श्रवण नक्षत्र: Difference between revisions
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Revision as of 08:07, 29 March 2011
अर्थ - सुनने का कर्ण
देव - व्यवस्थापक
- शास्त्रों के अनुसार और ज्योतिष की गणना के अनुसार 27 नक्षत्र माने जाते हैं।
- इसमें उत्तराषाढ़ा और धनिष्ठा के बीच में श्रवण नक्षत्र होता है।
- इस नक्षत्र में होने वाले कार्यों को सामान्यतया शुभ माना गया है।
- नक्षत्रों के तीन मुख होते हैं-
- तिर्यक मुख,
- अधोमुख और
- उर्ध्वमुख।
- इनमें से श्रवण नक्षत्र का उर्ध्वमुख है। इसके फलस्वरूप इस नक्षत्र में राज्याभिषेक, गृहनिर्माण, प्रकाशन, ध्वजारोहण, नामकरण आदि कार्य शुभ होते हैं।
- व्यापार और घर के लिए खरीदी के लिए भी श्रवण नक्षत्र अत्यंत शुभ माना गया है।
- श्रवण में विष्णु का व्रत और पूजन किया जाता है।
- श्रवण नक्षत्र के देवता चंद्र को माना जाता है।
- अकवन के पेड को श्रवण नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और श्रवण नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अकवन वृक्ष की पूजा करते है।
- इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में अकवन के पेड को लगाते है।
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