Difference between revisions of "नांदुड़"

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*नांदुड़ एक ऐतिहासिक स्थान जो [[मध्य प्रदेश]] के [[रायसेन ज़िला|रायसेन ज़िले]] में [[कौशाम्बी]] से [[नासिक]] जाने वाले प्राचीन व्यापार मार्ग पर स्थित है। नांदुड़ का प्राचीन नाम नंदीपुर था।  
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*नांदुड़ एक ऐतिहासिक स्थान है जो [[मध्य प्रदेश]] के [[रायसेन ज़िला|रायसेन ज़िले]] में [[कौशाम्बी]] से [[नासिक]] जाने वाले प्राचीन व्यापार मार्ग पर स्थित है। नांदुड़ का प्राचीन नाम नंदीपुर था।  
 
*नांदुड़ ई.पू पाँचवीं शताब्दी में आबाद हुआ।  
 
*नांदुड़ ई.पू पाँचवीं शताब्दी में आबाद हुआ।  
 
*नांदुड़ में 400-300 ई.पू के आहत सिक्के मिले हैं।  
 
*नांदुड़ में 400-300 ई.पू के आहत सिक्के मिले हैं।  
*नांदुड़ में [[काला रंग|काला]] और लाल रंगवाला मृदभाण्ड ईसा की पहली शताब्दी तक अस्तित्व में रहा। लगभग 200 ई.पू से 100 ई. के मध्य के काल में [[शंख]] और मिट्टी की बनी [[चूड़ी|चूड़ियाँ]] [[लोह|लोहे]] के उपकरण और [[ताँबा|ताँबे]] के सिक्के पाए जाते हैं।  
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*नांदुड़ में [[काला रंग|काला]] और लाल रंग वाला मृद्भाण्ड ईसा की पहली शताब्दी तक अस्तित्व में रहा।  
*चित्रित और छापांकित रुपांकन वाले मृदभाण्ड और [[कुषाण|कुषाणों]] तथा क्षत्रयों के समय की कुछ अभिलिखित मोहरों की तिथि ईसा की पहली शताब्दी से चौथी शताब्दी के बीच मानी गयी है।  
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*लगभग 200 ई.पू से 100 ई. के मध्य के काल में [[शंख]] और [[मिट्टी]] की बनी [[चूड़ी|चूड़ियाँ]] [[लोह|लोहे]] के उपकरण और [[ताँबा|ताँबे]] के सिक्के पाए जाते हैं।  
*ईसा की चौथी से छठी शताब्दी के काल में धूसर मृदभाण्ड के पात्र और अभिलिखित मोहरें मिलती हैं।  
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*चित्रित और छापांकित रुपांकन वाले मृद्भाण्ड और [[कुषाण|कुषाणों]] तथा क्षत्रियों के समय की कुछ अभिलिखित मोहरों की तिथि ईसा की पहली शताब्दी से चौथी शताब्दी के बीच मानी गयी है।  
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*ईसा की चौथी से छठी शताब्दी के काल में धूसर मृद्भाण्ड के पात्र और अभिलिखित मोहरें मिलती हैं।  
 
*मोहरों पर अंकित 'विषय' (ज़िला) और महादण्डनायक (मुख्य दण्डाधिकारी) शब्दों से संकेत मिलता है कि नांदुड़ किसी ज़िले का मुख्यालय था। लगभग इसी तरह की मोहरें भीटा और [[वैशाली]] में [[गुप्त काल|गुप्तकालीन]] स्तरों से पाई गई हैं।  
 
*मोहरों पर अंकित 'विषय' (ज़िला) और महादण्डनायक (मुख्य दण्डाधिकारी) शब्दों से संकेत मिलता है कि नांदुड़ किसी ज़िले का मुख्यालय था। लगभग इसी तरह की मोहरें भीटा और [[वैशाली]] में [[गुप्त काल|गुप्तकालीन]] स्तरों से पाई गई हैं।  
 
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*गुप्तकालीन अन्य [[अवशेष]] भी नांदुड़ से प्राप्त हुए हैं किंतु पूर्व मध्यकाल में सम्भवत: यह स्थल उजड़ गया था।
*गुप्तकालीन अन्य अवशेष भी नांदुड़ से प्राप्त हुए हैं किंतु पूर्व मध्यकाल में सम्भवत: यह स्थल उजड़ गया था।
 
  
  
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Revision as of 07:49, 7 October 2011

naandu d / nandipur

  • naandu d ek aitihasik sthan hai jo madhy pradesh ke rayasen zile mean kaushambi se nasik jane vale prachin vyapar marg par sthit hai. naandu d ka prachin nam nandipur tha.
  • naandu d ee.poo paanchavian shatabdi mean abad hua.
  • naandu d mean 400-300 ee.poo ke ahat sikke mile haian.
  • naandu d mean kala aur lal rang vala mridbhand eesa ki pahali shatabdi tak astitv mean raha.
  • lagabhag 200 ee.poo se 100 ee. ke madhy ke kal mean shankh aur mitti ki bani choo diyaan lohe ke upakaran aur taanbe ke sikke pae jate haian.
  • chitrit aur chhapaankit rupaankan vale mridbhand aur kushanoan tatha kshatriyoan ke samay ki kuchh abhilikhit moharoan ki tithi eesa ki pahali shatabdi se chauthi shatabdi ke bich mani gayi hai.
  • eesa ki chauthi se chhathi shatabdi ke kal mean dhoosar mridbhand ke patr aur abhilikhit moharean milati haian.
  • moharoan par aankit 'vishay' (zila) aur mahadandanayak (mukhy dandadhikari) shabdoan se sanket milata hai ki naandu d kisi zile ka mukhyalay tha. lagabhag isi tarah ki moharean bhita aur vaishali mean guptakalin staroan se paee gee haian.
  • guptakalin any avashesh bhi naandu d se prapt hue haian kiantu poorv madhyakal mean sambhavat: yah sthal uj d gaya tha.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh


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