User:लक्ष्मी गोस्वामी/अभ्यास3: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 27: | Line 27: | ||
+[[गुरु अमरदास]] | +[[गुरु अमरदास]] | ||
-[[गुरु रामदास]] | -[[गुरु रामदास]] | ||
||[[चित्र:Guru-Amar-Das.jpg|right|120px|गुरु अमरदास]] | ||[[चित्र:Guru-Amar-Das.jpg|right|120px|गुरु अमरदास]]गुरु अमरदास ने अपनी बातें सिर्फ़ उपदेशात्मक रुप में कही हों, ऐसा कदापि नहीं है, उन्होनें उन उपदेशों को अपने जीवन में अमल में लाकर स्वयं एक आदर्श बनकर सामाजिक सद्भाव की मिसाल क़ायम की। [[गुरु अमरदास]] ने छूत-अछूत जैसी बुराइयों को दूर करने के लिये 'लंगर परम्परा' चलाई, जहाँ कथित अछूत लोग, जिनके सामीप्य से लोग बचने की कोशिश करते थे, उन्हीं उच्च जाति वालों के साथ एक पंक्ति में बैठकर भोजन करते थे। गुरु अमरदास द्वारा शुरु की गई यह लंगर परम्परा आज भी क़ायम है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुरु अमरदास]] | ||
{[[पुराण|पुराणों]] की कुल संख्या कितनी है? | {[[पुराण|पुराणों]] की कुल संख्या कितनी है? | ||
Line 40: | Line 40: | ||
-[[सांख्य दर्शन]] से | -[[सांख्य दर्शन]] से | ||
-योग दर्शन से | -योग दर्शन से | ||
+[[ | +[[न्याय दर्शन]] से | ||
-[[वैशेषिक दर्शन]] से | -[[वैशेषिक दर्शन]] से | ||
||'न्याय दर्शन' के कर्ता [[महर्षि गौतम]] परम तपस्वी एवं संयमी थे। '[[न्यायसूत्र]]' के रचयिता का गोत्र नाम 'गौतम' और व्यक्तिगत नाम 'अक्षपाद' है। 'न्यायसूत्र' पाँच अध्यायों में विभक्त है, जिनमें प्रमाणादि षोडश पदार्थों के उद्देश्य, लक्षण तथा परीक्षण किये गये हैं। [[वात्स्यायन]] ने न्यायसूत्रों पर विस्तृत भाष्य लिखा है। इस भाष्य का रचनाकाल विक्रम पूर्व प्रथम शतक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[न्याय दर्शन]] | ||'न्याय दर्शन' के कर्ता [[महर्षि गौतम]] परम तपस्वी एवं संयमी थे। '[[न्यायसूत्र]]' के रचयिता का गोत्र नाम 'गौतम' और व्यक्तिगत नाम 'अक्षपाद' है। 'न्यायसूत्र' पाँच अध्यायों में विभक्त है, जिनमें प्रमाणादि षोडश पदार्थों के उद्देश्य, लक्षण तथा परीक्षण किये गये हैं। [[वात्स्यायन]] ने न्यायसूत्रों पर विस्तृत भाष्य लिखा है। इस भाष्य का रचनाकाल विक्रम पूर्व प्रथम शतक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[न्याय दर्शन]] |
Revision as of 05:52, 19 November 2011
कला और संस्कृति
|