User:रविन्द्र प्रसाद/2: Difference between revisions
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||[[चित्र:Asoka's-Pillar.jpg|right|100px|अशोक का स्तम्भ, वैशाली]]अशोक प्राचीन [[भारत]] के [[मौर्य]] सम्राट [[बिंदुसार]] का पुत्र था, जिसका जन्म लगभग 304 ई. पूर्व में माना जाता है। भाइयों के साथ हुए गृह-युद्ध के बाद 272 ई. पूर्व [[अशोक]] को राजगद्दी मिली और 232 ई. पूर्व तक उसने शासन किया। आरंभ में अशोक भी अपने पितामह [[चंद्रगुप्त मौर्य]] और [[पिता]] बिंदुसार की भाँति युद्ध के द्वारा साम्राज्य विस्तार करता गया। [[कश्मीर]], [[कलिंग]] तथा कुछ अन्य प्रदेशों को जीतकर उसने संपूर्ण [[भारत]] में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया, जिसकी सीमाएं पश्चिम में [[ईरान]] तक फैली हुई थीं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक]] | ||[[चित्र:Asoka's-Pillar.jpg|right|100px|अशोक का स्तम्भ, वैशाली]]अशोक प्राचीन [[भारत]] के [[मौर्य]] सम्राट [[बिंदुसार]] का पुत्र था, जिसका जन्म लगभग 304 ई. पूर्व में माना जाता है। भाइयों के साथ हुए गृह-युद्ध के बाद 272 ई. पूर्व [[अशोक]] को राजगद्दी मिली और 232 ई. पूर्व तक उसने शासन किया। आरंभ में अशोक भी अपने पितामह [[चंद्रगुप्त मौर्य]] और [[पिता]] बिंदुसार की भाँति युद्ध के द्वारा साम्राज्य विस्तार करता गया। [[कश्मीर]], [[कलिंग]] तथा कुछ अन्य प्रदेशों को जीतकर उसने संपूर्ण [[भारत]] में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया, जिसकी सीमाएं पश्चिम में [[ईरान]] तक फैली हुई थीं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक]] | ||
{किसने अपनी राजधानी [[मुर्शिदाबाद]] से [[मुंगेर]] स्थानान्तरित की? | {निम्न में से किसने अपनी राजधानी [[मुर्शिदाबाद]] से [[मुंगेर]] स्थानान्तरित की? | ||
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-[[अलीवर्दी ख़ाँ]] | -[[अलीवर्दी ख़ाँ]] | ||
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-वृहत्कथामंजरी | -वृहत्कथामंजरी | ||
{‘[[पुरुषपुर]]’ निम्नलिखित में से किसका | {‘[[पुरुषपुर]]’ निम्नलिखित में से किसका प्राचीन नाम था? | ||
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-[[पटना]] | -[[पटना]] | ||
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-[[इन्द्र तृतीय]] | -[[इन्द्र तृतीय]] | ||
+[[कृष्ण प्रथम]] | +[[कृष्ण प्रथम]] | ||
-[[ध्रुव धारावर्ष]] | -[[ध्रुव धारावर्ष]] | ||
-[[कृष्ण तृतीय]] | |||
||[[चालुक्य वंश|चालुक्यों]] की शक्ति को अविकल रूप से नष्ट करके [[राष्ट्रकूट]] राजा [[कृष्ण प्रथम]] ने [[कोंकण]] और [[वेंगि]] की भी विजय की। पर कृष्ण प्रथम की ख्याति उसकी विजय यात्राओं के कारण उतनी नहीं है, जितनी कि उस 'कैलाश मन्दिर' के कारण है, जिसका निर्माण उसने [[एलोरा की गुफ़ाएँ|एलोरा]] में पहाड़ काटकर कराया था। एलोरा के गुहा मन्दिरों में कृष्ण प्रथम द्वारा निर्मित 'कैलाश मन्दिर' बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है, और उसकी कीर्ति को चिरस्थायी रखने के लिए पर्याप्त है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कृष्ण प्रथम]] | ||[[चालुक्य वंश|चालुक्यों]] की शक्ति को अविकल रूप से नष्ट करके [[राष्ट्रकूट]] राजा [[कृष्ण प्रथम]] ने [[कोंकण]] और [[वेंगि]] की भी विजय की। पर कृष्ण प्रथम की ख्याति उसकी विजय यात्राओं के कारण उतनी नहीं है, जितनी कि उस 'कैलाश मन्दिर' के कारण है, जिसका निर्माण उसने [[एलोरा की गुफ़ाएँ|एलोरा]] में पहाड़ काटकर कराया था। एलोरा के गुहा मन्दिरों में कृष्ण प्रथम द्वारा निर्मित 'कैलाश मन्दिर' बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है, और उसकी कीर्ति को चिरस्थायी रखने के लिए पर्याप्त है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कृष्ण प्रथम]] | ||
Revision as of 05:49, 25 November 2011
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