गोपी नाथ जी मन्दिर वृन्दावन: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
*निर्माण काल - निश्चित तिथि अज्ञात
{{सूचना बक्सा ऐतिहासिक इमारत
*निर्माता- कछवाहा ठाकुरों की शेखावत शाखा के संस्थापक के पौत्र रायसिल
|चित्र=gopi-nath-temple-1.jpg
*निर्माण शैली - मदनमोहन मन्दिर से शिल्प में मिलता जुलता है।
|चित्र का नाम=गोपी नाथ जी मन्दिर
----
|विवरण=गोपी नाथ जी का मन्दिर एक [[वैष्णव संप्रदाय]] का मन्दिर है।
[[चित्र:gopi-nath-temple-1.jpg|गोपी नाथ जी मन्दिर, [[वृन्दावन]]<br /> Gopi Nath Temple, Vrindavan|thumb|250px]]
|राज्य=[[उत्तर प्रदेश]]
सन् 1821 ई. में एक बंगाली [[कायस्थ]] ने नया मन्दिर बनवाया जिसका नाम नन्दकुमार घोष था ।
|नगर=[[वृन्दावन]]
----
|निर्माता=कछवाहा ठाकुरों की शेखावत शाखा के संस्थापक के पौत्र रायसिल
इस शृंखला में यह कुछ पहले का मन्दिर है। इसका र्निर्माण कछवाहा ठाकुरों की शेखावत शाखा के संस्थापक के पौत्र रायसिल ने कराया बताते हैं। अफ़ग़ान आक्रमण को विफल करने में उसने इतनी महानता और विशेषता के साथ काम किया था कि [[अकबर]] ने उसे एक जागीर के साथ 1250 घुड़सवारों का [[मनसबदार]] बना दिया था। अकबर के अधीन [[राजा मानसिंह]] का भी उसने राणाप्रताप के विरुद्ध साथ दिया था और [[क़ाबुल]] के अभियान में भी ख्याति अर्जित की थी। उसके निधन की तिथि अज्ञात है।
|स्वामित्व=
|प्रबंधक=
|निर्माण=निश्चित तिथि अज्ञात
|वास्तुकार=
|वास्तु शैली=[[मदन मोहन मन्दिर वृन्दावन|मदनमोहन मन्दिर]] से शिल्प में मिलता जुलता है।
|पुन: निर्माण=
|स्थापना=
|पुन: स्थापना=
|भौगोलिक स्थिति=
|मार्ग स्थिति=
|प्रसिद्धि=उत्तरी भारत की स्थापत्य कला की उत्‍कृष्ट इमरतों में से एक
|एस.टी.डी. कोड=
|मानचित्र लिंक=
|संबंधित लेख=
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन={{अद्यतन|12:59, 17 जुलाई 2012 (IST)}}
}}
'''गोपी नाथ जी का मन्दिर''' [[उत्तर प्रदेश]] राज्य में [[मथुरा ज़िला|मथुरा ज़िले]] के [[वृन्दावन]] नगर में स्थित एक [[वैष्णव संप्रदाय]] का मन्दिर है। इस मन्दिर को सन् 1821 ई. में एक बंगाली [[कायस्थ]] ने नया मन्दिर बनवाया जिसका नाम नन्दकुमार घोष था ।
==इतिहास==
इसका निर्माण कछवाहा ठाकुरों की शेखावत शाखा के संस्थापक के पौत्र रायसिल ने कराया बताते हैं। अफ़ग़ान आक्रमण को विफल करने में उसने इतनी महानता और विशेषता के साथ काम किया था कि [[अकबर]] ने उसे एक जागीर के साथ 1250 घुड़सवारों का [[मनसबदार]] बना दिया था। अकबर के अधीन [[राजा मानसिंह]] का भी उसने राणाप्रताप के विरुद्ध साथ दिया था और [[क़ाबुल]] के अभियान में भी ख्याति अर्जित की थी। उसके निधन की तिथि अज्ञात है।
जिस मन्दिर का उसने निर्माण कराया बताते हैं, वह पूर्व वर्णित [[मदन मोहन मन्दिर वृन्दावन]] से शिल्प में मिलता-जुलता है। यह काफ़ी भग्नावस्था में था। गर्भ गृह पूरा गिर चुका था, तीनों बुर्ज छत से आ लगे थे और दरवाज़ा भी प्राय: गिर चुका था। इसके सहारे छप्पर बन गये थे जिससे यह दिखाई भी नहीं देता था। [[ग्राउस]] ने यह छप्पर गिरवा दिये थे। सन् 1821 ई. में एक बंगाली कायस्थ ने नया मन्दिर बनवाया जिसका नाम नन्दकुमार घोष था। इसी ने मदनमोहन का नया मन्दिर भी बनवाया था। लगभग 3000 रुपये का भेंट-चढ़ावा इसमें आता था और प्राभूत से 1200 रुपये आते थे।
जिस मन्दिर का उसने निर्माण कराया बताते हैं, वह पूर्व वर्णित [[मदन मोहन मन्दिर वृन्दावन]] से शिल्प में मिलता-जुलता है। यह काफ़ी भग्नावस्था में था। गर्भ गृह पूरा गिर चुका था, तीनों बुर्ज छत से आ लगे थे और दरवाज़ा भी प्राय: गिर चुका था। इसके सहारे छप्पर बन गये थे जिससे यह दिखाई भी नहीं देता था। [[ग्राउस]] ने यह छप्पर गिरवा दिये थे। सन् 1821 ई. में एक बंगाली कायस्थ ने नया मन्दिर बनवाया जिसका नाम नन्दकुमार घोष था। इसी ने मदनमोहन का नया मन्दिर भी बनवाया था। लगभग 3000 रुपये का भेंट-चढ़ावा इसमें आता था और प्राभूत से 1200 रुपये आते थे।
{{प्रचार}}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==संबंधित लेख==         
==संबंधित लेख==         
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}

Revision as of 07:29, 17 July 2012

गोपी नाथ जी मन्दिर वृन्दावन
विवरण गोपी नाथ जी का मन्दिर एक वैष्णव संप्रदाय का मन्दिर है।
राज्य उत्तर प्रदेश
नगर वृन्दावन
निर्माता कछवाहा ठाकुरों की शेखावत शाखा के संस्थापक के पौत्र रायसिल
निर्माण निश्चित तिथि अज्ञात
वास्तु शैली मदनमोहन मन्दिर से शिल्प में मिलता जुलता है।
प्रसिद्धि उत्तरी भारत की स्थापत्य कला की उत्‍कृष्ट इमरतों में से एक
अद्यतन‎

गोपी नाथ जी का मन्दिर उत्तर प्रदेश राज्य में मथुरा ज़िले के वृन्दावन नगर में स्थित एक वैष्णव संप्रदाय का मन्दिर है। इस मन्दिर को सन् 1821 ई. में एक बंगाली कायस्थ ने नया मन्दिर बनवाया जिसका नाम नन्दकुमार घोष था ।

इतिहास

इसका निर्माण कछवाहा ठाकुरों की शेखावत शाखा के संस्थापक के पौत्र रायसिल ने कराया बताते हैं। अफ़ग़ान आक्रमण को विफल करने में उसने इतनी महानता और विशेषता के साथ काम किया था कि अकबर ने उसे एक जागीर के साथ 1250 घुड़सवारों का मनसबदार बना दिया था। अकबर के अधीन राजा मानसिंह का भी उसने राणाप्रताप के विरुद्ध साथ दिया था और क़ाबुल के अभियान में भी ख्याति अर्जित की थी। उसके निधन की तिथि अज्ञात है। जिस मन्दिर का उसने निर्माण कराया बताते हैं, वह पूर्व वर्णित मदन मोहन मन्दिर वृन्दावन से शिल्प में मिलता-जुलता है। यह काफ़ी भग्नावस्था में था। गर्भ गृह पूरा गिर चुका था, तीनों बुर्ज छत से आ लगे थे और दरवाज़ा भी प्राय: गिर चुका था। इसके सहारे छप्पर बन गये थे जिससे यह दिखाई भी नहीं देता था। ग्राउस ने यह छप्पर गिरवा दिये थे। सन् 1821 ई. में एक बंगाली कायस्थ ने नया मन्दिर बनवाया जिसका नाम नन्दकुमार घोष था। इसी ने मदनमोहन का नया मन्दिर भी बनवाया था। लगभग 3000 रुपये का भेंट-चढ़ावा इसमें आता था और प्राभूत से 1200 रुपये आते थे।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख