Difference between revisions of "सिटी पैलेस संग्रहालय उदयपुर"

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सिटी पैलेस महल का मुख्‍य हिस्‍सा अब एक संग्रहालय के रूप में सं‍रक्षित कर दिया गया है। यह संग्रहालय कलात्‍मक वस्‍तुओं का एक बड़ा और विविध संग्रह प्रदर्शित करता है। सिटी पैलेस के संग्रहालय में जाने के लिए गणेश दहरी से प्रवेश किया जाता है। यह रास्‍ता आगे राज्‍य आँगन की ओर जाता है यहीं पर वह स्‍थान है जहाँ महाराणा [[उदय सिंह]] उस संत से मिले थे, जिसने उन्‍हें यहाँ पर शहर बनाने के लिए कहा था। [[राजस्थान]], उदयपुर के एक शस्‍त्र संग्रहालय में सुरक्षात्‍मक औज़ारों और हथियारों के साथ जानलेवा दो धारी तलवार भी शामिल हैं। इस महल के कमरे शीशों, टाइलों और तस्‍वीरों से सजे हुए हैं।
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{{सूचना बक्सा पर्यटन
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|चित्र=City-Palace-Museum-Udaipur.jpg
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|चित्र का नाम=सिटी पैलेस संग्रहालय, उदयपुर
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|विवरण=सिटी पैलेस संग्रहालय [[उदयपुर]] में [[सिटी पैलेस काम्‍पलेक्‍स उदयपुर|सिटी पैलेस काम्‍पलेक्‍स]] के अंदर स्थित है।
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|राज्य=[[राजस्थान]]
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|केन्द्र शासित प्रदेश=
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|ज़िला=उदयपुर ज़िला
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|निर्माता=
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|स्वामित्व=
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|प्रबंधक=
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|निर्माण काल=19 वीं शताब्‍दी
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|स्थापना=
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|भौगोलिक स्थिति=उत्तर- 24.576°; पूर्व- 73.683°
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|मार्ग स्थिति=सिटी पैलेस संग्रहालय उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन से 2.4 किलोमीटर की दूरी पर है।
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|प्रसिद्धि=[[चित्रकला राजपूत शैली#मेवाड़ शैली|मेवाड़ शैली]] में बने हुए चित्र
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|कब जाएँ=[[अक्टूबर]] से [[फ़रवरी]]
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|यातायात=
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|हवाई अड्डा=महाराणा प्रताप हवाई अड्डा डबौक
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|रेलवे स्टेशन=उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन
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|बस अड्डा=बस अड्डा उदयपुर
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|कैसे पहुँचें=टैक्सी, ऑटो रिक्शा, टांगा, सिटी बस
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|क्या देखें=महल, झीलें, बगीचें, संग्रहालय तथा स्‍मारक
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|कहाँ ठहरें=होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
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|क्या खायें=
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|क्या ख़रीदें=
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|एस.टी.डी. कोड=
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|ए.टी.एम=
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|सावधानी=
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|मानचित्र लिंक=[http://maps.google.com/maps?q=City+Palace+Museum,+Udaipur,+Rajasthan,+India&hl=en&ll=24.576788,73.682685&spn=0.008937,0.01929&sll=-17.978733,5.625&sspn=165.522171,272.109375&vpsrc=6&geocode=FWUAdwEd3FFkBA&z=16 गूगल मानचित्र]
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|संबंधित लेख=
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|शीर्षक 1=
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|शीर्षक 2=
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|पाठ 2=
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[[उदयपुर]] [[राजस्थान]] का एक ख़ूबसूरत शहर है। और [[उदयपुर पर्यटन]] का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है। सिटी पैलेस के संग्रहालय में जाने के लिए गणेश दहरी से प्रवेश किया जाता है। यह रास्‍ता आगे राज्‍य आँगन की ओर जाता है यहीं पर वह स्‍थान है जहाँ महाराणा [[राणा उदयसिंह|उदयसिंह]] उस संत से मिले थे, जिसने उन्‍हें यहाँ पर शहर बनाने के लिए कहा था। राजस्थान, उदयपुर के एक शस्‍त्र संग्रहालय में सुरक्षात्‍मक औज़ारों और हथियारों के साथ जानलेवा दो धारी तलवार भी शामिल हैं। इस महल के कमरे शीशों, टाइलों और तस्‍वीरों से सजे हुए हैं।
  
यहाँ के सभी चित्र [[मेवाड़]] शैली में बने हुए हैं। [[उदयपुर]] संग्रहालय में प्रवेश करते ही आप की नजर कुछ बेहतरीन चित्रों पर पड़ेगी। यह चित्र [[श्रीनाथजी]], [[उदयपुर एकलिंगजी|एकलिंगजी]] तथा [[चतुर्भुजजी]] जी के हैं।  
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यहाँ के सभी चित्र [[चित्रकला राजपूत शैली#मेवाड़ शैली|मेवाड़ शैली]] में बने हुए हैं। उदयपुर संग्रहालय में प्रवेश करते ही आप की नज़र कुछ बेहतरीन चित्रों पर पड़ेगी। यह चित्र श्रीनाथजी, [[उदयपुर एकलिंगजी|एकलिंगजी]] तथा चतुर्भुजजी जी के हैं।  
  
 
इसके बाद यहाँ महल तथा चौक मिलने आरम्‍भ होते हैं। इन सभी में इनके बनने का समय तथा इन्‍हें बनाने वाले का उल्‍लेख मिलता है।  
 
इसके बाद यहाँ महल तथा चौक मिलने आरम्‍भ होते हैं। इन सभी में इनके बनने का समय तथा इन्‍हें बनाने वाले का उल्‍लेख मिलता है।  
 
*सबसे पहले राज्‍य आँगन मिलता है।  
 
*सबसे पहले राज्‍य आँगन मिलता है।  
*राज्य आँगन बाद [[चंद्र महल]] आता है। यहाँ से [[पिछोला झील]] का बहुत सुंदर नजारा दिखता है।  
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*राज्य आँगन बाद चंद्र महल आता है। यहाँ से [[पिछोला झील]] का बहुत सुंदर नज़ारा दिखता है।  
*[[बादी महल]] या [[अमर विलास महल]] पत्‍थरों से बना हुआ है। इस भवन के साथ बगीचा भी लगा हुआ है। भवन में काँच का बुर्ज एक कमरा है जो लाल रंग के शीशे से बना हुआ है।
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*बादी महल या अमर विलास महल पत्‍थरों से बना हुआ है। इस भवन के साथ बगीचा भी लगा हुआ है। भवन में काँच का बुर्ज एक कमरा है जो लाल रंग के शीशे से बना हुआ है।
*कृष्‍णा निवास में [[मेवाड़ शैली]] के बहुत से चित्र बने हुए है। इसका एक कमरा जेम्‍स टोड को समर्पित है। इसमें टोड का लिखा हुआ इतिहास तथा उनके कुछ चित्र हैं।  
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*कृष्‍णा निवास में [[चित्रकला राजपूत शैली#मेवाड़ शैली|मेवाड़ शैली]] के बहुत से चित्र बने हुए है। इसका एक कमरा जेम्‍स टोड को समर्पित है। इसमें टोड का लिखा हुआ इतिहास तथा उनके कुछ चित्र हैं।  
*[[मोर चौक]] का निर्माण 1620 ई.में हुआ था। 19वीं शताब्‍दी में इसमें तीन नाचते हुए हिरण की मूर्त्ति स्‍थापित की गई।  
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*मोर चौक का निर्माण 1620 ई.में हुआ था। 19वीं शताब्‍दी में इसमें तीन नाचते हुए हिरण की मूर्त्ति स्‍थापित की गई।  
*[[जनाना महल]] राजपरिवार की महिलाओं का निवास स्‍थान था।  
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*'जनाना महल' राजपरिवार की महिलाओं का निवास स्‍थान था।  
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==सम्बंधित लिंक==
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==संबंधित लेख==
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Latest revision as of 10:20, 8 December 2014

siti pailes sangrahalay udayapur
vivaran siti pailes sangrahalay udayapur mean siti pailes kamh‍palekh‍s ke aandar sthit hai.
rajy rajasthan
zila udayapur zila
nirman kal 19 vian shatabh‍di
bhaugolik sthiti uttar- 24.576°; poorv- 73.683°
marg sthiti siti pailes sangrahalay udayapur siti relave steshan se 2.4 kilomitar ki doori par hai.
prasiddhi meva d shaili mean bane hue chitr
kab jaean aktoobar se faravari
kaise pahuanchean taiksi, aauto riksha, taanga, siti bas
havaee adda maharana pratap havaee adda dabauk
relave steshan udayapur siti relave steshan
bas adda bas adda udayapur
kya dekhean mahal, jhilean, bagichean, sangrahalay tatha sh‍marak
kahaan thaharean hotal, dharmashala, atithi grah
chitr:Map-icon.gif googal manachitr
adyatan‎

udayapur rajasthan ka ek khoobasoorat shahar hai. aur udayapur paryatan ka sabase akarshak sthal mana jata hai. siti pailes ke sangrahalay mean jane ke lie ganesh dahari se pravesh kiya jata hai. yah rash‍ta age rajh‍y aangan ki or jata hai yahian par vah sh‍than hai jahaan maharana udayasianh us sant se mile the, jisane unh‍hean yahaan par shahar banane ke lie kaha tha. rajasthan, udayapur ke ek shash‍tr sangrahalay mean surakshath‍mak auzaroan aur hathiyaroan ke sath janaleva do dhari talavar bhi shamil haian. is mahal ke kamare shishoan, tailoan aur tash‍viroan se saje hue haian.

yahaan ke sabhi chitr meva d shaili mean bane hue haian. udayapur sangrahalay mean pravesh karate hi ap ki nazar kuchh behatarin chitroan par p degi. yah chitr shrinathaji, ekaliangaji tatha chaturbhujaji ji ke haian.

isake bad yahaan mahal tatha chauk milane aramh‍bh hote haian. in sabhi mean inake banane ka samay tatha inh‍hean banane vale ka ulh‍lekh milata hai.

  • sabase pahale rajh‍y aangan milata hai.
  • rajy aangan bad chandr mahal ata hai. yahaan se pichhola jhil ka bahut suandar nazara dikhata hai.
  • badi mahal ya amar vilas mahal path‍tharoan se bana hua hai. is bhavan ke sath bagicha bhi laga hua hai. bhavan mean kaanch ka burj ek kamara hai jo lal rang ke shishe se bana hua hai.
  • krishh‍na nivas mean meva d shaili ke bahut se chitr bane hue hai. isaka ek kamara jemh‍s tod ko samarpit hai. isamean tod ka likha hua itihas tatha unake kuchh chitr haian.
  • mor chauk ka nirman 1620 ee.mean hua tha. 19vian shatabh‍di mean isamean tin nachate hue hiran ki moortti sh‍thapit ki gee.
  • 'janana mahal' rajaparivar ki mahilaoan ka nivas sh‍than tha.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

sanbandhit lekh