जिन: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 2: | Line 2: | ||
[[चित्र:Tirthankar-1.jpg|जैन तीर्थंकर, [[मथुरा]]<br /> Jain Tirthankar, Mathura|thumb|250px]] | [[चित्र:Tirthankar-1.jpg|जैन तीर्थंकर, [[मथुरा]]<br /> Jain Tirthankar, Mathura|thumb|250px]] | ||
{{main|जैन धर्म}} | {{main|जैन धर्म}} | ||
जैनों के एक | *जैनों के एक तीर्थंकर का भी नाम जिन है। | ||
'जैन' कहते हैं उन्हें, जो 'जिन' के अनुयायी हों। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने-जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान् का | *'जैन' कहते हैं उन्हें, जो 'जिन' के अनुयायी हों। | ||
*'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने-जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'। | |||
*जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान् का धर्म। | |||
*जैन धर्म का परम पवित्र और अनादि मूलमन्त्र है- णमो अरिहंताणं। | |||
णमो सिद्धाणं। | णमो सिद्धाणं। | ||
णमो आइरियाणं। | णमो आइरियाणं। | ||
णमो उवज्झायाणं। | णमो उवज्झायाणं। | ||
णमो लोए सव्वसाहूणं॥ | णमो लोए सव्वसाहूणं॥ | ||
*अर्थात अरिहंतो को नमस्कार, सिद्धों को नमस्कार, आचार्यों को नमस्कार, उपाध्यायों को नमस्कार, सर्व साधुओं को नमस्कार। | |||
अर्थात अरिहंतो को नमस्कार, सिद्धों को नमस्कार, आचार्यों को नमस्कार, उपाध्यायों को नमस्कार, सर्व साधुओं को नमस्कार। | *ये पाँच परमेष्ठी हैं। | ||
ये पाँच परमेष्ठी हैं। | |||
{{प्रचार}} | {{प्रचार}} |
Revision as of 09:23, 29 August 2011
चित्र:Disamb2.jpg जिन | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- जिन (बहुविकल्पी) |
[[चित्र:Tirthankar-1.jpg|जैन तीर्थंकर, मथुरा
Jain Tirthankar, Mathura|thumb|250px]]
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
- जैनों के एक तीर्थंकर का भी नाम जिन है।
- 'जैन' कहते हैं उन्हें, जो 'जिन' के अनुयायी हों।
- 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने-जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'।
- जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान् का धर्म।
- जैन धर्म का परम पवित्र और अनादि मूलमन्त्र है- णमो अरिहंताणं।
णमो सिद्धाणं। णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं। णमो लोए सव्वसाहूणं॥
- अर्थात अरिहंतो को नमस्कार, सिद्धों को नमस्कार, आचार्यों को नमस्कार, उपाध्यायों को नमस्कार, सर्व साधुओं को नमस्कार।
- ये पाँच परमेष्ठी हैं।
|
|
|
|
|