काम कोह कलिमल करिगन के

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काम कोह कलिमल करिगन के
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
चौपाई

काम कोह कलिमल करिगन के। केहरि सावक जन मन बन के॥
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के। कामद घन दारिद दवारि के॥

भावार्थ-

भक्तों के मनरूपी वन में बसनेवाले काम, क्रोध और कलियुग के पापरूपी हाथियों को मारने के लिए सिंह के बच्चे हैं। शिव के पूज्य और प्रियतम अतिथि हैं और दरिद्रतारूपी दावानल के बुझाने के लिए कामना पूर्ण करनेवाले मेघ हैं।


left|30px|link=समन पाप संताप सोक के|पीछे जाएँ काम कोह कलिमल करिगन के right|30px|link=मंत्र महामनि बिषय ब्याल के|आगे जाएँ

चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


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