तोल्काप्पियम: Difference between revisions
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*इस ग्रंथ में प्रेम विवाह को 'पंचतिणै', एक पक्षीय प्रेम को 'कैक्किणै' एवं अनुचित प्रेम को 'पेरुन्दिणै' कहा गया है। | |||
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Latest revision as of 11:30, 2 July 2011
- तोल्काप्पियम 'द्वितीय संगम' का एक मात्र शेष ग्रंथ है।
- अगस्त्य ऋषि के बारह योग्य शिष्यों में से एक 'तोल्काप्पियर' द्वारा यह ग्रंथ लिखा गया था।
- सूत्र शैली में रचा गया यह ग्रंथ तमिल भाषा का प्राचीनतम व्याकरण ग्रंथ है।
- संगमकालीन इस ग्रंथ में आठों प्रकार के विवाहों का उल्लेख मिलता है।
- इस ग्रंथ में प्रेम विवाह को 'पंचतिणै', एक पक्षीय प्रेम को 'कैक्किणै' एवं अनुचित प्रेम को 'पेरुन्दिणै' कहा गया है।
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