बिस्वरूप रघुबंस मनि

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बिस्वरूप रघुबंस मनि
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक 'रामचरितमानस'
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि।
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली दोहा, चौपाई और सोरठा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड लंकाकाण्ड
दोहा

बिस्वरूप रघुबंस मनि करहु बचन बिस्वासु।
लोक कल्पना बेद कर अंग अंग प्रति जासु॥ 14॥

भावार्थ

मेरे इन वचनों पर विश्वास कीजिए कि ये रघुकुल के शिरोमणि राम विश्व रूप हैं - (यह सारा विश्व उन्हीं का रूप है) वेद जिनके अंग-अंग में लोकों की कल्पना करते हैं॥ 14॥



left|30px|link=सजल नयन कह जुग कर जोरी|पीछे जाएँ बिस्वरूप रघुबंस मनि right|30px|link=पद पाताल सीस अज धामा|आगे जाएँ


दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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