पुष्पदन्त: Difference between revisions

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Latest revision as of 09:04, 10 April 2015

चित्र:Disamb2.jpg पुष्पदन्त एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- पुष्पदन्त (बहुविकल्पी)

पुष्पदन्त जैन धर्म के नौवें तीर्थंकर थे। पुष्पदंत जी का जन्म काकांदी नगर में इक्ष्वाकु वंश के राजा सुग्रीव की पत्नी माता रामा देवी के गर्भ से मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मूल नक्षत्र में हुआ था। भगवान पुष्पदंत को 'सुवधिनाथ' भी कहा जाता है, क्योंकि जन्म के समय राजा सुग्रीव ने इनका नाम 'सुवधि' ही रखा था।

  • पुष्पदन्त के शरीर का वर्ण श्वेत और इनका चिह्न मगर था।
  • इनके यक्ष का नाम ब्रह्मा और यक्षिणी का नाम काली था।
  • भगवान पुष्पदन्त ने मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को काकांदी में दीक्षा की प्राप्ति की।
  • दीक्षा प्राप्ति के दो दिन बाद खीर से इन्होनें प्रथम पारणा किया।
  • इसके बाद चार महीने तक कठोर तप करने के बाद सम्मेद शिखर पर 'साल वृक्ष के नीचे इन्हें 'कैवल्य ज्ञान' की प्राप्ति हुई।
  • इन्होनें अपने जीवन में हमेशा धर्म और अहिंसा के मार्ग को अपनाया और प्राणियों को भी इसी मार्ग पर चलने का सन्देश दिया।
  • भाद्र शुक्ल पक्ष नवमी को पुष्पदन्त जी ने सम्मेद शिखर पर निर्वाण को प्राप्त किया था।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्री पुष्पदंत जी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 27 फ़रवरी, 2012।

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