नवलगढ़: Difference between revisions
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रंग-बिरंगा | रंग-बिरंगा बाज़ार तथा अनगिनत हवेलियाँ और महीन [[वास्तुकला]] के साथ यहाँ का विशाल क़िला इस जगह को रोचक दर्शन स्थल बनाते हैं। यहाँ कुछ मुख्य हवेलियाँ हैं, जैसे- आनंदीलाल पोद्दार हवेली, आठ हवेली, होड़ राज पटोदिया हवेली, जहाँ पर्यटक जा सकते हैं। यहाँ पर दो क़िले भी हैं। महल का होटल रुप निवास एक सुंदर विरासत संपत्ति है और यहाँ आधुनिक सुविधायें उपलब्ध हैं। इस महल में विशाल रंगीन कमरें, आरामदेह व्यवस्था, अदब के साथ आतिथ्य तथा संकल्पना पर आधारित शाम का मनोरंजन और साथ में भोजन भी उपलब्ध है। | ||
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नवलगढ़ का क़िला वर्ष 1737 में स्थापित किया गया था। यह अब काफ़ी हद तक खंड़हर बन चुका है। अग्नेय दिशा में केवल एक ही कमरें में सुंदर मीनाकारी तथा पुराने [[जयपुर]] तथा नवलगढ़ के चित्र हैं। यहाँ जाने के लिये एक मिठाई की दुकान से होकर गुजरना होता है, जिसके लिए शुल्क देना पड़ता है। इस [[क़िला|क़िले]] का बाकी हिस्सा एक बहुत बड़ा [[फल]] तथा [[सब्जियाँ|सब्जियों]] का | नवलगढ़ का क़िला वर्ष 1737 में स्थापित किया गया था। यह अब काफ़ी हद तक खंड़हर बन चुका है। अग्नेय दिशा में केवल एक ही कमरें में सुंदर मीनाकारी तथा पुराने [[जयपुर]] तथा नवलगढ़ के चित्र हैं। यहाँ जाने के लिये एक मिठाई की दुकान से होकर गुजरना होता है, जिसके लिए शुल्क देना पड़ता है। इस [[क़िला|क़िले]] का बाकी हिस्सा एक बहुत बड़ा [[फल]] तथा [[सब्जियाँ|सब्जियों]] का बाज़ार और दो बैंक इस्तेमाल करती हैं। | ||
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नवलगढ़ क़िले के पश्चिम में हवेलियों का एक समूह है, जिसे 'आठ हवेलियाँ' कहते हैं। इन हवेलियों पर बनी नक्काशी आधुनिकता के साथ मेल खाती है। एक चित्र में भाप का इंजन है तो अन्य में बड़े [[हाथी]], घोड़े तथा ऊँट की प्रतिमायें हैं। इन हवेलियों के सामने है मोरारका हवेली, जिसमें कुछ बहुत ही सुंदर चित्र हैं। इसमें भगवान [[श्रीकृष्ण]] से जुड़ी कथाओं पर आधारित सूक्ष्म चित्र भी हैं। इस हवेली में कोई नहीं रहता तथा उसका आंगन हमेशा बंद रहता है। महत्वपूर्ण कार्यक्रम के समय इसे खोला जाता है। उत्तर दिशा में है हेमराज कुलवाल हवेली, जो [[1931]] में बनवाई गई थी। इस हवेली के द्वार पर [[गांधीजी]] तथा [[जवाहरलाल नेहरू]] के साथ कुलवाल परिवार के सदस्यों के चित्र हैं। अन्य देखने लायक हवेलियों हैं- | नवलगढ़ क़िले के पश्चिम में हवेलियों का एक समूह है, जिसे 'आठ हवेलियाँ' कहते हैं। इन हवेलियों पर बनी नक्काशी आधुनिकता के साथ मेल खाती है। एक चित्र में भाप का इंजन है तो अन्य में बड़े [[हाथी]], घोड़े तथा ऊँट की प्रतिमायें हैं। इन हवेलियों के सामने है मोरारका हवेली, जिसमें कुछ बहुत ही सुंदर चित्र हैं। इसमें भगवान [[श्रीकृष्ण]] से जुड़ी कथाओं पर आधारित सूक्ष्म चित्र भी हैं। इस हवेली में कोई नहीं रहता तथा उसका आंगन हमेशा बंद रहता है। महत्वपूर्ण कार्यक्रम के समय इसे खोला जाता है। उत्तर दिशा में है हेमराज कुलवाल हवेली, जो [[1931]] में बनवाई गई थी। इस हवेली के द्वार पर [[गांधीजी]] तथा [[जवाहरलाल नेहरू]] के साथ कुलवाल परिवार के सदस्यों के चित्र हैं। अन्य देखने लायक हवेलियों हैं- |
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नवलगढ़ झुंझुनू ज़िला, राजस्थान की तहसील है। यह मुकुन्दगढ़ के उत्तर में पन्द्रह किलोमीटर और डुण्डलोद से दस किलोमीटर दूर स्थित है। 18वीं शताब्दी में स्थापित इस गढ़ में शेखावाटी प्रदेश की कुछ अत्यंत सुंदर कलाकृतियाँ मौजूद हैं।
इतिहास
नवलगढ़ की स्थापना ठाकुर नवल सिंह बहादुर ने 1737 ई. में की थी। मारवाड़ी समुदाय के कई महान व्यापारिक परिवार नवलगढ़ मूल के हैं। नवलगढ़ उच्च दीवारों और अलग-अलग दिशाओं में चार फाटकों, अगूना दरवाजा, बावड़ी दरवाजा, मंडी दरवाजा और नानसा दरवाजा से मिलकर सुसज्जित घेरे में सुरक्षित किया गया था।
पर्यटन स्थल
रंग-बिरंगा बाज़ार तथा अनगिनत हवेलियाँ और महीन वास्तुकला के साथ यहाँ का विशाल क़िला इस जगह को रोचक दर्शन स्थल बनाते हैं। यहाँ कुछ मुख्य हवेलियाँ हैं, जैसे- आनंदीलाल पोद्दार हवेली, आठ हवेली, होड़ राज पटोदिया हवेली, जहाँ पर्यटक जा सकते हैं। यहाँ पर दो क़िले भी हैं। महल का होटल रुप निवास एक सुंदर विरासत संपत्ति है और यहाँ आधुनिक सुविधायें उपलब्ध हैं। इस महल में विशाल रंगीन कमरें, आरामदेह व्यवस्था, अदब के साथ आतिथ्य तथा संकल्पना पर आधारित शाम का मनोरंजन और साथ में भोजन भी उपलब्ध है।
क़िला
नवलगढ़ का क़िला वर्ष 1737 में स्थापित किया गया था। यह अब काफ़ी हद तक खंड़हर बन चुका है। अग्नेय दिशा में केवल एक ही कमरें में सुंदर मीनाकारी तथा पुराने जयपुर तथा नवलगढ़ के चित्र हैं। यहाँ जाने के लिये एक मिठाई की दुकान से होकर गुजरना होता है, जिसके लिए शुल्क देना पड़ता है। इस क़िले का बाकी हिस्सा एक बहुत बड़ा फल तथा सब्जियों का बाज़ार और दो बैंक इस्तेमाल करती हैं।
हवेलियाँ
नवलगढ़ क़िले के पश्चिम में हवेलियों का एक समूह है, जिसे 'आठ हवेलियाँ' कहते हैं। इन हवेलियों पर बनी नक्काशी आधुनिकता के साथ मेल खाती है। एक चित्र में भाप का इंजन है तो अन्य में बड़े हाथी, घोड़े तथा ऊँट की प्रतिमायें हैं। इन हवेलियों के सामने है मोरारका हवेली, जिसमें कुछ बहुत ही सुंदर चित्र हैं। इसमें भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी कथाओं पर आधारित सूक्ष्म चित्र भी हैं। इस हवेली में कोई नहीं रहता तथा उसका आंगन हमेशा बंद रहता है। महत्वपूर्ण कार्यक्रम के समय इसे खोला जाता है। उत्तर दिशा में है हेमराज कुलवाल हवेली, जो 1931 में बनवाई गई थी। इस हवेली के द्वार पर गांधीजी तथा जवाहरलाल नेहरू के साथ कुलवाल परिवार के सदस्यों के चित्र हैं। अन्य देखने लायक हवेलियों हैं-
- भगतों की छोटी हवेली
- परशुरामपुरिया हवेली
- धारनी धाकरा हवेली
- चौछारिया हवेली
- हीरा लाल सरावगी हवेली
- गीवराजका हवेली
डॉ. रामनाथ पोद्दार हवेली संग्रहालय, इन सभी में भित्ती चित्रों की देखभाल की जाती है तथा नये चित्र शामिल होते रहते हैं।
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