ञान से चिंतित होकर धरसेन ने दो साधुओं, आचार्य पुष्पदंत और आचार्य भूतबलि को अपने आश्रयस्थल, गिरनार पर्वत, गुजरात में स्थित चंद्र गुफा में बुलाया। धरसेन ने वृहद मूल पवित्र जैन ज्ञान में से दोनों मुनियों को याद ज्ञान संप्रेषित किया। उन्होंने आगम के पाँचवें और बारहवें अंगों के कुछ भागों का भी ज्ञान दिया। यह सारा ज्ञान दोनों साधुओं द्वारा सूत्रों के रूप में लिपिबद्ध कर लिया गया। आचार्य पुष्पदंत ने शुरू के 177 सूत्र लिखे और आचार्य भूतबलि ने बाकी सूत्र लिखे। कुल लगभग 6000 सूत्र लिखे गये।
  • षट्खण्डागम‎, जैसा की नाम से ही ज्ञात होता है, छ: भागों में विभाजित शास्त्र है। इसके निम्न छ: भाग हैं-
  1. जीवस्थान
  2. क्षुद्रकबन्ध
  3. बन्धस्वामित्व
  4. वेदना
  5. वर्गणा
  6. महाबन्ध
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः