मोलिब्डेनम: Difference between revisions
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मोलिब्डेनम ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:Molybdenum) [[आवर्त सारणी]] के छठे संक्रमण समूह का [[तत्व]] है। इसके सात स्थिर [[समस्थानिक]] पाए जाते हैं, जिनकी [[द्रव्यमान संख्या]] 92, 94, 95, 96, 97, 98 और 100 है। इनके अतिरिक्त द्रव्यमान संख्या 93, 99, 101 और 105 के अस्थिर समस्थानिक कृत्रिम विधि से निर्मित हुए हैं। इसके अयस्क मोलिब्डेनाइट को बहुत काल तक भूल से ग्रैफाइट समझा गया । सन् 1778 में शीले ने इस अयस्क से मोलिब्डिक अम्ल बनाया। सन् 1782 में येल्म ने मोलिब्डेनम ऑक्साइड का [[कार्बन]] द्वारा अपचयन कर मोलिब्डेनम घातु तैयार की। | '''मोलिब्डेनम''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:Molybdenum) [[आवर्त सारणी]] के छठे संक्रमण समूह का [[तत्व]] है। इसके सात स्थिर [[समस्थानिक]] पाए जाते हैं, जिनकी [[द्रव्यमान संख्या]] 92, 94, 95, 96, 97, 98 और 100 है। इनके अतिरिक्त द्रव्यमान संख्या 93, 99, 101 और 105 के अस्थिर समस्थानिक कृत्रिम विधि से निर्मित हुए हैं। इसके अयस्क मोलिब्डेनाइट को बहुत काल तक भूल से ग्रैफाइट समझा गया । सन् 1778 में शीले ने इस अयस्क से मोलिब्डिक अम्ल बनाया। सन् 1782 में येल्म ने मोलिब्डेनम ऑक्साइड का [[कार्बन]] द्वारा अपचयन कर मोलिब्डेनम घातु तैयार की। | ||
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मोलिब्डेनाइट अयस्क को तेल प्लवन विधि द्वारा सांद्रित करते हैं। अयस्क को वायु में भून कर अथवा सोडियम कार्बोनेट के साथ संगलित कर, मोलिब्डेनम ऑक्साइड (MoO3) बनाते हैं। प्राप्त मोलिबडेनम ऑक्साइड का [[हाइड्रोजन]] अथवा कार्बन द्वारा अपचयन कर चूर्ण धातु तैयार की जाती है। चूर्ण को दबाकर दंड बनाए जाते हैं। दंडों को हाइड्रोजन के वातावरण में रखकर, इनमें प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित करने पर इनका [[ताप]] बढ़ता है, जिससे सघन घातवर्ध्य गुणवाली धातु बन जाती है। | मोलिब्डेनाइट अयस्क को तेल प्लवन विधि द्वारा सांद्रित करते हैं। अयस्क को वायु में भून कर अथवा सोडियम कार्बोनेट के साथ संगलित कर, मोलिब्डेनम ऑक्साइड (MoO3) बनाते हैं। प्राप्त मोलिबडेनम ऑक्साइड का [[हाइड्रोजन]] अथवा कार्बन द्वारा अपचयन कर चूर्ण धातु तैयार की जाती है। चूर्ण को दबाकर दंड बनाए जाते हैं। दंडों को हाइड्रोजन के वातावरण में रखकर, इनमें प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित करने पर इनका [[ताप]] बढ़ता है, जिससे सघन घातवर्ध्य गुणवाली धातु बन जाती है। |
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मोलिब्डेनम (अंग्रेज़ी:Molybdenum) आवर्त सारणी के छठे संक्रमण समूह का तत्व है। इसके सात स्थिर समस्थानिक पाए जाते हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्या 92, 94, 95, 96, 97, 98 और 100 है। इनके अतिरिक्त द्रव्यमान संख्या 93, 99, 101 और 105 के अस्थिर समस्थानिक कृत्रिम विधि से निर्मित हुए हैं। इसके अयस्क मोलिब्डेनाइट को बहुत काल तक भूल से ग्रैफाइट समझा गया । सन् 1778 में शीले ने इस अयस्क से मोलिब्डिक अम्ल बनाया। सन् 1782 में येल्म ने मोलिब्डेनम ऑक्साइड का कार्बन द्वारा अपचयन कर मोलिब्डेनम घातु तैयार की।
निर्माण
मोलिब्डेनाइट अयस्क को तेल प्लवन विधि द्वारा सांद्रित करते हैं। अयस्क को वायु में भून कर अथवा सोडियम कार्बोनेट के साथ संगलित कर, मोलिब्डेनम ऑक्साइड (MoO3) बनाते हैं। प्राप्त मोलिबडेनम ऑक्साइड का हाइड्रोजन अथवा कार्बन द्वारा अपचयन कर चूर्ण धातु तैयार की जाती है। चूर्ण को दबाकर दंड बनाए जाते हैं। दंडों को हाइड्रोजन के वातावरण में रखकर, इनमें प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित करने पर इनका ताप बढ़ता है, जिससे सघन घातवर्ध्य गुणवाली धातु बन जाती है।
गुणधर्म
चूर्ण मोलिब्डेनम मटमैले रंग का होता है, परंतु सघन धातु चमकदार श्वेत रंग लिए रहती है। यद्यपि यह कठोर धातु हैं, तथापि इसपर पालिश की जा सकती है। इसका संकेत Mo, परमाणु संख्या 42, परमाणु भार 95.94, गलनांक 2,600° सें., क्वथनांक 4,800°, घनत्व 10.2 ग्राम प्रति घन सेंमी., परमाणु व्यास 2.8 A° विद्युत् प्रतिरोधकता 5.17 माइक्रोओह्म सेंमी. तथा आयनन भिव 7.13 इवों है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
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