भद्रवन: Difference between revisions
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{{सूचना बक्सा पर्यटन | |||
|चित्र=Blank-Image-2.jpg | |||
नन्दघाट से दो मील दक्षिण-पूर्व में [[यमुना नदी|यमुना]] के उस पार | |चित्र का नाम=भद्रवन | ||
|विवरण=भद्रवन नन्दघाट से दो मील दक्षिण-पूर्व में [[यमुना नदी|यमुना]] के उस पार लीलास्थली है। | |||
|राज्य=[[उत्तर प्रदेश]] | |||
|केन्द्र शासित प्रदेश= | |||
|ज़िला=[[मथुरा]] | |||
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|प्रसिद्धि=हिन्दू धार्मिक स्थल | |||
|कब जाएँ=कभी भी | |||
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|यातायात=बस, कार, ऑटो आदि | |||
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|कहाँ ठहरें= | |||
|क्या खायें= | |||
|क्या ख़रीदें= | |||
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|संबंधित लेख=[[वृन्दावन]], [[महावन]], [[गोकुल]], [[ब्रह्माण्ड घाट महावन]], [[काम्यवन]], [[बिहारवन]], [[गोवर्धन]], [[ब्रज]] | |||
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'''भद्रवन''' [[ब्रज]] के प्रसिद्ध वनों में से है। यह श्री [[कृष्ण]] और श्री [[बलराम]] के गोचारण का स्थान है। श्री बलभद्र के नामानुसार इस वन का नाम भद्रवन पड़ा है। नन्दघाट से दो मील दक्षिण-पूर्व में [[यमुना नदी|यमुना]] के उस पार यह लीलास्थली है। यहाँ भद्रसरोवर और गोचारण स्थल दर्शनीय हैं। | |||
हे भद्रस्वरूप भद्रवन! आप सर्वदा सब का कल्याणकारी तथा अमंंगल नाश करने वाले हो, आपको पुन: पुन: नमस्कार है। <ref>भद्राय भद्रारूपाय सदा कल्याणवर्द्धने। | |||
अमग्ङलच्छिदे तस्मै नमो भद्रावनाय च ॥ (भविष्योत्तरे</ref> | |||
==भद्रसरोवर== | ==भद्रसरोवर== | ||
हे भद्र सरोवर! हे तीर्थराज! आपको नमस्कार है। आप यज्ञ | हे भद्र सरोवर! हे तीर्थराज! आपको नमस्कार है। आप [[यज्ञ]] स्वरूप हैं तथा अखण्ड राज्यपद को देने वाले हैं। इस सरोवर में स्नान करने वाला व्यक्ति अनन्त वैभव-सुखभोग कर अन्त में श्रीकृष्ण-बलदेव की प्रेमभक्ति प्राप्त कर कृतार्थ हो जाता है।<ref>यज्ञस्नानस्वरूपाय राज्यखण्डप्रदे । तीर्थराज नमस्तुभ्यं भद्राख्यसरसे नम: ॥(भविष्योत्तरे</ref> | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता= |शोध=}} | |||
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Latest revision as of 05:58, 27 July 2016
भद्रवन
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विवरण | भद्रवन नन्दघाट से दो मील दक्षिण-पूर्व में यमुना के उस पार लीलास्थली है। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | मथुरा |
प्रसिद्धि | हिन्दू धार्मिक स्थल |
कब जाएँ | कभी भी |
यातायात | बस, कार, ऑटो आदि |
संबंधित लेख | वृन्दावन, महावन, गोकुल, ब्रह्माण्ड घाट महावन, काम्यवन, बिहारवन, गोवर्धन, ब्रज
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अन्य जानकारी | इस सरोवर में स्नान करने वाला व्यक्ति अनन्त वैभव-सुखभोग कर अन्त में श्रीकृष्ण-बलदेव की प्रेमभक्ति प्राप्तकर कृतार्थ हो जाता है। |
अद्यतन | 11:28, 27 जुलाई 2016 (IST)
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भद्रवन ब्रज के प्रसिद्ध वनों में से है। यह श्री कृष्ण और श्री बलराम के गोचारण का स्थान है। श्री बलभद्र के नामानुसार इस वन का नाम भद्रवन पड़ा है। नन्दघाट से दो मील दक्षिण-पूर्व में यमुना के उस पार यह लीलास्थली है। यहाँ भद्रसरोवर और गोचारण स्थल दर्शनीय हैं। हे भद्रस्वरूप भद्रवन! आप सर्वदा सब का कल्याणकारी तथा अमंंगल नाश करने वाले हो, आपको पुन: पुन: नमस्कार है। [1]
भद्रसरोवर
हे भद्र सरोवर! हे तीर्थराज! आपको नमस्कार है। आप यज्ञ स्वरूप हैं तथा अखण्ड राज्यपद को देने वाले हैं। इस सरोवर में स्नान करने वाला व्यक्ति अनन्त वैभव-सुखभोग कर अन्त में श्रीकृष्ण-बलदेव की प्रेमभक्ति प्राप्त कर कृतार्थ हो जाता है।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख