अमरकंटक: Difference between revisions
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Revision as of 14:58, 11 April 2011
अमरकंटक रीवां से 160 मील और पेंड्रा रेलवे स्टेशन से 15 मील दूर नर्मदा तथा शोण या सोन के उदगम-स्थान के रूप में प्रख्यात है। यह मध्य प्रदेश के अनूपपुर ज़िले में स्थित है। यह पठार समुद्रतट से 2500 फ़ुट से 3500 फ़ुट तक ऊँचा है। नर्मदा का उदगम एक पर्वतकुण्ड में बताया जाता है। अमरकंटक में नर्मदा के उदगम स्थान के पर्वत को सोम भी कहा गया है। अमरकंटक ऋक्षपर्वत का एक भाग है, जो पुराणों में वर्णित सप्तकुलपर्वतों में से एक है। अमरकंटक में अनेक मन्दिर और प्राचीन मूर्तियाँ हैं, जिनका सम्बन्ध महाभारत के पाण्डवों से बताया जाता है। किन्तु मूर्तियों में से अधिकांश पुरानी नहीं हैं। वास्तव में प्राचीन मन्दिर थोड़े ही हैं-इनमें से एक त्रिपुरी के कलचुरि नरेश कर्णदेव (1041-1073 ई.) का बनवाया हुआ है। इसे कर्णदहरिया का मन्दिर भी कहते हैं। यह तीन विशाल शिखरयुक्त मन्दिरों के समूह से मिलकर बना है। ये तीनों पहले एक महामण्डप से संयुक्त थे, किन्तु अब यह नष्ट हो गया है। इस मन्दिर के बाद का बना हुआ एक अन्य मन्दिर मच्छींद्र का भी है। इसका शिखर भुवनेश्वर के मन्दिर के शिखर की आकृति का है। यह मन्दिर कई विशेषताओं में कर्णदहरिया के मन्दिर का अनुकरण जान पड़ता है।
नर्मदा का वास्तविक उदगम उपर्युक्त कुण्ड से थोड़ी दूर पर है। बाण ने इसे चंद्रपर्वत कहा है। यहीं से आगे चलकर नर्मदा एक छोटे से नाले के रूप में बहती दिखाई पड़ती है। इस स्थान से प्रायः ढाई मील पर अरंडी संगम तथा एक मील और आगे नर्मदा की कपिलधारा स्थित है। कपिलधारा नर्मदा का प्रथम प्रपात है, जहाँ पर नदी 100 फ़ुट की ऊँचाई से नीचे गहराई में गिरती है। इसके थोड़ा और आगे दुग्धधारा है, जहाँ नर्मदा का शुभ्रजल दूध के श्वेत फेन के समान दिखाई देता है। शोण या सोन नदी का उदगम नर्मदा के उदगम से एक मील दूर सोन-मूढ़ा नामक स्थान पर से हुआ है। यह भी नर्मदा स्रोत के समान ही पवित्र माना जाता है। महाभारत वन. 85,9 में नर्मदा-शोण के उदगम के पास ही वंशग़ुल्म नामक तीर्थ का उल्लेख है। यह स्थान प्राचीन काल में विदर्भ देश के अंतर्गत था। वंशग़ुल्म का अभिज्ञान वासिम से किया गया है।
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