देवी चन्द्र गुप्तम: Difference between revisions
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Latest revision as of 13:51, 5 January 2012
देवी चन्द्र गुप्तम संस्कृत का एक लुप्त नाटक, जिसके कतिपय अंश खोज में प्राप्त हुए हैं। इस नाटक का लेखक विशाखदत्त को माना जाता है। इस नाटक का कथानक चन्द्रगुप्त द्वितीय के बड़े भाई रामगुप्त के राज्यकाल से सम्बन्धित है।
- रामगुप्त एक कायर तथा कुल कलंक साबित हुआ था।
- वह अन्तिम शक छत्रप रुद्रसिंह के आक्रमण से अत्यधिक भयभीत हो गया था।
- इस भय के कारण वह अपनी भार्या को रुद्रसिंह को भेंट करने को प्रस्तुत हो गया।
- तब उसके कनिष्ठ भ्राता चन्द्रगुप्त द्वितीय ने शकराज की हत्या करके कुल गौरव की रक्षा की।
- इसके बाद चन्द्रगुप्त द्वितीय ने बड़े भाई रामगुप्त का भी वध कर डाला और उसकी भार्या से विवाह कर लिया।
- इस नाटक से विदित होता है कि गुप्त राजवंश में समुद्रगुप्त और चन्द्रगुप्त द्वितीय के बीच रामगुप्त भी सिंहासनारूढ़ हुआ था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 210 |