रन चढ़ि करिअ कपट चतुराई

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
रन चढ़ि करिअ कपट चतुराई
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अरण्यकाण्ड
चौपाई

रन चढ़ि करिअ कपट चतुराई। रिपु पर कृपा परम कदराई॥
दूतन्ह जाइ तुरत सब कहेऊ। सुनि खर दूषन उर अति दहेऊ॥7॥

भावार्थ

रण में चढ़ आकर कपट-चतुराई करना और शत्रु पर कृपा करना (दया दिखाना) तो बड़ी भारी कायरता है। दूतों ने लौटकर तुरंत सब बातें कहीं, जिन्हें सुनकर खर-दूषण का हृदय अत्यंत जल उठा॥7॥



left|30px|link=जद्यपि मनुज दनुज कुल घालक|पीछे जाएँ रन चढ़ि करिअ कपट चतुराई right|30px|link=उर दहेउ कहेउ कि धरहु|आगे जाएँ


चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः