कंकाली देवी मन्दिर मथुरा: Difference between revisions
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*[[भागवत पुराण|श्रीमद्भागवत]] के अनुसार [[यशोदा]] रानी के गर्भ से पैदा हुई कन्या को [[वसुदेव]] जी [[मथुरा]] लाये और इसी कन्या के बदले में [[नन्द|नन्दबाबा]] के घर श्रीकृष्ण पहुंचाये गये । कहा जाता है कि क्रूर कंस ने इसी बालिका का वध करने के लिए इस स्थान पर एक पत्थर की शिला पर पटख कर मारने का प्रयास किया था, किन्तु बालिका कंस के हाथ से छूट कर आकाश में चली गई तभी से यह स्थल [[कंस]] काली के नाम से विख्यात है । | *[[भागवत पुराण|श्रीमद्भागवत]] के अनुसार [[यशोदा]] रानी के गर्भ से पैदा हुई कन्या को [[वसुदेव]] जी [[मथुरा]] लाये और इसी कन्या के बदले में [[नन्द|नन्दबाबा]] के घर श्रीकृष्ण पहुंचाये गये । कहा जाता है कि क्रूर कंस ने इसी बालिका का वध करने के लिए इस स्थान पर एक पत्थर की शिला पर पटख कर मारने का प्रयास किया था, किन्तु बालिका कंस के हाथ से छूट कर आकाश में चली गई तभी से यह स्थल [[कंस]] काली के नाम से विख्यात है । | ||
*मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान के पश्चात द्वितीय | *मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान के पश्चात द्वितीय महत्त्वपूर्ण प्राचीन स्थल यही है, जहां देव निर्मित स्तूप एवं नर वाहना कुबेरा देवी मन्दिर जैसे प्राचीन देव स्थानों के अतिरिक्त [[जैन]] , [[बौद्ध]] धर्म के मन्दिर, मठ और देवालय थे। | ||
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Revision as of 13:24, 4 January 2011
- मथुरा मे कंकाली टीला पर कंकाली देवी का मन्दिर स्थापित है ।
- कंकाली को पूर्व में कंस काली के नाम से जाना जाता है, जिसकी स्थापना कृष्ण जन्म की घटना से जुड़ी बताई जाती हैं। कंस के द्वारा पूजित होने के कारण यह कंस काली या कंकाली देवी कहलाती है ।
[[चित्र:Kankali-Devi-Kankali-Tila-Mathura-1.jpg|thumb|250px|कंकाली देवी मन्दिर, मथुरा
Kankali Devi Temple, Mathura]]
- यह वही अष्टभुजा सिंहवाहनी दुर्गा देवी है, जिसे कंस ने देवकी की कन्या समझकर उसे मारना चाहा था, किन्तु देवी उसके हाथ से छूटकर आकाश में चली गई थी ।
- श्रीमद्भागवत के अनुसार यशोदा रानी के गर्भ से पैदा हुई कन्या को वसुदेव जी मथुरा लाये और इसी कन्या के बदले में नन्दबाबा के घर श्रीकृष्ण पहुंचाये गये । कहा जाता है कि क्रूर कंस ने इसी बालिका का वध करने के लिए इस स्थान पर एक पत्थर की शिला पर पटख कर मारने का प्रयास किया था, किन्तु बालिका कंस के हाथ से छूट कर आकाश में चली गई तभी से यह स्थल कंस काली के नाम से विख्यात है ।
- मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान के पश्चात द्वितीय महत्त्वपूर्ण प्राचीन स्थल यही है, जहां देव निर्मित स्तूप एवं नर वाहना कुबेरा देवी मन्दिर जैसे प्राचीन देव स्थानों के अतिरिक्त जैन , बौद्ध धर्म के मन्दिर, मठ और देवालय थे।
- हूणों के आक्रमण काल में इस महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल की बड़ी क्षति हुई है । इस समय यहाँ स्थापित देवी प्रतिमा को मथुरा की प्रसिद्ध चार देवियों में से एक माना गया है ।
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