बनारसी साड़ी: Difference between revisions

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* बनारसी साड़ियों की कारीगरी सदियों पुरानी है।  
* बनारसी साड़ियों की कारीगरी सदियों पुरानी है।  

Revision as of 12:59, 27 October 2011

[[चित्र:Varanasi-2.jpg|thumb|बनारसी साड़ी में विदेशी महिला, वाराणसी]] वाराणसी की बनारसी साड़ियाँ दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। लाल, हरी और अन्य गहरे रंगों की ये साड़ियां हिंदू परिवारों में किसी भी शुभ अवसर के लिए आवश्यक मानी जाती हैं। उत्तर भारत में अधिकांश बहू-बेटियाँ बनारसी साड़ी में ही विदा की जाती हैं।

  • बनारसी साड़ियों की कारीगरी सदियों पुरानी है।
  • जरी, बेलबूटे और शुभ डिजाइनों से सजी ये साड़ियां हर आयवर्ग के परिवारों को संतुष्ट करती हैं और उनकी ज़रूरतें पूरी करती हैं।
  • बनारसी साड़ियां सुहाग का प्रतीक मानी जाती हैं। पारंपरिक हिंदू समाज में बनारसी साड़ी का महत्व चूड़ी और सिंदूर के समान है।
  • उत्तर भारत की विवाहित और सधवा स्त्रियाँ विवाह के अवसर पर मिली इन साड़ियों को बड़े यत्न से संभालकर रखती हैं।
  • केवल ख़ास-शुभ अवसरों पर ही स्त्रियां बनारसी साड़ियों को पहनती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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