बिस्वां: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''बिस्वां''' सीतापुर ज़िला, उत्तर प्रदेश का [[ऐतिहास...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "<references/> *पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्रंथ अका) |
||
(2 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 2: | Line 2: | ||
*[[महमूद ग़ज़नवी]] के भतीजे 'सालार मसूद' के अनुयायियों के कई मक़बरे यहाँ हैं, जिनमें 'हकरतिया का रौजा' बहुत प्रसिद्ध है। | *[[महमूद ग़ज़नवी]] के भतीजे 'सालार मसूद' के अनुयायियों के कई मक़बरे यहाँ हैं, जिनमें 'हकरतिया का रौजा' बहुत प्रसिद्ध है। | ||
*जलालपुर के तालुकेदार मुमताज हुसैन ने [[मुग़ल]] बादशाह [[शाहजहाँ]] के शासन काल में यहाँ एक मसजिद बनवाई थी, जो अब भी विद्यमान है। यह कंकर के विशालखंडों से निर्मित की गई थी। | *[[जलालपुर]] के तालुकेदार मुमताज हुसैन ने [[मुग़ल]] बादशाह [[शाहजहाँ]] के शासन काल में यहाँ एक मसजिद बनवाई थी, जो अब भी विद्यमान है। यह कंकर के विशालखंडों से निर्मित की गई थी। | ||
*मसजिद की मीनारों में [[हिन्दू|हिन्दुओं]] की [[कला]] की छाप स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। | *मसजिद की मीनारों में [[हिन्दू|हिन्दुओं]] की [[कला]] की छाप स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। | ||
Line 8: | Line 8: | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
*ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}} | {{उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}} | ||
[[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:ऐतिहासिक स्थल]][[Category:इतिहास कोश]] | [[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:ऐतिहासिक स्थल]][[Category:इतिहास कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 07:13, 16 June 2013
बिस्वां सीतापुर ज़िला, उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक स्थान और नगर है। कहा जाता है कि 1350 ई. में 'विश्वनाथ' नाम के एक संत ने इस नगर को बसाया था। तभी से उनके नाम पर ही यह बिस्वां नाम से प्रसिद्ध है।[1]
- महमूद ग़ज़नवी के भतीजे 'सालार मसूद' के अनुयायियों के कई मक़बरे यहाँ हैं, जिनमें 'हकरतिया का रौजा' बहुत प्रसिद्ध है।
- जलालपुर के तालुकेदार मुमताज हुसैन ने मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के शासन काल में यहाँ एक मसजिद बनवाई थी, जो अब भी विद्यमान है। यह कंकर के विशालखंडों से निर्मित की गई थी।
- मसजिद की मीनारों में हिन्दुओं की कला की छाप स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 633 |
- ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार