अस कहि चला महा अभिमानी: Difference between revisions

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ऐसा कहकर वह महान अभिमानी बालि [[सुग्रीव]] को तिनके के समान जानकर चला। दोनों भिड़ गए। [[बालि]] ने सुग्रीव को बहुत धमकाया और घूँसा मारकर बड़े जोर से गरजा॥1॥
ऐसा कहकर वह महान् अभिमानी बालि [[सुग्रीव]] को तिनके के समान जानकर चला। दोनों भिड़ गए। [[बालि]] ने सुग्रीव को बहुत धमकाया और घूँसा मारकर बड़े जोर से गरजा॥1॥


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Latest revision as of 14:11, 30 June 2017

अस कहि चला महा अभिमानी
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड किष्किंधा काण्ड
चौपाई

अस कहि चला महा अभिमानी। तृन समान सुग्रीवहि जानी॥
भिरे उभौ बाली अति तर्जा। मुठिका मारि महाधुनि गर्जा॥1॥

भावार्थ

ऐसा कहकर वह महान् अभिमानी बालि सुग्रीव को तिनके के समान जानकर चला। दोनों भिड़ गए। बालि ने सुग्रीव को बहुत धमकाया और घूँसा मारकर बड़े जोर से गरजा॥1॥


left|30px|link=कह बाली सुनु भीरु|पीछे जाएँ अस कहि चला महा अभिमानी right|30px|link=तब सुग्रीव बिकल होइ भागा|आगे जाएँ

चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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