कूडियाट्टम नृत्य: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (श्रेणी:नया पन्ना; Adding category Category:नृत्य कला (को हटा दिया गया हैं।))
Line 47: Line 47:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{नृत्य कला}}
{{नृत्य कला}}
[[Category:कला कोश]]  
[[Category:कला कोश]]
[[Category:नया पन्ना]]
[[Category:नृत्य कला]]  
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Revision as of 10:57, 6 February 2011

300px|thumb|कूडियाट्टम नृत्य भारत में प्रचलित कुछ प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैलियों में से एक कूडियाट्टम नृत्य है। यह लम्बे समय चलने वाली नृत्यनाटिका है। यह नृत्य कुछ दिनों से लेकर कई सप्ताह तक चलता है। प्राचीन संस्कृत नाटकों का पुरातन केरलीय नाट्य रूप ही कूडियाट्टम कहलाता है। दो हज़ार वर्ष पुराने कूडियाट्टम को युनेस्को ने वैश्विक पुरातन कला के रूप में स्वीकार किया है। कूडियाट्टम नृत्य को चाक्यार और नंपियार समुदाय के लोग प्रस्तुत करते हैं। साधारणत कूत्तंपलम नामक मंदिर से जुडे नाट्यगृहों में इस कला का मंचन होता है। कूडियाट्टम प्रस्तुत करने के लिए दीर्घकालीन प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।

अर्थ

कूडियाट्टम शब्द का अर्थ है संघ नाट्य अथवा अभिनय अथवा संघटित नाटक या अभिनय। कूडियाट्टम में अभिनय को प्रधान्य दिया जाता है। भारत के नाट्यशास्त्र में अभिनय की चार रीति बताई गयी है - आंगिक, वाचिक, सात्विक और आहार्य। ये चारों रीतियाँ कूडियाट्टम में सम्मिलित रूप में जुडी हैं। कूडियाट्टम में हस्तमुद्राओं का प्रयोग करते हुए विशद अभिनय किया जाता है। इसमें इलकियाट्टम, पकर्न्नाट्टम, इरुन्नाट्टम आदि विशेष अभिनय रीतियाँ भी अपनाई जाती हैं। यह मनोरंजन के साथ-साथ उपदेशात्मक भी होता है। इसमें उपदेश देने वाले विदूषक की भूमिका सर्वप्रमुख होती है, जो सामाजिक बुराइयों की ओर इशारा करता है। परंतु कभी-कभी उसके व्यंग्य नृत्य के विषय से भटक भी जाते है।

प्रस्तुति

कूडियाट्टम में संस्कृत नाटकों की प्रस्तुति होती है, लेकिन पूरा नाटक प्रस्तुत नहीं किया जाता। प्राय एक अंक का ही अभिनय किया जाता है। अंकों को प्रमुखता दी जाने की वजह से प्राय कूडियाट्टम अंकों के नाम से जाना जाता है। इसी कारण से विच्छिन्नाभिषेकांक, माया सीतांक, शूर्पणखा अंक आदि नाम प्रचलित हो गये हैं। कूडियाट्टम के लिए प्रयुक्त संस्कृत नाटकों के नाम इस प्रकार हैं-

  • भास का 'प्रतिमा', 'अभिषेकम्', 'स्वप्न वासमदत्तम', 'प्रतिज्ञायोगंधरायणम्', 'ऊरुभंगम', 'मध्यमव्यायोगम्', 'दूतवाक्यम'
  • श्रीहर्ष का 'नागानन्द'
  • शक्तिभद्र का 'आश्चर्यचूडामणि'
  • कुलशेखरवर्मन के 'सुभद्राधनंजयम', 'तपती संवरणम्'
  • नीलकंठ का 'कल्याण सौगंधिकम्'
  • महेन्द्रविक्रमन का 'मत्तविलासम'
  • बोधायनन का 'भगवद्दज्जुकीयम'

नाटक का एक पूरा अंक कूडियाट्टम में प्रस्तुत करने के लिए लगभग आठ दिन का समय लगता है। पुराने जमाने में 41 दिन तक की मंचीय प्रस्तुति हुआ करती थी किन्तु आज यह प्रथा लुप्त हो गई है। कूत्तंपलम (नाट्यगृह) में भद्रदीप के सम्मुख कलाकार नाट्य प्रस्तुति करते हैं। अभिनय करने के संदर्भ में बैठने की आवश्यकता भी पड़ सकती है इसीलिए दो-एक पीठ भी रखे जाते हैं। जब कलाकार मंच पर प्रवेश करता है तब यवनिका पकडी जाती है।

प्रधान वाद्य

कूडियाट्टम का प्रधान वाद्य मिष़ाव नामक बाजा है। इडक्का, शंख, कुरुम्कुष़ल, कुष़ितालम् आदि दूसरे वाद्यंत्र हैं।

कूत्तंपलम से युक्त मंदिर

विशेष रूप में निर्मित कूत्तंपलम कूडियाट्टम की परंपरागत रंगवेदी है। कूत्तंपलम मंदिर के प्रांगण ही निर्मित होता था। कूत्तंपलम से युक्त मंदिरों के नाम इस तरह हैं[1]:-

  1. तिरुमान्धाम कुन्नु
  2. तिरुवार्प
  3. तिरुवालत्तूर (कोटुम्बा)
  4. गुरुवायूर
  5. आर्पुक्कारा
  6. किडन्गूर
  7. पेरुवनम
  8. तिरुवेगप्पुरा
  9. मूष़िक्कुलम
  10. तिरुनक्करा
  11. हरिप्पाड
  12. चेंगन्नूर
  13. इरिंगालक्कुटा
  14. तृश्शूर वडक्कुंन्नाथ मंदिर


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कूडियाट्टम् (हिन्दी) केरल टूरिज्म। अभिगमन तिथि: 29 जनवरी, 2011

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख