बिलग्राम: Difference between revisions

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'''बिलग्राम''' [[हरदोई ज़िला]], [[उत्तर प्रदेश]] का एक कस्बा है। यह कस्बा प्राचीन श्रीनगर या भिल्लग्राम नाम के नगर के खंडहरों पर बसा हुआ है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=630|url=}}</ref>
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*बिलग्राम हरदोई का एक उपखंड है, जिसके बारे में यह बताया जाता है कि यह मूल रूप से 'विलग राम' शब्द का अपभ्रंश है। 'विलग राम' अर्थात 'राम से विलग रहने वाला'।
*बिलग्राम हरदोई का एक उपखंड है, जिसके बारे में यह बताया जाता है कि यह मूल रूप से 'विलग राम' शब्द का अपभ्रंश है। 'विलग राम' अर्थात 'राम से विलग रहने वाला'।
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*[[दिल्ली सल्तनत]] के सुल्तान [[इल्तुतमिश]] के समय में बिलग्राम पर [[मुस्लिम|मुस्लिमों]] का अधिकार हो गया था।
*[[दिल्ली सल्तनत]] के सुल्तान [[इल्तुतमिश]] के समय में बिलग्राम पर [[मुस्लिम|मुस्लिमों]] का अधिकार हो गया था।
*बिलग्राम में विद्वान मुस्लिमों की पुरानी पंरपरा रही है। इनमें से कई विद्वानों ने [[हिन्दी]] में कविताएँ भी लिखी हैं।
*बिलग्राम में विद्वान मुस्लिमों की पुरानी पंरपरा रही है। इनमें से कई विद्वानों ने [[हिन्दी]] में कविताएँ भी लिखी हैं।
*पश्चमध्ययुगीन काल में ऐसे ही कवि मीर जलील हुए, जिन्होंने एक बरवैछंद में अपना परिचय लिखते हुए कहा है-
*पश्चमध्ययुगीन काल में ऐसे ही कवि मीर जलील हुए, जिन्होंने एक बरवैछंद में अपना परिचय लिखते हुए कहा है-
<blockquote>'बिलग्राम कौ वासी मीर जलील, तुम्हरि सरन गहि गाहै हे निधिशील।'</blockquote>
<blockquote>'बिलग्राम कौ वासी मीर जलील, तुम्हरि सरन गहि गाहै हे निधिशील।'</blockquote>
 
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विश्व में पक्षियों की लगभग दस हज़ार प्रजातियाँ हैं, उनमें से लगभग 1300 प्रजातियाँ [[भारत]] में पायी जाती हैं और उसमें से उत्तर प्रदेश में 550 प्रजातियाँ पायी जाती हैं। इनमें से कुछ प्रजातियाँ केवल सर्दियों के मौसम में ही दिखलायी पडती हैं। वे सामान्यतः प्रवासी पक्षी हैं, जैसे पर्पल सनबर्ड जो उत्तर प्रदेश के हृदय स्थल में स्थित हरदोई जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित सण्डी पक्षी विहार में [[दिसम्बर]] के दूसरे सप्ताह के आसपास दिखलाई पडता है।  
*[[1909]] में यहां के निवासी एक [[मुसलमान]], सैयद हुसैन बिलग्रामी को [[महारानी विक्टोरिया]] के वादे को लागू करने के लिए व्हाइट हॉल में नियुक्त किया गया, जिन्होंने [[मॉर्ले मिण्टो सुधार]] में तथा कालान्तर में [[मुस्लिम लीग]] की स्थापना में सक्रिय भूमिका निभाई।
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*विश्व में पक्षियों की लगभग दस हज़ार प्रजातियाँ हैं, उनमें से लगभग 1300 प्रजातियाँ [[भारत]] में पायी जाती हैं और उसमें से उत्तर प्रदेश में 550 प्रजातियाँ पायी जाती हैं। इनमें से कुछ प्रजातियाँ केवल सर्दियों के मौसम में ही दिखलायी पडती हैं। वे सामान्यतः प्रवासी पक्षी हैं, जैसे पर्पल सनबर्ड जो उत्तर प्रदेश के हृदय स्थल में स्थित हरदोई जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित सण्डी पक्षी विहार में [[दिसम्बर]] के दूसरे सप्ताह के आसपास दिखलाई पडता है।  
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

Revision as of 02:57, 11 February 2013

[[चित्र:Sandi.jpg| साण्डी पक्षी अभ्यारण|thumb|250px]]बिलग्राम हरदोई ज़िला, उत्तर प्रदेश का एक कस्बा है। यह कस्बा प्राचीन श्रीनगर या भिल्लग्राम नाम के नगर के खंडहरों पर बसा हुआ है।[1]

  • बिलग्राम हरदोई का एक उपखंड है, जिसके बारे में यह बताया जाता है कि यह मूल रूप से 'विलग राम' शब्द का अपभ्रंश है। 'विलग राम' अर्थात 'राम से विलग रहने वाला'।
  • दिल्ली सल्तनत के सुल्तान इल्तुतमिश के समय में बिलग्राम पर मुस्लिमों का अधिकार हो गया था।
  • बिलग्राम में विद्वान मुस्लिमों की पुरानी पंरपरा रही है। इनमें से कई विद्वानों ने हिन्दी में कविताएँ भी लिखी हैं।
  • पश्चमध्ययुगीन काल में ऐसे ही कवि मीर जलील हुए, जिन्होंने एक बरवैछंद में अपना परिचय लिखते हुए कहा है-

'बिलग्राम कौ वासी मीर जलील, तुम्हरि सरन गहि गाहै हे निधिशील।'

पर्पल सनबर्ड|thumb|250px

  • 1909 में यहां के निवासी एक मुसलमान, सैयद हुसैन बिलग्रामी को महारानी विक्टोरिया के वादे को लागू करने के लिए व्हाइट हॉल में नियुक्त किया गया, जिन्होंने मॉर्ले मिण्टो सुधार में तथा कालान्तर में मुस्लिम लीग की स्थापना में सक्रिय भूमिका निभाई।
  • विश्व में पक्षियों की लगभग दस हज़ार प्रजातियाँ हैं, उनमें से लगभग 1300 प्रजातियाँ भारत में पायी जाती हैं और उसमें से उत्तर प्रदेश में 550 प्रजातियाँ पायी जाती हैं। इनमें से कुछ प्रजातियाँ केवल सर्दियों के मौसम में ही दिखलायी पडती हैं। वे सामान्यतः प्रवासी पक्षी हैं, जैसे पर्पल सनबर्ड जो उत्तर प्रदेश के हृदय स्थल में स्थित हरदोई जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित सण्डी पक्षी विहार में दिसम्बर के दूसरे सप्ताह के आसपास दिखलाई पडता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 630 |

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