संख्यावती: Difference between revisions
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'''संख्यावती''' नामक नगर का उल्लेख [[जैन धर्म|जैन]] धार्मिक ग्रंथ 'विविध तीर्थकल्प' में हुआ है। जैन ग्रंथ 'विविध तीर्थकल्प' में ' | '''संख्यावती''' नामक नगर का उल्लेख [[जैन धर्म|जैन]] धार्मिक ग्रंथ 'विविध तीर्थकल्प' में हुआ है। जैन ग्रंथ 'विविध तीर्थकल्प' में '[[अहिच्छत्र]]' (अहिक्षेत्र)<ref>[[पंचाल|पंचाल देश]] की महाभारतकालीन राजधानी</ref> का नाम 'संख्यावती' बताया गया है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=927|url=}}</ref> | ||
*विविध तीर्थकल्प में वर्णित है कि एक समय जब [[तीर्थंकर]] [[पार्श्वनाथ तीर्थंकर|पार्श्वनाथ]] संख्यावती में ठहरे हुए थे तो कमठदानव ने उनके ऊपर घोर [[वर्षा]] की। उस समय नागराज धरणींद्र ने उनके ऊपर अपने फनों का फैलाकर उनकी रक्षा की और इसीलिए इस नगरी का नाम अहिच्छत्रा हो गया। | *विविध तीर्थकल्प में वर्णित है कि एक समय जब [[तीर्थंकर]] [[पार्श्वनाथ तीर्थंकर|पार्श्वनाथ]] संख्यावती में ठहरे हुए थे तो कमठदानव ने उनके ऊपर घोर [[वर्षा]] की। उस समय नागराज धरणींद्र ने उनके ऊपर अपने फनों का फैलाकर उनकी रक्षा की और इसीलिए इस नगरी का नाम अहिच्छत्रा हो गया। |
Latest revision as of 12:56, 8 September 2014
संख्यावती नामक नगर का उल्लेख जैन धार्मिक ग्रंथ 'विविध तीर्थकल्प' में हुआ है। जैन ग्रंथ 'विविध तीर्थकल्प' में 'अहिच्छत्र' (अहिक्षेत्र)[1] का नाम 'संख्यावती' बताया गया है।[2]
- विविध तीर्थकल्प में वर्णित है कि एक समय जब तीर्थंकर पार्श्वनाथ संख्यावती में ठहरे हुए थे तो कमठदानव ने उनके ऊपर घोर वर्षा की। उस समय नागराज धरणींद्र ने उनके ऊपर अपने फनों का फैलाकर उनकी रक्षा की और इसीलिए इस नगरी का नाम अहिच्छत्रा हो गया।
- जैन ग्रंथ के विवरण से सूचित होता है कि इस नगरी के पास प्राचीन काल में बहुत-से घने वन थे और उनमें नाग जाति का निवास था।
- उपरोक्त अनुश्रुति चीनी यात्री युवानच्वांग के यात्रा वृत्तांत से भी पुष्ट होती है।
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