User:रविन्द्र प्रसाद/2: Difference between revisions
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-विक्रमोर्वंशीयम | -विक्रमोर्वंशीयम | ||
+[[मालविकाग्निमित्रम्]] | +[[मालविकाग्निमित्रम्]] | ||
||[[चित्र:Poet-Kalidasa.jpg|right|100px|कालिदास]]चौथी शताब्दी के उत्तरार्द्ध एवं पाँचवी शताब्दी के पूर्वार्द्ध में [[कालिदास]] द्वारा रचित '[[मालविकाग्निमित्रम्]]' [[संस्कृत]] ग्रंथ से [[पुष्यमित्र शुंग]] एवं उसके पुत्र [[अग्निमित्र]] के समय के राजनीतिक घटनाचक्र तथा [[शुंग वंश|शुंग]] एवं [[यवन]] संघर्ष का उल्लेख मिलता है। 'मालविकाग्निमित्रम्' श्रृंगार रस प्रधान पाँच अंकों का [[नाटक]] है। यह महाकवि कालिदास की प्रथम नाट्य कृति है; इसलिए इसमें वह लालित्य, माधुर्य एवं भावगाम्भीर्य दृष्टिगोचर नहीं होता, जो '[[विक्रमोर्वशीय]]' अथवा '[[अभिज्ञानशाकुन्तलम]]' में है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मालविकाग्निमित्रम्]] | |||
{वह कौन-सा [[ग्रंथ]] है, जिसके आधार पर मैथ्यू अर्नाल्ड ने 'लाइट ऑफ़ एशिया' नामक ग्रंथ का प्रणयन किया? (पृ.सं. 171 | {वह कौन-सा [[ग्रंथ]] है, जिसके आधार पर मैथ्यू अर्नाल्ड ने 'लाइट ऑफ़ एशिया' नामक ग्रंथ का प्रणयन किया? (पृ.सं. 171 | ||
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+[[ललितविस्तर]] | +[[ललितविस्तर]] | ||
-[[बुद्धचरित]] | -[[बुद्धचरित]] | ||
||'ललितविस्तर' वैपुल्यसूत्रों में एक अन्यतम और पवित्रतम महायानसूत्र माना जाता है। इसमें सम्पूर्ण '[[बुद्धचरित]]' का वर्णन है। [[महात्मा बुद्ध]] ने [[पृथ्वी]] पर जो-जो क्रीड़ा (ललित) कीं, उनका वर्णन होने के कारण ही इसे '[[ललितविस्तर]]' कहा जाता है। इसे 'महाव्यूह' के नाम से भी जानते हैं। 'ललितविस्तर' में कुल 27 अध्याय हैं, जिन्हें 'परिवर्त' कहा जाता है। तिब्बती भाषा में भी इसका अनुवाद उपलब्ध है। समग्र मूल [[ग्रन्थ]] का सम्पादन डॉ. एस. लेफमान ने किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ललितविस्तर]] | |||
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Revision as of 11:14, 13 March 2013
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