राम भगति मनि उर बस जाकें: Difference between revisions
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राम भगति मनि उर बस जाकें। | राम भगति मनि उर बस जाकें। दु:ख लवलेस न सपनेहुँ ताकें॥ | ||
चतुर सिरोमनि तेइ जग माहीं। जे मनि लागि सुजतन कराहीं॥5॥ | चतुर सिरोमनि तेइ जग माहीं। जे मनि लागि सुजतन कराहीं॥5॥ | ||
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Revision as of 14:10, 2 June 2017
राम भगति मनि उर बस जाकें
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | उत्तरकाण्ड |
सभी (7) काण्ड क्रमश: | बालकाण्ड, अयोध्या काण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड, उत्तरकाण्ड |
राम भगति मनि उर बस जाकें। दु:ख लवलेस न सपनेहुँ ताकें॥ |
- भावार्थ
श्री रामभक्ति रूपी मणि जिसके हृदय में बसती है, उसे स्वप्न में भी लेशमात्र दुःख नहीं होता। जगत में वे ही मनुष्य चतुरों के शिरोमणि हैं जो उस भक्ति रूपी मणि के लिए भली-भाँति यत्न करते हैं॥5॥
left|30px|link=गरल सुधासम अरि हित होई|पीछे जाएँ | राम भगति मनि उर बस जाकें | right|30px|link=सो मनि जदपि प्रगट जग अहई|आगे जाएँ |
चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (उत्तरकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-536
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