परमवीर चक्र: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 62: Line 62:
# [[पीरू सिंह|कम्पनी हवलदार मेजर पीरू सिंह]]
# [[पीरू सिंह|कम्पनी हवलदार मेजर पीरू सिंह]]
# लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय
# लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय
# मेजर धन सिंह थापा
# [[धन सिंह थापा|मेजर धन सिंह थापा]]
# ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव
# ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव
# फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों
# फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों
Line 68: Line 68:
# [[यदुनाथ सिंह|नायक जदु नाथ सिंह]]
# [[यदुनाथ सिंह|नायक जदु नाथ सिंह]]
# मेजर शैतान सिंह
# मेजर शैतान सिंह
# सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल
# [[अरुण खेत्रपाल|सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल]]
# मेजर रामास्वामी परमेस्वरन
# मेजर रामास्वामी परमेस्वरन
# [[रामा राघोबा राणे|सेकेंड लेफ्टिनेंट रामा राघोबा राने]]
# [[रामा राघोबा राणे|सेकेंड लेफ्टिनेंट रामा राघोबा राने]]

Revision as of 12:13, 7 July 2014

परमवीर चक्र
विवरण परमवीर चक्र का पदक शत्रु के सामने अद्वितीय साहस तथा परम शूरता का परिचय देने पर दिया जाता है।
शुरुआत 26 जनवरी 1950
स्वरूप परमवीर चक्र का डिज़ाइन विदेशी मूल की एक महिला 'सावित्री खालोनकर उर्फ सावित्री बाई' ने किया था और 1950 से अब तक इसके आरंभिक स्वरूप में किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
विजेता/सम्मानित अब तक 21 भारतीय सैनिकों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया जा चुका है।
अन्य जानकारी 'परमवीर चक्र' को अमेरिका के 'सम्मान पदक' तथा 'यूनाइटेड किंगडम' के 'विक्टोरिया क्रॉस' के बराबर का दर्जा हासिल है।

परमवीर चक्र या 'पीवीसी' सैन्य सेवा तथा उससे जुड़े हुए लोगों को दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च वीरता सम्मान है। यह पदक शत्रु के सामने अद्वितीय साहस तथा परम शूरता का परिचय देने पर दिया जाता है। 26 जनवरी 1950 से शुरू किया गया यह पदक मरणोपरांत भी दिया जाता है।

पदक का प्रावधान

स्वतंत्र भारत में पराक्रमी वीरों को युद्ध भूमि में दिखाये गये शौर्य के लिए अनेक प्रतीक सम्मान पुरस्कारों का चलन शुरू हुआ। 15 अगस्त 1947 से वर्ष 1950 तक भारत अपना संविधान रचने में व्यस्त रहा। 26 जनवरी 1950 को जो विधान लागू हुआ, उसे 1947 से प्रभावी माना गया। वह इसलिए जिससे 1947-48 में हुए भारत-पाक युद्ध के वीरों को, जिन्होंने जम्मू- कश्मीर के मोर्चों पर अपना शौर्य दिखाया, उन्हें भी पुरस्कारों से सम्मानित किया जा सके। इस क्रम में युद्धभूमि में सैनिकों द्वारा दिखाए गये पराक्रम के लिए 1950 में तीन पुरस्कारों का प्रावधान किया गया, जो श्रेष्ठता के क्रम से इस प्रकार हैं-

  1. परमवीर चक्र
  2. महावीर चक्र
  3. वीर चक्र
  4. वर्ष 1952 में अशोक चक्र का प्रावधान किया गया।

शाब्दिक अर्थ

'परमवीर चक्र' का शाब्दिक अर्थ है "वीरता का चक्र"। संस्कृति के शब्द "परम", "वीर" एवं "चक्र" से मिलकर यह शब्द बना है।

रिबैंड बार

यदि कोई परमवीर चक्र विजेता दोबारा शौर्य का परिचय देता है और उसे परमवीर चक्र के लिए चुना जाता है तो इस स्थिति में उसका पहला चक्र निरस्त करके उसे रिबैंड (Riband) दिया जाता है। इसके बाद हर बहादुरी पर उसके 'रिबैंड बार' की संख्या बढ़ाई जाती है। इस प्रक्रिया को मरणोपरांत भी किया जाता है। प्रत्येक रिबैंड बार पर इंद्र के वज्र की प्रतिकृति बनी होती है, तथा इसे रिबैंड के साथ ही लगाया जाता है।

समकक्ष सम्मान

'परमवीर चक्र' को अमेरिका के 'सम्मान पदक' तथा 'यूनाइटेड किंगडम' के 'विक्टोरिया क्रॉस' के बराबर का दर्जा हासिल है।

महत्त्व

परमवीर चक्र वीरता की श्रेष्ठतम श्रेणी में, युद्ध भूमि में प्रदर्शित पराक्रम के लिए दिया जाता है। यह पुरस्कार वीर सैनिक को स्वयं या मरणोपरांत दिये जाने की स्थिति में, उसके प्रतिनिधि को सम्मानपूर्वक दिया जाता है। इस पुरस्कार को देश के तत्कालीन राष्ट्रपति विशिष्ट समारोह में अपने हाथों से प्रदान करते हैं। यह पुरस्कार तीनों सेनाओं के वीरों को समान रूप से दिया जाता है। इस पुरस्कार में स्त्री पुरुष का भेदभाव भी मान्य नहीं है। इस पुरस्कार की विशिष्टता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि 1947 से लेकर आजतक यह पुरस्कार, चार बड़े युद्ध लड़े जाने के बाद भी केवल 21 सैनिकों को ही दिया गया है, जिनमें से 14 सैनिकों को यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया गया है।

परमवीर चक्र का स्वरूप

भारतीय सेना के रणबांकुरों को असाधारण वीरता दर्शाने पर दिए जाने वाले सर्वोच्च पदक परमवीर चक्र का डिज़ाइन विदेशी मूल की एक महिला ने किया था और 1950 से अब तक इसके आरंभिक स्वरूप में किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।

  • 26 जनवरी 1950 को लागू होने के बाद से अब तक (सन् 2012 तक) 21 श्रेष्ठतम वीरों के अदम्य साहस को गौरवान्वित कर चुके इस पदक की संरचना एवं इस पर अंकित आकृतियां भारतीय संस्कृति एवं दैविक वीरता को उद्धृत करती हैं। भारतीय सेना की ओर से 'मेजर जनरल हीरालाल अटल' ने परमवीर चक्र डिजाइन करने की ज़िम्मेदारी 'सावित्री खालोनकर उर्फ सावित्री बाई' को सौंपी जो मूल रूप से भारतीय नहीं थीं।
  • स्विट्जरलैंड में 20 जुलाई 1913 को जन्मी सावित्री बाई का मूल नाम 'ईवावोन लिंडा मेडे डे मारोस' था जिन्होंने अपने अभिवावक के विरोध के बावजूद 1932 में भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट के तत्कालीन कैप्टन विक्रम खानोलकर से प्रेम विवाह के बाद हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया था।
  • मेजर जनरल अटल ने भारतीय पौराणिक साहित्य संस्कृत और वेदांत के क्षेत्र में सावित्री बाई के ज्ञान को देखते हुए उन्हें परमवीर चक्र का डिजाइन तैयार करने की ज़िम्मेदारी सौंपी। तत्कालीन समय उनके पति भी मेजर जनरल बन चुके थे। मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) 'इयान कारडोजो' की हालिया प्रकाशित पुस्तक परमवीर चक्र के मुताबिक सावित्री बाई ने भारतीय सेना के भरोसे पर खरा उतरते हुए सैन्य वीरता के सर्वोच्च पदक के डिजाइन के कल्पित रूप को साकार किया। पदक की संरचना के लिए उन्होंने महर्षि दधीचि से प्रेरणा ली जिन्होंने देवताओं का अमोघ अस्त्र बनाने को अपनी अस्थियां दान कर दी थीं जिससे 'इंद्र के वज्र' का निर्माण हुआ था।

परमवीर चक्र विजेताओं के नाम

  1. नायब सूबेदार बाना सिंह
  2. सूबेदार जोगिन्दर सिंह
  3. कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया
  4. मेजर सोमनाथ शर्मा
  5. कम्पनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद
  6. मेजर होशियार सिंह
  7. कैप्टन विक्रम बत्रा
  8. लांस नायक अल्बर्ट एक्का
  9. लेफ्टिनेंट कर्नल ए. बी. तारापोरे
  10. राइफलमैन संजय कुमार
  11. कम्पनी हवलदार मेजर पीरू सिंह
  12. लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय
  13. मेजर धन सिंह थापा
  14. ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव
  15. फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों
  16. लांस नायक करम सिंह
  17. नायक जदु नाथ सिंह
  18. मेजर शैतान सिंह
  19. सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल
  20. मेजर रामास्वामी परमेस्वरन
  21. सेकेंड लेफ्टिनेंट रामा राघोबा राने


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख