राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र: Difference between revisions

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'''राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Raja Ramanna Centre for Advanced Technology'') [[परमाणु ऊर्जा विभाग]] की एक इकाई है, जो लेसर, कण त्वरकों एवं संबंधित प्रौद्योगिकी के गैर-नाभिकीय अग्रणी क्षेत्रों के अनुसंधान एवं विकास कार्यों से जुड़ा है। राष्ट्र को आत्मनिर्भर एवं मजबूत बनाने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की उत्प्रेरक भूमिका के संबंध में अपने संस्थापक [[होमी जहाँगीर भाभा|डॉ. होमी जहाँगीर भाभा]] की सूक्ष्म दृष्टि में परमाणु ऊर्जा विभाग का दृढ विश्वास रहा है। इसलिये परमाणु ऊर्जा विभाग ने हमेशा उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान व विकास कार्य को प्रोत्साहित किया है।
'''राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Raja Ramanna Centre for Advanced Technology'') [[परमाणु ऊर्जा विभाग]] की एक इकाई है, जो लेसर, कण त्वरकों एवं संबंधित प्रौद्योगिकी के गैर-नाभिकीय अग्रणी क्षेत्रों के अनुसंधान एवं विकास कार्यों से जुड़ा है। राष्ट्र को आत्मनिर्भर एवं मजबूत बनाने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की उत्प्रेरक भूमिका के संबंध में अपने संस्थापक [[होमी जहाँगीर भाभा|डॉ. होमी जहाँगीर भाभा]] की सूक्ष्म दृष्टि में परमाणु ऊर्जा विभाग का दृढ विश्वास रहा है। इसलिये परमाणु ऊर्जा विभाग ने हमेशा उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान व विकास कार्य को प्रोत्साहित किया है।
==स्थापना==  
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इस दिशा में एक प्रमुख कदम तब उठाया गया, जब परमाणु ऊर्जा विभाग ने [[भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र]], [[मुंबई]] में विज्ञान एवं प्रौद्योगिक के दो प्रमुख क्षेत्रों त्वरक एवं लेसर के क्षेत्र में की जा रही अनुसंधान व विकास गतिविधियों को विस्तृत रुप देने के उद्देश्य से इंदौर में एक नए अनुसंधान केन्द्र-राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र की स्थापना की। डॉ. राजा रामन्‍ना की अध्यक्षता में गठित एक स्थानीय चयन समिति ने सुखनिवास झील एवं इसके सभी सुरम्य क्षेत्र को इस नये केन्द्र के लिये चुना। इस स्थान को तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] श्रीमती [[इंदिरा गांधी]] ने [[7 फरवरी]], [[1984]] को अनुमोदन किया। केन्द्र की प्रयोगशाला व निवास स्थानों के निर्माण कार्य का उदघाटन तत्कालीन [[राष्ट्रपति]] [[ ज्ञानी जैल सिंह|ज्ञानी जैलसिंह]] ने [[10 फरवरी]], [[1984]] को किया। इस केन्द्र में [[जून]] [[1986]] में भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुंबई से वैज्ञानिकों के प्रथम दल का आगमन हुआ। तबसे यह केन्द्र लेसर, त्वरक व उनके अनुप्रयोगों से संबंधित अनुसंधान व विकास कार्यो के एक प्रमुख केन्द्र के रुप में तेजी से उभर रहा है।
इस दिशा में एक प्रमुख कदम तब उठाया गया, जब परमाणु ऊर्जा विभाग ने [[भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र]], [[मुंबई]] में विज्ञान एवं प्रौद्योगिक के दो प्रमुख क्षेत्रों त्वरक एवं लेसर के क्षेत्र में की जा रही अनुसंधान व विकास गतिविधियों को विस्तृत रुप देने के उद्देश्य से इंदौर में एक नए अनुसंधान केन्द्र-राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र की स्थापना की। डॉ. राजा रामन्‍ना की अध्यक्षता में गठित एक स्थानीय चयन समिति ने सुखनिवास झील एवं इसके सभी सुरम्य क्षेत्र को इस नये केन्द्र के लिये चुना। इस स्थान को तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] श्रीमती [[इंदिरा गांधी]] ने [[7 फरवरी]], [[1984]] को अनुमोदन किया। केन्द्र की प्रयोगशाला व निवास स्थानों के निर्माण कार्य का उदघाटन तत्कालीन [[राष्ट्रपति]] [[ ज्ञानी जैल सिंह|ज्ञानी जैलसिंह]] ने [[10 फरवरी]], [[1984]] को किया। इस केन्द्र में [[जून]] [[1986]] में भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुंबई से वैज्ञानिकों के प्रथम दल का आगमन हुआ। तबसे यह केन्द्र लेसर, त्वरक व उनके अनुप्रयोगों से संबंधित अनुसंधान व विकास कार्यो के एक प्रमुख केन्द्र के रुप में तेज़ीसे उभर रहा है।
==विशेषता==
==विशेषता==
केन्द्र में इस समय 572 वैज्ञानिकों व इंजिनियरों को मिलाकर कुल 1300 कर्मचारी हैं। [[इंदौर]] से बाहर लगभग 760 हेक्‍टेयर के सुरम्य क्षेत्र में फेले हुए इसके परिसर में प्रयोगशालाएं, कर्मचारियों के लिए निवास व मूलभूत सुविधाएं जैसे विद्यालय, खेलकूद, शॉपिंग सम्मिश्र, उद्यान इत्यादि शामिल हैं।
केन्द्र में इस समय 572 वैज्ञानिकों व इंजिनियरों को मिलाकर कुल 1300 कर्मचारी हैं। [[इंदौर]] से बाहर लगभग 760 हेक्‍टेयर के सुरम्य क्षेत्र में फेले हुए इसके परिसर में प्रयोगशालाएं, कर्मचारियों के लिए निवास व मूलभूत सुविधाएं जैसे विद्यालय, खेलकूद, शॉपिंग सम्मिश्र, उद्यान इत्यादि शामिल हैं।

Latest revision as of 08:25, 10 February 2021

राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र
विवरण यह परमाणु ऊर्जा विभाग की एक इकाई है, जो लेसर, कण त्वरकों एवं संबंधित प्रौद्योगिकी के गैर-नाभिकीय अग्रणी क्षेत्रों के अनुसंधान एवं विकास कार्यों से जुड़ा है।
संस्थापक डॉ. होमी जहाँगीर भाभा
स्थापना 19 फरवरी, 1984
स्थान इंदौर, मध्य प्रदेश
गूगल मानचित्र RRCAT
अन्य जानकारी केन्द्र में इस समय 572 वैज्ञानिकों व इंजिनियरों को मिलाकर कुल 1300 कर्मचारी हैं। इंदौर से बाहर लगभग 760 हेक्‍टेयर के सुरम्य क्षेत्र में फेले हुए इसके परिसर में प्रयोगशालाएं, कर्मचारियों के लिए निवास व मूलभूत सुविधाएं जैसे विद्यालय, खेलकूद, शॉपिंग सम्मिश्र, उद्यान इत्यादि शामिल हैं।
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट

राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र (अंग्रेज़ी: Raja Ramanna Centre for Advanced Technology) परमाणु ऊर्जा विभाग की एक इकाई है, जो लेसर, कण त्वरकों एवं संबंधित प्रौद्योगिकी के गैर-नाभिकीय अग्रणी क्षेत्रों के अनुसंधान एवं विकास कार्यों से जुड़ा है। राष्ट्र को आत्मनिर्भर एवं मजबूत बनाने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की उत्प्रेरक भूमिका के संबंध में अपने संस्थापक डॉ. होमी जहाँगीर भाभा की सूक्ष्म दृष्टि में परमाणु ऊर्जा विभाग का दृढ विश्वास रहा है। इसलिये परमाणु ऊर्जा विभाग ने हमेशा उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान व विकास कार्य को प्रोत्साहित किया है।

स्थापना

इस दिशा में एक प्रमुख कदम तब उठाया गया, जब परमाणु ऊर्जा विभाग ने भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुंबई में विज्ञान एवं प्रौद्योगिक के दो प्रमुख क्षेत्रों त्वरक एवं लेसर के क्षेत्र में की जा रही अनुसंधान व विकास गतिविधियों को विस्तृत रुप देने के उद्देश्य से इंदौर में एक नए अनुसंधान केन्द्र-राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र की स्थापना की। डॉ. राजा रामन्‍ना की अध्यक्षता में गठित एक स्थानीय चयन समिति ने सुखनिवास झील एवं इसके सभी सुरम्य क्षेत्र को इस नये केन्द्र के लिये चुना। इस स्थान को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 7 फरवरी, 1984 को अनुमोदन किया। केन्द्र की प्रयोगशाला व निवास स्थानों के निर्माण कार्य का उदघाटन तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह ने 10 फरवरी, 1984 को किया। इस केन्द्र में जून 1986 में भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुंबई से वैज्ञानिकों के प्रथम दल का आगमन हुआ। तबसे यह केन्द्र लेसर, त्वरक व उनके अनुप्रयोगों से संबंधित अनुसंधान व विकास कार्यो के एक प्रमुख केन्द्र के रुप में तेज़ीसे उभर रहा है।

विशेषता

केन्द्र में इस समय 572 वैज्ञानिकों व इंजिनियरों को मिलाकर कुल 1300 कर्मचारी हैं। इंदौर से बाहर लगभग 760 हेक्‍टेयर के सुरम्य क्षेत्र में फेले हुए इसके परिसर में प्रयोगशालाएं, कर्मचारियों के लिए निवास व मूलभूत सुविधाएं जैसे विद्यालय, खेलकूद, शॉपिंग सम्मिश्र, उद्यान इत्यादि शामिल हैं।

भौगोलिक स्थिति

होल्‍कर शासकों की राजधानी, इन्‍दौर, मध्‍य भारत का एक महत्‍वपूर्ण औद्योगिक शहर है इसे ‘छोटा मुंबई’ के नाम से जाना जाता है। इस शहर में होल्‍कर घराने से संबंधित कई बड़े मंदिरों के अलावा कई एतिहासिक स्‍मारक हैं। इन स्‍मारकों में से कई की वास्‍तुकला विभिन्‍न शैलियों का एक मिश्रण है। इन्‍दौर मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 200 किमी दूर है। राजा रामन्‍ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र, इंदौर शहर के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। मुंबई-आगरा मार्ग पर स्थित राजेन्द्र नगर से यह क़रीबन दो किलोमीटर दूर रिंग रोड पर है। राजेन्द्र नगर में एक उपनगरीय रेल्वे स्टेशन भी है और यह मीटरगेज लाईन पर स्थित है।

कैसे पहुँचे

वायु मार्ग द्वारा

निकटतम एयरपोर्ट : इन्‍दौर (राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र से दूरी : 15 किमी‌)

रेलमार्ग द्वारा

निकटतम रेलवे स्‍टेशन : इन्‍दौर

सड़क मार्ग द्वारा

सड़क द्वारा - भोपाल से 200 किमी

अनुसंधान एवं विकास गतिविधियाँ

  • राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र में विविध प्रकार के लेसरों का निर्माण हो रहा है। साथ ही इनके औद्योगिक, चिकित्सीय, तथा अनुसंधानात्मक उपयोगों पर कार्य हो रहा है।
  • यहाँ बनाये गये लेसरों में उच्चशक्ति कार्बनडायऑक्साइड लेसर, फ्लैश लैम्प तथा डायोड लेसर पम्पित न्यूडीमियम लेसर, अर्धचालक लेसर, रासायनिक लेसर, एक्साइमर लेसर, तथा उच्च ऊर्जा/तीव्रता के स्पंदित लेसर उल्लेखनीय है।
  • लेसर-प्रौद्योगिकी के लिये उपयोगी विभिन्न पदार्थों के क्रिस्टल बनाये जा चुके हैं। जिन औद्योगिक अनुप्रयोगों पर कार्य चल रहा है उनमें कर्तन, वेधन (ड्रिलिंग), वेल्डन, सतह रूपान्तरण तथा द्रुत उत्पादन शामिल है।
  • यूरेनियम विश्लेषक, भूमि समतलक, सुसंहत नाइट्रोजन लेसर, प्रकाश-आन्तचक, प्रकाशिक तंतु आधारित तापमान संवेदक, शल्यचिकित्सीय कार्बनडायऑक्साइड लेसर निकाय इत्यादि लेसर आधारित यंत्रो का निर्माण इस केन्द्र में हो चुका है।
  • इस केंद्र में निर्मित तथा व्यावसायिक लेसरों का इस्तेमाल करके लेसर-प्लाज्मा अन्योन्य क्रिया, लेसर आधारित आवेशित कण त्वरक, परमाणुओं का लेसर शीतलन तथा संपाशन, अरैखिक प्रकाशिकी, अति-द्रुत गतिकी, पदार्थ प्रक्रमण, ऊतकों का लेसर प्रतिदीप्ति स्पेक्ट्रमिकी, कोशिकाओं और जैविक मॉडलों पर कम बैंड चौड़ाई वाले प्रकाश का प्रभाव, आविल माध्यमों का प्रतिबिम्बन, सूक्ष्म वस्तुओं का लेसर द्वारा सूक्ष्म परिचालन इत्यादि क्षेत्रों में शोध कार्य किये जा रहे हैं।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख