बरमान: Difference between revisions
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*बरमान मेले की शुरुआत कब हुई, इसका कोई ऐतिहासिक दस्तावेज़ तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन जनश्रुति के आधार पर यह मेला आठ सदियों के पड़ाव पार कर चुका है। | *बरमान मेले की शुरुआत कब हुई, इसका कोई ऐतिहासिक दस्तावेज़ तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन जनश्रुति के आधार पर यह मेला आठ सदियों के पड़ाव पार कर चुका है। | ||
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Revision as of 14:27, 31 July 2014
बरमान मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध स्थलों में से एक है। यह करेली-सागर मार्ग पर स्थित है। बरमान को ख़ासी लोकप्रियता प्राप्त है, क्योंकि यहाँ 'मकर संक्रांति' से एक विशाल मेले का आयोजन होता है जो करीब एक माह तक चलता है। यह मेला 'बरमान मेला' के नाम से जाना जाता है।
- नर्मदा नदी के किनारे बरमान के मेले तले विभिन्न पृष्ठभूमियों और रीति-रीवाज से जुड़े लोगों का संगम करीब एक महीने तक चलता है।
- भारत की प्रमुख नदियों में से एक नर्मदा नदी यहाँ से भी होकर गुजरती है।
- नदियों के किनारे पैदा हुई मेला संस्कृति ने कई परंपराओं व मान्यताओं को हमेशा ही पोषित किया है। नरसिंहपुर ज़िले का बरमान मेला भी मूल्यों व परंपरा संग सदियों का सफर पूरा कर चुका है।
- बरमान मेले की शुरुआत कब हुई, इसका कोई ऐतिहासिक दस्तावेज़ तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन जनश्रुति के आधार पर यह मेला आठ सदियों के पड़ाव पार कर चुका है।
- यहाँ आज भी 12वीं सदी की वराह प्रतिमा और रानी दुर्गावती द्वारा 'ताजमहल' की आकृति का बनाया मंदिर मौजूद है। इसके अलावा यहाँ स्थित 17वीं शताब्दी का 'राम-जानकी मंदिर', 18वीं शताब्दी का 'हाथी दरवाज़ा', 'छोटा खजुराहो' के रूप में ख्यात 'सोमेश्वर मंदिर', 'गरुड़ स्तंभ', 'पांडव कुंड', 'ब्रह्म कुंड', 'सतधारा', 'दीपेश्वर मंदिर', 'शारदा मंदिर' व 'लक्ष्मीनारायण मंदिर' इतिहास का जीवंत दस्तावेज हैं।
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