परिक्रमा: Difference between revisions
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Latest revision as of 06:37, 26 May 2016
परिक्रमा से अभिप्राय है कि सामान्य स्थान या किसी व्यक्ति के चारों ओर उसकी दाहिनी तरफ़ से घूमना। इसको 'प्रदक्षिणा करना' भी कहते हैं, जो षोडशोपचार पूजा का एक अंग है। हिन्दू धर्म में परिक्रमा का बड़ा महत्त्व है।
- प्राय: सोमवती अमावास्या को महिलाएँ पीपल वृक्ष की 108 परिक्रमाएँ करती हैं। इसी प्रकार देवी दुर्गा की परिक्रमा की जाती है।
- पवित्र धर्मस्थानों- अयोध्या, मथुरा आदि पुण्यपुरियों की पंचकोसी (25 कोस की), ब्रज में गोवर्धन पूजा की सप्तकोसी, ब्रह्ममंडल की चौरासी कोस, नर्मदा जी की अमरकंटक से समुद्र तक छ:मासी और समस्त भारत खण्ड की वर्षों में पूरी होने वाली इस प्रकार की विविध परिक्रमाएँ भूमि में पद-पद पर दण्डवत लेटकर पूरी की जाती है। यही 108-108 बार प्रति पद पर आवृत्ति करके वर्षों में समाप्त होती है।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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