सौर ऊर्जा: Difference between revisions
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वैसे तो सौर ऊर्जा को विविध प्रकार से प्रयोग किया जाता है, किन्तु सूर्य की ऊर्जा को [[विद्युत|विद्युत ऊर्जा]] में बदलने को ही मुख्य रूप से सौर ऊर्जा के रूप में जाना जाता है। सूर्य की ऊर्जा को दो प्रकार से विद्युत ऊर्जा में बदला जा सकता है। पहला प्रकाश-विद्युत सेल की सहायता से और दूसरा किसी तरल पदार्थ को सूर्य की [[ऊष्मा]] से गर्म करने के बाद इससे विद्युत जनित्र चलाकर। | वैसे तो सौर ऊर्जा को विविध प्रकार से प्रयोग किया जाता है, किन्तु सूर्य की ऊर्जा को [[विद्युत|विद्युत ऊर्जा]] में बदलने को ही मुख्य रूप से सौर ऊर्जा के रूप में जाना जाता है। सूर्य की ऊर्जा को दो प्रकार से विद्युत ऊर्जा में बदला जा सकता है। पहला प्रकाश-विद्युत सेल की सहायता से और दूसरा किसी तरल पदार्थ को सूर्य की [[ऊष्मा]] से गर्म करने के बाद इससे विद्युत जनित्र चलाकर। |
Latest revision as of 10:47, 2 January 2018
सौर ऊर्जा (अंग्रेज़ी: Solar Energy) वह ऊर्जा है, जो सीधे सूर्य से प्राप्त की जाती है। यह ऊर्जा ही मौसम एवं जलवायु का परिवर्तन करती है। यही धरती पर सभी प्रकार के पेड़-पौधे और जीव-जन्तुओं का सहारा है। भारत में बिजली हर बीतते दिन के साथ और अधिक महंगी होती जा रही है, इसलिए अपनी बिजली ज़रूरतों को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करने में अधिक लोगों की रुचि भी निरंतर बढ़ रहीं है।
वैसे तो सौर ऊर्जा को विविध प्रकार से प्रयोग किया जाता है, किन्तु सूर्य की ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने को ही मुख्य रूप से सौर ऊर्जा के रूप में जाना जाता है। सूर्य की ऊर्जा को दो प्रकार से विद्युत ऊर्जा में बदला जा सकता है। पहला प्रकाश-विद्युत सेल की सहायता से और दूसरा किसी तरल पदार्थ को सूर्य की ऊष्मा से गर्म करने के बाद इससे विद्युत जनित्र चलाकर।
विशेषताएँ
सूर्य को एक दिव्य शक्ति स्रोतशान्त व पर्यावरण सुहृद प्रकृति के कारण, नवीकरणीय सौर ऊर्जा को लोगों ने अपनी संस्कृति व जीवन यापन के तरीके के समरूप पाया है। विज्ञान व संस्कृति के एकीकरण तथा संस्कृति व प्रौद्योगिकी के उपस्करों के प्रयोग द्वारा सौर ऊर्जा भविष्य के लिए अक्षय ऊर्जा का स्रोत साबित होने वाली है। सूर्य से सीधे प्राप्त होने वाली ऊर्जा में कई खास विशेषताएं हैं, जो इस स्रोत को आकर्षक बनाती हैं। इनमें इसका अत्यधिक विस्तारित होना, अप्रदूषणकारी होना व अक्षुण होना प्रमुख हैं। सम्पूर्ण भारतीय भूभाग पर 5000 लाख करोड़ किलोवाट घंटा प्रति वर्ग मीटर के बराबर सौर ऊर्जा आती है, जो कि विश्व की संपूर्ण विद्युत खपत से कई गुने अधिक है। साफ धूप वाले (बिना धुंध व बादल के) दिनों में प्रतिदिन का औसत सौर ऊर्जा का सम्पात चार से सात किलोवाट घंटा प्रति वर्ग मीटर तक होता है। देश में वर्ष में लगभग 250 से 300 दिन ऐसे होते हैं, जब सूर्य की रोशनी पूरे दिन भर उपलब्ध रहती है।
कमियां
सौर ऊर्जा की कई परेशानियां भी होती हैं। व्यापक पैमाने पर बिजली निर्माण के लिए पैनलों पर भारी निवेश करना पड़ता है। दूसरा, दुनिया में अनेक स्थानों पर सूर्य की रोशनी कम आती है, इसलिए वहां सोलर पैनल कारगर नहीं हैं। तीसरा, सोलर पैनल बरसात के मौसम में ज्यादा बिजली नहीं बना पाते। फिर भी विशेषज्ञों का मत है कि भविष्य में सौर ऊर्जा का अधिकाधिक प्रयोग होगा।
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