सराय नाहरराय: Difference between revisions
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*सराय नाहर राय में कुल 11 मानव समाधियाँ तथा 8 गर्त चूल्हों का [[उत्खनन]] [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] की ओर से किया गया था। यहाँ की क़ब्रें (समाधियाँ) आवास क्षेत्र के अन्दर स्थित थीं। क़ब्रें छिछली और अण्डाकार थीं। | *सराय नाहर राय में कुल 11 मानव समाधियाँ तथा 8 गर्त चूल्हों का [[उत्खनन]] [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] की ओर से किया गया था। यहाँ की क़ब्रें (समाधियाँ) आवास क्षेत्र के अन्दर स्थित थीं। क़ब्रें छिछली और अण्डाकार थीं। | ||
*यहाँ संयुक्त रूप से 2 पुरुषों एवं 2 स्त्रियों को एक साथ दफ़नाये जाने के प्रमाण हमें सराय नाहर राय से मिले हैं। | *यहाँ संयुक्त रूप से 2 पुरुषों एवं 2 स्त्रियों को एक साथ दफ़नाये जाने के प्रमाण हमें सराय नाहर राय से मिले हैं। | ||
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*ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
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सराय नाहरराय नामक मध्य पाषाणिक पुरास्थल उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर गोखुर झील के किनारे पर स्थित है। इस पुरास्थल की खोज के.सी.ओझा ने की थी। यह पुरास्थल लगभग 1800 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
- सराय नाहर राय में कुल 11 मानव समाधियाँ तथा 8 गर्त चूल्हों का उत्खनन इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से किया गया था। यहाँ की क़ब्रें (समाधियाँ) आवास क्षेत्र के अन्दर स्थित थीं। क़ब्रें छिछली और अण्डाकार थीं।
- यहाँ संयुक्त रूप से 2 पुरुषों एवं 2 स्त्रियों को एक साथ दफ़नाये जाने के प्रमाण हमें सराय नाहर राय से मिले हैं।
- सराय नाहरराय से जो 15 मानव कंकाल मिले हैं, वे ह्रष्ट-पुष्ट तथा सुगठित शरीर वाले मानव समुदाय के प्रतीत होते हैं।
- सराय नाहर राय के पुरुष तथा स्त्रियाँ दोनों ही अपेक्षाकृत लम्बे क़द के थे।
- गर्त चूल्हों से हिरण, बारहसिंगा, जंगली सुअर आदि पशुओं की अधजली हड्डियाँ मिली हैं।
- यहाँ पर चूल्हों का उपयोग पशुओं के मांस को भूनने के लिए भी किया जाता था।
- सराय नाहरराय से लघु पाषाण उपकरणों में समानांतर एवं कुण्ठित पार्श्व वाले ब्लेड, बेधक, चान्द्रिक, खुरचनी, समबाहु तथा विषम बाहु आदि ज्यामितीय उपकरण हैं, जो चर्ट, चाल्सेडनी, जैस्पर आदि के बने हुए हैं।
- सराय नाहरराय से मृद्भाण्ड के कोई अवशेष नहीं मिले हैं। वैसे भी मध्य गंगा घाटी में स्थित मध्य पाषाण काल के किसी भी उत्खनित पुरास्थल से मृद्भाण्ड के अवशेष अभी तक नहीं मिले हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार