Difference between revisions of "रामकृष्ण देवदत्त भंडारकर"

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|अन्य जानकारी=रामकृष्ण देवदत्त भांडारकर ने गुजरात राष्ट्रकूट कुमार कर्क प्रथम, कुशाण शिलालेख और [[शक संवत]] के उद्भव का प्रश्न तथा इंडोसीथियन राजाओं के वंशक्रम विषयक रचनाएं कीं।
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}}'''रामकृष्ण देवदत्त भांडारकर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ramakrishna Devadatta Bhandarkar'', जन्म- [[19 नवम्बर]], [[1875]], मृत्यु- [[13 मई]], [[1950]]) जाने-माने प्रसिद्ध पुरातत्त्वविद थे। वह दीर्घकाल तक [[भारत]] के [[भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग|पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग]] से संबद्ध रहे। [[विदिशा]] के निकट खुदाई कराई जिसमें ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी के अनेक महत्त्वपूर्ण अवशेष प्राप्त हुए। उन्होंने अनेक शोध कार्य भी किये। भारतीय [[जनगणना]] के लिए [[धर्म]] और संप्रदाय तथा जातियां और कबीले विषयों के शोधपरक [[ग्रंथ]] तैयार किए।  
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}}'''रामकृष्ण देवदत्त भंडारकर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ramakrishna Devadatta Bhandarkar'', जन्म- [[19 नवम्बर]], [[1875]], मृत्यु- [[13 मई]], [[1950]]) जाने-माने प्रसिद्ध पुरातत्त्वविद थे। वह दीर्घकाल तक [[भारत]] के [[भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग|पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग]] से संबद्ध रहे। [[विदिशा]] के निकट खुदाई कराई जिसमें ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी के अनेक महत्त्वपूर्ण अवशेष प्राप्त हुए। उन्होंने अनेक शोध कार्य भी किये। भारतीय [[जनगणना]] के लिए [[धर्म]] और संप्रदाय तथा जातियां और कबीले विषयों के शोधपरक [[ग्रंथ]] तैयार किए।  
 
==परिचय==
 
==परिचय==
रामकृष्ण देवदत्त भांडारकर का जन्म 1875 ई. को हुआ था। इनके [[पिता]] का नाम [[रामकृष्ण गोपाल भांडारकर]] था। रामकृष्ण देवदत्त भांडारकर ने [[पालि भाषा]] में पुरालिपि विषय को लेकर शिक्षा पूरी की। आपने गुजरात राष्ट्रकूट कुमार कर्क प्रथम, कुशाण शिलालेख और [[शक संवत]] के उद्भव का प्रश्न तथा इंडोसीथियन राजाओं के वंशक्रम विषयक रचनाएं कीं। उक्त रचनाओं ने विद्वानों का ध्यान इनकी ओर आकृष्ट किया।
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रामकृष्ण देवदत्त भंडारकर का जन्म 1875 ई. को हुआ था। इनके [[पिता]] का नाम [[रामकृष्ण गोपाल भंडारकर]] था। रामकृष्ण देवदत्त भंडारकर ने [[पालि भाषा]] में पुरालिपि विषय को लेकर शिक्षा पूरी की। आपने गुजरात राष्ट्रकूट कुमार कर्क प्रथम, कुशाण शिलालेख और [[शक संवत]] के उद्भव का प्रश्न तथा इंडोसीथियन राजाओं के वंशक्रम विषयक रचनाएं कीं। उक्त रचनाओं ने विद्वानों का ध्यान इनकी ओर आकृष्ट किया।
  
भांडारकर ने भारतीय जनगणना के लिए [[धर्म]] और संप्रदाय तथा जातियां और कबीले विषयों पर शोध के साथ-साथ [[अहीर|अहीरों]], [[गुर्जर|गुर्जरों]] तथा गहलोतों पर भी विशेष अध्ययन किया। आपने [[कोलकाता विश्वविद्यालय]] में प्राचीन भारतीय इतिहास और [[संस्कृति]] के प्रोफेसर के पद पर रह कर सेवा की। <ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=727|url=}}</ref>  
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भंडारकर ने भारतीय जनगणना के लिए [[धर्म]] और संप्रदाय तथा जातियां और कबीले विषयों पर शोध के साथ-साथ [[अहीर|अहीरों]], [[गुर्जर|गुर्जरों]] तथा गहलोतों पर भी विशेष अध्ययन किया। आपने [[कोलकाता विश्वविद्यालय]] में प्राचीन भारतीय इतिहास और [[संस्कृति]] के प्रोफेसर के पद पर रह कर सेवा की। <ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=727|url=}}</ref>  
 
==रचनाएं==
 
==रचनाएं==
रामकृष्ण देवदत्त भांडारकर द्वारा लिखित निम्न पुस्तकें विशेष रूप से चर्चित हुईं-  
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रामकृष्ण देवदत्त भंडारकर द्वारा लिखित निम्न पुस्तकें विशेष रूप से चर्चित हुईं-  
 
#'भारतीय मुद्रा विज्ञान'  
 
#'भारतीय मुद्रा विज्ञान'  
 
#'अशोक'
 
#'अशोक'
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गुप्त शिलालेखों संबंधी ग्रंथ के संशोधन में भी आपका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
 
गुप्त शिलालेखों संबंधी ग्रंथ के संशोधन में भी आपका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
 
==मृत्यु==
 
==मृत्यु==
[[1950]] ईस्वी में रामकृष्ण देवदत्त भांडारकर का देहांत हो गया।
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[[1950]] ईस्वी में रामकृष्ण देवदत्त भंडारकर का देहांत हो गया।
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
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<references/>
 
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
==बाहरी कड़ियाँ==
*[https://vishwakosh.marathi.gov.in/30013/ भांडारकर, देवदत्त रामकृष्ण]
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*[https://vishwakosh.marathi.gov.in/30013/ भंडारकर, देवदत्त रामकृष्ण]
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{इतिहासकार}}
 
{{इतिहासकार}}

Latest revision as of 11:32, 18 November 2020

ramkrishna devadatt bhandarakar
poora nam ramkrishna devadatt bhandarakar
janm 19 navambar, 1875
mrityu 13 mee, 1950
abhibhavak pita- ramkrishna gopal bhandarakar
karm bhoomi bharat
karm-kshetr puratattv v itihas
mukhy rachanaean 'bharatiy mudra vijnan', 'ashok' tatha 'prachin bharat mean rajatantr evan lokatantratmak sansthaean'.
prasiddhi puratattvavid
nagarikata bharatiy
any janakari ramkrishna devadatt bhandarakar ne gujarat rashtrakoot kumar kark pratham, kushan shilalekh aur shak sanvat ke udbhav ka prashn tatha iandosithiyan rajaoan ke vanshakram vishayak rachanaean kian.

ramkrishna devadatt bhandarakar (aangrezi: Ramakrishna Devadatta Bhandarkar, janm- 19 navambar, 1875, mrityu- 13 mee, 1950) jane-mane prasiddh puratattvavid the. vah dirghakal tak bharat ke puratattv sarvekshan vibhag se sanbaddh rahe. vidisha ke nikat khudaee karaee jisamean eesa poorv doosari shatabdi ke anek mahattvapoorn avashesh prapt hue. unhoanne anek shodh kary bhi kiye. bharatiy janaganana ke lie dharm aur sanpraday tatha jatiyaan aur kabile vishayoan ke shodhaparak granth taiyar kie.

parichay

ramkrishna devadatt bhandarakar ka janm 1875 ee. ko hua tha. inake pita ka nam ramkrishna gopal bhandarakar tha. ramkrishna devadatt bhandarakar ne pali bhasha mean puralipi vishay ko lekar shiksha poori ki. apane gujarat rashtrakoot kumar kark pratham, kushan shilalekh aur shak sanvat ke udbhav ka prashn tatha iandosithiyan rajaoan ke vanshakram vishayak rachanaean kian. ukt rachanaoan ne vidvanoan ka dhyan inaki or akrisht kiya.

bhandarakar ne bharatiy janaganana ke lie dharm aur sanpraday tatha jatiyaan aur kabile vishayoan par shodh ke sath-sath ahiroan, gurjaroan tatha gahalotoan par bhi vishesh adhyayan kiya. apane kolakata vishvavidyalay mean prachin bharatiy itihas aur sanskriti ke prophesar ke pad par rah kar seva ki. [1]

rachanaean

ramkrishna devadatt bhandarakar dvara likhit nimn pustakean vishesh roop se charchit hueean-

  1. 'bharatiy mudra vijnan'
  2. 'ashok'
  3. 'prachin bharat mean rajatantr evan lokatantratmak sansthaean'


gupt shilalekhoan sanbandhi granth ke sanshodhan mean bhi apaka mahattvapoorn yogadan raha.

mrityu

1950 eesvi mean ramkrishna devadatt bhandarakar ka dehaant ho gaya.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

  1. bharatiy charit kosh |lekhak: liladhar sharma 'parvatiy' |prakashak: shiksha bharati, madarasa rod, kashmiri get, dilli |prishth sankhya: 727 |

bahari k diyaan

sanbandhit lekh