सज्जनगढ़: Difference between revisions

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'''सज्जनगढ़''' [[सतारा|ज़िला सतारा]], [[महाराष्ट्र]] का ऐतिहासिक स्थान। इस स्थान पर महाराष्ट्र के प्रसिद्ध [[संत]] तथा [[शिवाजी]] के गुरु [[समर्थ रामदास]] प्रायः रहा करते थे। उन्होंने यहाँ एक मठ भी स्थापित किया था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=930|url=}}</ref>
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|चित्र का नाम=शिवाजी महाद्वार, सज्जनगढ़
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'''सज्जनगढ़''' [[सतारा|ज़िला सतारा]], [[महाराष्ट्र]] का ऐतिहासिक स्थान है। इस स्थान पर महाराष्ट्र के प्रसिद्ध [[संत]] तथा [[शिवाजी]] के गुरु [[समर्थ रामदास]] प्रायः रहा करते थे। उन्होंने यहाँ एक मठ भी स्थापित किया था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=930|url=}}</ref>


*[[मराठा]] प्रमुख [[शिवाजी|छत्रपति शिवाजी]] प्रायः अपने गुरु समर्थ रामदास से मिलने सज्जनगढ़ आया करते थे। उन्हें अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए इसी स्थान पर रामदास से भेंट करने के उपरान्त प्रेरणा मिली थी।
*[[मराठा]] प्रमुख [[शिवाजी|छत्रपति शिवाजी]] प्रायः अपने गुरु समर्थ रामदास से मिलने सज्जनगढ़ आया करते थे। उन्हें अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए इसी स्थान पर रामदास से भेंट करने के उपरान्त प्रेरणा मिली थी।

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सज्जनगढ़
विवरण 'सज्जनगढ़' महाराष्ट्र के पर्यटन स्थलों में से एक है। इस स्थान पर शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास रहा करते थे।
राज्य महाराष्ट्र
ज़िला सतारा
संबंधित लेख शिवाजी, मराठा, मराठा साम्राज्य
अन्य जानकारी सज्जनगढ़ के दुर्ग में स्थापित देवी की प्रतिमा समर्थ रामदास को अंगापुर की नदी से प्राप्त हुई थी।

सज्जनगढ़ ज़िला सतारा, महाराष्ट्र का ऐतिहासिक स्थान है। इस स्थान पर महाराष्ट्र के प्रसिद्ध संत तथा शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास प्रायः रहा करते थे। उन्होंने यहाँ एक मठ भी स्थापित किया था।[1]

  • मराठा प्रमुख छत्रपति शिवाजी प्रायः अपने गुरु समर्थ रामदास से मिलने सज्जनगढ़ आया करते थे। उन्हें अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए इसी स्थान पर रामदास से भेंट करने के उपरान्त प्रेरणा मिली थी।
  • सज्जनगढ़ का दुर्ग परलीग्राम के पास पहाड़ी के ऊपर स्थित है।
  • समर्थ रामदास के मठ के भीतर भगवान श्रीराम का मन्दिर है।
  • यहाँ के दुर्ग के दक्षिण कोण में अंगलाई देवी का मन्दिर है। कहा जाता है कि देवी की प्रतिमा समर्थ रामदास को अंगापुर की नदी से प्राप्त हुई थी।


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 930 |

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