उत्तर प्रदेश के उद्योग: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - " सन " to " सन् ") |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
(4 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
[[उत्तर प्रदेश]] राज्य में काफ़ी समय से मौजूद वस्त्र उद्योग व चीनी प्रसंस्करण उद्योग में राज्य के कुल मिलकर्मियों का लगभग एक-तिहाई हिस्सा लगा है। राज्य की अधिकांश मिलें पुरानी व अक्षम हैं। अन्य संसाधन आधारित उद्योगों में वनस्पति तेल, जूट व सीमेंट उद्योग शामिल हैं। केन्द्र सरकार ने यहाँ पर भारी उपकरण, मशीनें, इस्पात, वायुयान, टेलीफ़ोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और उर्वरकों के उत्पादन वाले बहुत से बड़े कारख़ाने स्थापित किए हैं। यहाँ [[मथुरा]] में एक तेल परिष्करणशाला और राज्य के दक्षिण-पूर्वी [[मिर्ज़ापुर]] ज़िले में कोयला क्षेत्र का विकास केन्द्र सरकार की दो प्रमुख परियोजनाएँ हैं। राज्य सरकार ने मध्यम और लघु स्तर के उद्योगों को प्रोत्साहन दिया है। | {{उत्तर प्रदेश विषय सूची}} | ||
[[चित्र:Weaver-Uttar-Pradesh.jpg|thumb|250px|कार्य करता कारीगर, [[उत्तर प्रदेश]]]] | |||
[[उत्तर प्रदेश]] राज्य में काफ़ी समय से मौजूद वस्त्र उद्योग व चीनी प्रसंस्करण उद्योग में राज्य के कुल मिलकर्मियों का लगभग एक-तिहाई हिस्सा लगा है। राज्य की अधिकांश मिलें पुरानी व अक्षम हैं। अन्य संसाधन आधारित उद्योगों में वनस्पति तेल, [[जूट उद्योग|जूट]] व [[सीमेंट उद्योग]] शामिल हैं। केन्द्र सरकार ने यहाँ पर भारी उपकरण, मशीनें, [[इस्पात]], वायुयान, टेलीफ़ोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और [[उर्वरक|उर्वरकों]] के उत्पादन वाले बहुत से बड़े कारख़ाने स्थापित किए हैं। यहाँ [[मथुरा]] में एक तेल परिष्करणशाला और राज्य के दक्षिण-पूर्वी [[मिर्ज़ापुर]] ज़िले में कोयला क्षेत्र का विकास केन्द्र सरकार की दो प्रमुख परियोजनाएँ हैं। राज्य सरकार ने मध्यम और लघु स्तर के उद्योगों को प्रोत्साहन दिया है। | |||
हस्तशिल्प, क़ालीन, पीतल की वस्तुएँ, जूते-चप्पल, चमड़े व खेल का सामान राज्य के निर्यात में प्रमुखता के साथ योगदान देते हैं। भदोई व मिर्ज़ापुर के क़ालीन दुनिया भर में सराहे जाते हैं। [[वाराणसी]] का रेशम व ज़री का काम, [[मुरादाबाद]] की पीतल की ख़ूबसूरत वस्तुएँ, [[लखनऊ]] की [[चिकनकारी]], नागुआ का आबनूस की लकड़ी का काम, [[फ़िरोज़ाबाद]] की काँच की वस्तुएँ और [[सहारनपुर]] का | हस्तशिल्प, क़ालीन, [[पीतल]] की वस्तुएँ, जूते-चप्पल, चमड़े व खेल का सामान राज्य के निर्यात में प्रमुखता के साथ योगदान देते हैं। भदोई व मिर्ज़ापुर के क़ालीन दुनिया भर में सराहे जाते हैं। [[वाराणसी]] का रेशम व [[ज़री]] का काम, [[मुरादाबाद]] की पीतल की ख़ूबसूरत वस्तुएँ, [[लखनऊ]] की [[चिकनकारी]], नागुआ का आबनूस की लकड़ी का काम, [[फ़िरोज़ाबाद]] की काँच की वस्तुएँ और [[सहारनपुर]] का नक़्क़ाशीदार लकड़ी का काम भी उल्लेखनीय है। [[उत्तर प्रदेश]] बिजली की भीषण कमी का शिकार है। 1951 से स्थापित अन्य विद्युत उत्पादन केन्द्रों से क्षमता बढ़ी है, लेकिन माँग और आपूर्ति के बीच अन्तर बढ़ता ही जा रहा है। भारत के अधिकतम तापविद्युत केन्द्रों में से एक ओबरा-रिहंद (दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश), राज्य के कई अन्य हिस्सों में स्थित विभिन्न पनबिजली संयंत्रों और [[बुलंदशहर]] के [[परमाणु]] बिजलीघर में बिजली का उत्पादन किया जाता है। | ||
वर्ष 2004-05 में उत्तर प्रदेश में कुल 5,21,835 लघु उद्योग इकाइयाँ थीं, जिनमें लगभग 5,131 करोड़ रुपये की पूंजी का निवेश था और लगभग 20,01,000 लोग काम कर रहे थे। वर्ष 2004-05 में राज्य में लगभग 45.51 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ। उत्तर प्रदेश राज्य में 68 कपड़ा मिलें और 32 आटोमोबाइल के कारखाने हैं, जिनमें 5,740 करोड़ रुपये की पूंजी का निवेश है। सन् [[2011]] तक 'नोएडा प्राधिकरण' के अंतर्गत 102 सेक्टर विकसित करने की योजना चल रही है। इस प्राधिकरण में औद्योगिक क्षेत्र, आवासीय क्षेत्र, ग्रुप हाउसिंग क्षेत्र, आवासीय भवन, व्यावसायिक परिसंपत्तियां और संस्थागत शिक्षा क्षेत्र शामिल हैं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा की भांति ही राज्य में अन्य स्थानों पर औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित करने के लिए कार्य किये जा रहे हैं। | [[वर्ष]] [[2004]]-[[2005|05]] में उत्तर प्रदेश में कुल 5,21,835 लघु उद्योग इकाइयाँ थीं, जिनमें लगभग 5,131 करोड़ रुपये की पूंजी का निवेश था और लगभग 20,01,000 लोग काम कर रहे थे। वर्ष 2004-05 में राज्य में लगभग 45.51 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ। उत्तर प्रदेश राज्य में 68 कपड़ा मिलें और 32 आटोमोबाइल के कारखाने हैं, जिनमें 5,740 करोड़ रुपये की पूंजी का निवेश है। सन् [[2011]] तक 'नोएडा प्राधिकरण' के अंतर्गत 102 सेक्टर विकसित करने की योजना चल रही है। इस प्राधिकरण में औद्योगिक क्षेत्र, आवासीय क्षेत्र, ग्रुप हाउसिंग क्षेत्र, आवासीय भवन, व्यावसायिक परिसंपत्तियां और संस्थागत शिक्षा क्षेत्र शामिल हैं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा की भांति ही राज्य में अन्य स्थानों पर औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित करने के लिए कार्य किये जा रहे हैं। | ||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
Line 20: | Line 22: | ||
[[Category:उत्तर प्रदेश]] | [[Category:उत्तर प्रदेश]] | ||
[[Category:उद्योग और कल कारख़ाने]] | [[Category:उद्योग और कल कारख़ाने]] | ||
[[Category:वाणिज्य व्यापार कोश]] | [[Category:वाणिज्य व्यापार कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 07:40, 7 June 2017
[[चित्र:Weaver-Uttar-Pradesh.jpg|thumb|250px|कार्य करता कारीगर, उत्तर प्रदेश]] उत्तर प्रदेश राज्य में काफ़ी समय से मौजूद वस्त्र उद्योग व चीनी प्रसंस्करण उद्योग में राज्य के कुल मिलकर्मियों का लगभग एक-तिहाई हिस्सा लगा है। राज्य की अधिकांश मिलें पुरानी व अक्षम हैं। अन्य संसाधन आधारित उद्योगों में वनस्पति तेल, जूट व सीमेंट उद्योग शामिल हैं। केन्द्र सरकार ने यहाँ पर भारी उपकरण, मशीनें, इस्पात, वायुयान, टेलीफ़ोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और उर्वरकों के उत्पादन वाले बहुत से बड़े कारख़ाने स्थापित किए हैं। यहाँ मथुरा में एक तेल परिष्करणशाला और राज्य के दक्षिण-पूर्वी मिर्ज़ापुर ज़िले में कोयला क्षेत्र का विकास केन्द्र सरकार की दो प्रमुख परियोजनाएँ हैं। राज्य सरकार ने मध्यम और लघु स्तर के उद्योगों को प्रोत्साहन दिया है।
हस्तशिल्प, क़ालीन, पीतल की वस्तुएँ, जूते-चप्पल, चमड़े व खेल का सामान राज्य के निर्यात में प्रमुखता के साथ योगदान देते हैं। भदोई व मिर्ज़ापुर के क़ालीन दुनिया भर में सराहे जाते हैं। वाराणसी का रेशम व ज़री का काम, मुरादाबाद की पीतल की ख़ूबसूरत वस्तुएँ, लखनऊ की चिकनकारी, नागुआ का आबनूस की लकड़ी का काम, फ़िरोज़ाबाद की काँच की वस्तुएँ और सहारनपुर का नक़्क़ाशीदार लकड़ी का काम भी उल्लेखनीय है। उत्तर प्रदेश बिजली की भीषण कमी का शिकार है। 1951 से स्थापित अन्य विद्युत उत्पादन केन्द्रों से क्षमता बढ़ी है, लेकिन माँग और आपूर्ति के बीच अन्तर बढ़ता ही जा रहा है। भारत के अधिकतम तापविद्युत केन्द्रों में से एक ओबरा-रिहंद (दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश), राज्य के कई अन्य हिस्सों में स्थित विभिन्न पनबिजली संयंत्रों और बुलंदशहर के परमाणु बिजलीघर में बिजली का उत्पादन किया जाता है।
वर्ष 2004-05 में उत्तर प्रदेश में कुल 5,21,835 लघु उद्योग इकाइयाँ थीं, जिनमें लगभग 5,131 करोड़ रुपये की पूंजी का निवेश था और लगभग 20,01,000 लोग काम कर रहे थे। वर्ष 2004-05 में राज्य में लगभग 45.51 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ। उत्तर प्रदेश राज्य में 68 कपड़ा मिलें और 32 आटोमोबाइल के कारखाने हैं, जिनमें 5,740 करोड़ रुपये की पूंजी का निवेश है। सन् 2011 तक 'नोएडा प्राधिकरण' के अंतर्गत 102 सेक्टर विकसित करने की योजना चल रही है। इस प्राधिकरण में औद्योगिक क्षेत्र, आवासीय क्षेत्र, ग्रुप हाउसिंग क्षेत्र, आवासीय भवन, व्यावसायिक परिसंपत्तियां और संस्थागत शिक्षा क्षेत्र शामिल हैं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा की भांति ही राज्य में अन्य स्थानों पर औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित करने के लिए कार्य किये जा रहे हैं।
|
|
|
|
|