बालि महाबल अति रनधीरा: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - " महान " to " महान् ") |
||
(2 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 29: | Line 29: | ||
|टिप्पणियाँ = | |टिप्पणियाँ = | ||
}} | }} | ||
;सुग्रीव का वैराग्य | |||
{{poemopen}} | {{poemopen}} | ||
<poem> | <poem> | ||
; | ;चौपाई | ||
कह सुग्रीव सुनहु रघुबीरा। बालि महाबल अति रनधीरा॥ | कह सुग्रीव सुनहु रघुबीरा। बालि महाबल अति रनधीरा॥ | ||
दुंदुभि अस्थि ताल देखराए। बिनु प्रयास रघुनाथ ढहाए॥6॥ | दुंदुभि अस्थि ताल देखराए। बिनु प्रयास रघुनाथ ढहाए॥6॥ | ||
Line 38: | Line 39: | ||
{{poemclose}} | {{poemclose}} | ||
;भावार्थ | ;भावार्थ | ||
[[सुग्रीव]] ने कहा- हे रघुवीर! सुनिए, [[बालि]] | [[सुग्रीव]] ने कहा- हे रघुवीर! सुनिए, [[बालि]] महान् बलवान और अत्यंत रणधीर है। फिर सुग्रीव ने [[राम|श्री राम जी]] को दुंदुभि राक्षस की हड्डियाँ व ताल के वृक्ष दिखलाए। श्री रघुनाथ जी ने उन्हें बिना ही परिश्रम के (आसानी से) ढहा दिया। | ||
{{लेख क्रम4| पिछला=सेवक सठ नृप कृपन कुनारी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=देखि अमित बल बाढ़ी प्रीती}} | {{लेख क्रम4| पिछला=सेवक सठ नृप कृपन कुनारी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=देखि अमित बल बाढ़ी प्रीती}} | ||
''' | '''चौपाई'''- मात्रिक सम [[छन्द]] का भेद है। [[प्राकृत]] तथा [[अपभ्रंश]] के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित [[हिन्दी]] का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। [[तुलसीदास|गोस्वामी तुलसीदास]] ने [[रामचरितमानस]] में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है। | ||
Latest revision as of 11:22, 1 August 2017
बालि महाबल अति रनधीरा
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | किष्किंधा काण्ड |
- सुग्रीव का वैराग्य
कह सुग्रीव सुनहु रघुबीरा। बालि महाबल अति रनधीरा॥ |
- भावार्थ
सुग्रीव ने कहा- हे रघुवीर! सुनिए, बालि महान् बलवान और अत्यंत रणधीर है। फिर सुग्रीव ने श्री राम जी को दुंदुभि राक्षस की हड्डियाँ व ताल के वृक्ष दिखलाए। श्री रघुनाथ जी ने उन्हें बिना ही परिश्रम के (आसानी से) ढहा दिया।
left|30px|link=सेवक सठ नृप कृपन कुनारी|पीछे जाएँ | बालि महाबल अति रनधीरा | right|30px|link=देखि अमित बल बाढ़ी प्रीती|आगे जाएँ |
चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख