अथीना: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''अथीना'''<ref>अथवा अथाना, अथेने या अथेना</ref>- यह अत्तिका [[प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 15: Line 15:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{दार्शनिक}}
{{दार्शनिक}}
[[Category:दार्शनिक]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]][[Category:साहित्य कोश]]
[[Category:दार्शनिक]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Revision as of 07:20, 13 June 2015

अथीना[1]- यह अत्तिका प्रदेश एवं बियोतिया प्रदेश में स्थित एथेंस नामक नगरों की अधिष्ठात्री देवी थी। इसका नाम पल्लास अथीने और अथीना पार्थेनॉस (कुमारी) भी है। अथीना को आधुनिक आलोचक प्राक्‌-हेलेनिक देवी मानते हैं, जिसका संबंध क्रीत और मिकीनी की पुरानी सभ्यता से था। एथेंस में उसका मंदिर अक्रोपौलिस्‌ में था। ग्रीक लोग उसको अनेक कला-कौशल की भी अधिष्ठात्री मानते थे। अन्य स्थानों पर भी उनके मंदिर और मूर्तियाँ थीं। यद्यपि अथीना को युद्ध की देवी माना जाता है।

परिचय

अथीना की माता मेतिस[2]ज्यूस की प्रथम पत्नी थी। मेतिस के गर्भवती होने पर ज्यूस को यह भय हुआ कि मेतिस का पुत्र मुझसे अधिक बलवान होगा और मुझे मेरे पद से च्युत कर देगा, अतएव वह अपनी गर्भवती पत्नी को निगल गया। इसके उपरांत प्रोमेथियस ने कुल्हाड़ी से उसकी खोपड़ी को चीर डाला और उसमें से अथीना पूर्णतया शस्त्रा-स्त्रों और कवच से सुसज्जित सुपुष्ट अंगांगों सहित निकल पड़ी।[3] अथीना और पोसेइदॉन में अत्तिका प्रदेश की सत्ता प्राप्त करने के लिए द्वंद्व छिड़ गया। देवताओं ने यह निर्णय किया कि उन दोनों में से जनता के लिए जो भी अधिक उपयोगी वस्तु प्रदान करेगा उसको ही इस प्रदेश की सत्ता मिलेगी। पोसेइदॉन ने अपने त्रिशूल से पृथ्वी पर प्रहार किया और पृथ्वी से घोड़े की उत्पत्ति हुई। दूसरे लोगों का यह कहना है कि भूविवर से खारे जल का स्रोत फूट निकला। अथीना ने जैतून के पेड़ को उत्पन्न किया जिसको देवताओं ने अधिक मूल्यवान आँका। तभी से एथेंस में अथीना की पूजा चल पड़ी। इसका नाम पल्लास अथीने और अथीना पार्थेनॉस (कुमारी) भी है। एक बार हिफाएस्तस्‌ ने इसके साथ बलात्कार करना चाहा, पर उसको निराश होना पड़ा। उसके स्खलित हुए वीर्य से एरैक्थियस्‌ का जन्म हुआ और उसको अथीना ने पाला।

अथीना को आधुनिक आलोचक प्राक्‌-हेलेनिक देवी मानते हैं, जिसका संबंध क्रीत और मिकीनी की पुरानी सभ्यता से था। एथेंस में उसका मंदिर अक्रोपौलिस्‌ में था। अन्य स्थानों पर भी उनके मंदिर और मूर्तियाँ थीं। यद्यपि अथीना को युद्ध की देवी माना जाता है एवं उसके शिरस्त्राण, कवच, ढाल और भाले इत्यादि को भी देखकर यही धारणा पुष्ट होती है, तथापि वह युद्ध में भी क्रूरता नहीं प्रदर्शित करती। इसके अतिरिक्त वह सुमति और सद्बुद्धि की भी देवी है। ग्रीक लोग उसको अनेक कला-कौशल की भी अधिष्ठात्री मानते थे।

उत्सव

अथीना के संबंध में अनेक उत्सव भी मनाए जाते थे। इनमें से पानाथेनाइयां सबसे महान्‌ उत्सव होता था, जो देवी का जन्म महोत्सव था। यह जुलाई-अगस्त मास में हुआ करता था। प्रत्येक चौथे वर्ष यह उत्सव अत्यधिक ठाठ-बाट के साथ मनाया जाता था। अथीना स्वयं कुमारी थी और उसकी पूजा तथा उत्सवों में कुमारियों का महत्वपूर्ण भाग रहता था। उसके वस्त्र भी कुमारियाँ ही बुना करती थीं।</ref>

मूर्तिकला

(ई. पू. 438) में एथेंस के श्रेष्ठ मूर्तिकार फिदियास ने अथीना की एक विशाल कोरी मूर्ति बनायी थी। यह मूर्ति स्वर्ण और हाथी दाँत की थी और 40 फुट ऊँची थी। यह यूनानी मूर्तिकला का सर्वोत्कृष्ट निदर्शक थी। इसी मूर्तिकार ने अथीना की एक कांस्य मूर्ति भी बनाई थी जो 30 फुट ऊँची थी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अथवा अथाना, अथेने या अथेना
  2. सं. मति
  3. अथीना (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 13 जून, 2015।

संबंधित लेख