राप्ती नदी: Difference between revisions

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'''राप्ती नदी / इरावती'''
'''राप्ती नदी / इरावती'''
*पूर्व-[[उत्तर प्रदेश]] की राप्ती का भी प्राचीन नाम इरावती था।
*यह नदी कुशीनगर के निकट बहती थी। जैसा कि [[बुद्धचरित]] <ref>बुद्धचरित 25, 53</ref> के उल्लेख से सूचित होता है-
<blockquote>'इस तरह कुशीनगर आते समय चुंद के साथ तथागत ने इरावती नदी पार की और स्वयं उस नगर के एक उपभवन में ठहरे जहां कमलों से सुशोभित एक प्रशान्त सरोवर स्थित था।'</blockquote>
*अचिरावती या अजिरावती इरावती के वैकल्पिक रूप हो सकते हैं।
*बुद्धचरित के चीनी-अनुवाद में इस नदी के लिए 'कुकु' शब्द है जो पाली के कुकुत्था का चीनी रूप है।
*बुद्धचरित <ref>बुद्धचरित 25, 54</ref> में वर्णन है कि निर्वाण के पूर्व [[बुद्ध|गौतम बुद्ध]] ने हिरण्यवती नदी में स्नान किया था जो कुशीनगर के उपवन के समीप बहती थी। यह इरावती या राप्ती की ही एक शाखा जान पड़ती है।
*स्मिथ के विचार में यह गंडक है जो ठीक नहीं जान पड़ता।
*बुद्धचरित <ref>बुद्धचरित, 27, 70</ref> के अनुसार बुद्ध की मृत्यु के पश्चात मल्लों ने उनके शरीर के दाहसंस्कार के लिए हिरण्यवती नदी को पार करके मुकुटचैत्य के नीचे चिता बनाई थी।
*संभव है [[महाभारत]] <ref>महाभारत सभा पर्व 9, 22</ref> का वारवत्या भी राप्ती ही हो।


==टीका टिप्पणी==
'''राप्ती''' पूर्वी [[उत्तर प्रदेश]] की नदी है। राप्ती संभवतः 'वारवत्या' या 'इरावती' का [[अपभ्रंश]] है। कुछ विद्वानों के मत में यह [[बौद्ध साहित्य]] की 'अचिरावती' है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=786|url=}}</ref> यह नदी [[नेपाल]] की लघु [[हिमालय]] श्रेणियों में धौलागिरि के दक्षिण में रुकुमकोट के निकट से निकलकर पहले दक्षिण में और फिर पश्चिम में बहती है। तत्पश्चात् एक बार पुनः दक्षिण की ओर बहने के बाद [[बहराइच ज़िला|बहराइच]], [[गोंडा ज़िला|गोंडा]], [[बस्ती ज़िला|बस्ती]] और [[गोरखपुर ज़िला|गोरखपुर ज़िलों]] में बहती हुई बरहज के निकट [[घाघरा नदी]] से मिल जाती है।
 
*इस नदी की कुल लम्बाई 640 किलोमीटर है।
*राप्ती नदी के उत्तर की ओर से [[रोहिणी नदी]] आकर इसमें मिलती है, जो कि इसकी मुख्य सहायक नदी है।
*यह नदी [[कुशीनगर]] के निकट बहती थी, जैसा कि '[[बुद्धचरित]]'<ref>बुद्धचरित 25, 53</ref> के उल्लेख से सूचित होता है-
<blockquote>'इस तरह कुशीनगर आते समय चुंद के साथ [[तथागत]] ने इरावती नदी पार की और स्वयं उस नगर के एक उपभवन में ठहरे, जहाँ कमलों से सुशोभित एक प्रशान्त सरोवर स्थित था।'</blockquote>
*[[अचिरवती नदी|अचिरवती]] या [[अजिरावती नदी|अजिरावती]] इरावती के वैकल्पिक रूप हो सकते हैं।
*'बुद्धचरित' के चीनी-अनुवाद में इस नदी के लिए 'कुकु' शब्द है, जो [[पाली भाषा|पाली]] के 'कुकुत्था' का चीनी रूप है।
*'बुद्धचरित'<ref>बुद्धचरित 25, 54</ref> में वर्णन है कि [[निर्वाण]] के पूर्व [[बुद्ध|गौतम बुद्ध]] ने [[हिरण्यवती नदी]] में [[स्नान]] किया था, जो कुशीनगर के उपवन के समीप बहती थी। यह इरावती या राप्ती की ही एक शाखा जान पड़ती है।
*उत्तरी भाग में इस नदी की एक मुख्य धारा बूढ़ी गण्डक के नाम से जाती है।
*'बुद्धचरित'<ref>बुद्धचरित, 27, 70</ref> के अनुसार बुद्ध की मृत्यु के पश्चात् मल्लों ने उनके शरीर के [[दाह संस्कार]] के लिए [[हिरण्यवती नदी]] को पार करके 'मुकुट चैत्य' के नीचे चिता बनाई थी।
*संभव है [[महाभारत]], [[सभापर्व महाभारत|सभापर्व]]<ref>सभापर्व 9, 22</ref> की '[[वारवत्या]]' भी [[राप्ती नदी|राप्ती]] ही हो।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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Latest revision as of 07:31, 7 November 2017

राप्ती नदी / इरावती

राप्ती पूर्वी उत्तर प्रदेश की नदी है। राप्ती संभवतः 'वारवत्या' या 'इरावती' का अपभ्रंश है। कुछ विद्वानों के मत में यह बौद्ध साहित्य की 'अचिरावती' है।[1] यह नदी नेपाल की लघु हिमालय श्रेणियों में धौलागिरि के दक्षिण में रुकुमकोट के निकट से निकलकर पहले दक्षिण में और फिर पश्चिम में बहती है। तत्पश्चात् एक बार पुनः दक्षिण की ओर बहने के बाद बहराइच, गोंडा, बस्ती और गोरखपुर ज़िलों में बहती हुई बरहज के निकट घाघरा नदी से मिल जाती है।

  • इस नदी की कुल लम्बाई 640 किलोमीटर है।
  • राप्ती नदी के उत्तर की ओर से रोहिणी नदी आकर इसमें मिलती है, जो कि इसकी मुख्य सहायक नदी है।
  • यह नदी कुशीनगर के निकट बहती थी, जैसा कि 'बुद्धचरित'[2] के उल्लेख से सूचित होता है-

'इस तरह कुशीनगर आते समय चुंद के साथ तथागत ने इरावती नदी पार की और स्वयं उस नगर के एक उपभवन में ठहरे, जहाँ कमलों से सुशोभित एक प्रशान्त सरोवर स्थित था।'


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 786 |
  2. बुद्धचरित 25, 53
  3. बुद्धचरित 25, 54
  4. बुद्धचरित, 27, 70
  5. सभापर्व 9, 22

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